लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों को चिन्हित करने के साथ-साथ उनके खिलाफ ध्वस्तीकरण और सीलिंग की कार्रवाई तेज कर दी गई है, वहीं दूसरी तरफ अब अवैध निर्माणों को जड़ से समाप्त करने के लिए कवायद की जा रही है। इसके अंतर्गत अब अगर कोई भी डेवलपर अपने किसी प्रोजेक्ट का नक्शा पास कराने के लिए प्राधिकरण में आवेदन करेगा तो सबसे पहले उसके प्रोजेक्ट्स से जुड़ी हिस्ट्री खंगाली जाएगी। जिसमें यह देखा जाएगा कि उनके पहले के प्रोजेक्ट्स मानकों के अनुरूप हैं कि नहीं। अगर कोई खामी मिलती है तो उसका नक्शा होल्ड कर दिया जाएगा। नक्शा तभी स्वीकृत होगा, जब डेवलपर की ओर से अपने सभी पहले के प्रोजेक्ट्स मानकों के अनुरूप कर लिए जाएंगे। इसके बाद उसके द्वारा नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जा सकेगा।

इसलिए उठाया गया कदम

इस समय राजधानी के अंदर और आउटर एरिया में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है। अवैध प्लॉटिंग से लेकर अवैध तरीके से कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं और प्राधिकरण से कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया जा रहा है। प्राधिकरण की ओर से अभी तक दर्जनों प्लॉटिंग और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। कार्यवाही के दौरान अवैध प्लॉटिंग और अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया जा रहा है। जबकि मानकों के विपरीत बन रहे बड़े आवासीय प्रोजेक्ट्स को सील किया जा रहा है और विहित प्राधिकारी कोर्ट में उनकी सुनवाई चल रही है। अगर निर्माणकर्ताओं की ओर से कोई साक्ष्य सामने नहीं लाए जाते हैैं तो ऐसे आवासीय प्रोजेक्ट्स को भी ध्वस्त कर दिया जाएगा।

यह है प्लानिंग

एलडीए प्रशासन की ओर से अवैध निर्माणों को रोकने के लिए अब बेसिक स्तर पर कदम उठाने का काम किया जा रहा है। किसी भी निर्माण की शुरुआत नक्शे से होती है। नक्शा पास कराने के बाद ही साइट पर निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। हाल में ही प्राधिकरण के संज्ञान में कई ऐसे डेवलपर सामने आए हैैं, जिनकी पूर्व के निर्माण मानक के विपरीत थे और प्राधिकरण ने उनके खिलाफ कार्यवाही भी की थी, लेकिन अब वे फर्म का नाम बदलकर या कागजों में खेल करके नए प्रोजेक्ट्स का नक्शा पास कराने का प्रयास करते हैैं। इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए ही प्राधिकरण प्रशासन ने फैसला लिया है कि अब अगर कॉमर्शियल या आवासीय प्रोजेक्ट से जुड़ा कोई भी नक्शा स्वीकृत होने के लिए प्राधिकरण के पास आता है तो संबंधित डेवलपर की कंपनी या फर्म की हिस्ट्री भी खंगाली जाएगी। हिस्ट्री सामने आने के बाद एलडीए की टीम मौके पर जाकर फर्म या कंपनी द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट्स की जांच की जाएगी। जिससे अगर किसी ने नाम बदलकर नक्शा पास कराने का प्रयास किया होगा, तो उसे आसानी से पकड़ा जा सकेगा।

इस तरह होगी जांच

1-डेवलपर की ओर से कराए गए निर्माणों की लिस्ट तैयार होगी

2-मौके पर टीम जाकर सत्यापन करेगी

3-सत्यापन के दौरान मानकों की जांच की जाएगी

4-पूर्व में कोई कार्यवाही नहीं हुई तो नक्शा पास होने में आसानी

5-कार्यवाही हुई है तो नक्शा पास करने से पहले कई चरणों में पड़ताल

पब्लिक को फायदा

जब किसी भी डेवलपर की ओर से प्राधिकरण के मानकों के अनुरूप जाकर अपनी निर्माणाधीन साइट का नक्शा पास कराया जाएगा तो इसका सीधा फायदा जनता को मिलेगा। दरअसल, जब अवैध निर्माणों के खिलाफ ध्वस्तीकरण या सीलिंग की कार्रवाई की जाती है तो उसमें सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को होता है, जो उस अवैध साइट में प्लॉट खरीद चुके होते हैैं।

अवैध निर्माणों को रोकने के लिए रोजाना कार्यवाही की जा रही है। अब जो भी नक्शे स्वीकृति के लिए प्राधिकरण के पास आएंगे, उनकी विधिवत जांच की जाएगी। जिससे अवैध निर्माण होने से पहले ही उसे रोका जा सके।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए