लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा पूर्व दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में व्याख्यान और भूवैज्ञानिक प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रति-कुलपति प्रो। मनुका खन्ना, भूगर्भशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो। ध्रुव सेन सिंह और मुख्य वक्ता बीरबल साहनी पुराप्राणिविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो। महेश ठक्कर की उपस्थिति रही। मंच संचालन डॉ। रामानंद यादव ने किया।
भूविज्ञान की भूमिका पर चर्चा
अपने स्वागत भाषण में प्रो। ध्रुव सेन सिंह ने प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने में भूविज्ञान की भूमिका पर चर्चा की और कहा कि हम भूकंप को रोक नहीं सकते परंतु इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं। प्रो। मनुका खन्ना ने विभाग के प्रयासों और इस व्याख्यान के शैक्षिक महत्व की सराहना की। मुख्य वक्ता प्रो। महेश ठक्कर ने क्या भूकंप प्राकृतिक आपदा है या सृजन की घटना विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन डॉ। विनीत कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। प्रदर्शनी में 14 प्रतिभागियों ने अपने भूगर्भीय मॉडल प्रदर्शित किए, इनमें से दो प्रमुख मॉडल थे। मैग्मा निर्माण की प्रक्रियाओं को समझना एवं बोरहोल की आंतरिक संरचना और रिग के कार्य।
बायोमीट्रिक का विरोध शोधार्थियों ने किया प्रदर्शन
लखनऊ विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने बायोमीट्रिक उपस्थिति लागू करने से प्रशासन के निर्णय के खिलाफ गुरुवार को समाजवादी छात्र सभा और संयुक्त छात्र मोर्चा के नेतृत्व में विरोध दर्ज कराया। शोधार्थियों ने गेट नंबर पांच से एक तक विरोध मार्च निकाल कर प्रशासनिक भवन के सामने धरना दिया। उन्होंने बायोमीट्रिक उपस्थिति के आदेश को वापस लेने, जेआरएफ अनुदान के पात्र न होने वाले शोधार्थियों के लिए गैर नेट फेलोशिप जारी करने व शोधार्थियों के लिए हास्टल सुविधाओं की मांग रखते हुए चेतावनी दी कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन लिखित रूप में आश्वासन नहीं देगा तो शोधार्थी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे। इस संबंध में चीफ प्राक्टर प्रोफेसर राकेश द्विवेदी को ज्ञापन सौंपा गया।