लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां कुकरैल नदी के किनारे अवैध रूप से स्थापित हुए निर्माणों को तोड़ने का काम अंतिम चरण में है, वहीं दूसरी तरफ एलडीए की ओर से ग्राउंड लेवल पर डेवलपमेंट संबंधी काम भी शुरू कर दिए गए हैैं। इस कार्य को दो से तीन लेयर में शिफ्ट किया गया है, जिससे अस्ती गांव तक डेवलपमेंट संबंधी तस्वीर सामने आ सके। एलडीए की ओर से तैयार डेवलपमेंट प्लान कुछ इस तरह का है
पहला प्लान
मूल स्वरूप में लाना है
अभी कुकरैल नदी पूरी तरह से नाले में कंवर्ट हो चुकी है। ऐसे में सिंचाई विभाग की मदद से पहले तो नदी को मूल स्वरूप में लाना है साथ ही इसके पानी की शुद्धता पर भी फोकस किया जाना है। इसके लिए नालों की टैपिंग का काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक 15 से अधिक नाले टैप किए जा चुके हैैं, वहीं पांच से छह नालों को जल्द ही टैप कर दिया जाएगा। जिससे कुकरैल नदी में कोई भी नाला नहीं गिरेगा। नदी की तलहटी में जमा सिल्ट को भी हटाने के लिए कवायद तेज कर दी गई है।
दूसरा प्लान
हरियाली मेनटेन होगी
पानी की शुद्धता के साथ-साथ कुकरैल नदी के दोनों तरफ हरियाली भी मेनटेन की जाएगी। इसके लिए वृहद स्तर पर पौधरोपण किए जाने की तैयारी है। पौधरोपण करने के साथ ही छोटे-छोटे पॉकेट में मियावाकी कांसेप्ट भी एप्लाई किया जाएगा। इसके साथ ही पौधों को लगाने के साथ ही उनका ध्यान रखने के लिए भी टीमें बनाई जाएंगी, जिससे हरियाली मेनटेन रहे।
तीसरा प्लान
पब्लिक सुविधा
हरियाली के साथ-साथ कई पॉकेट्स में पब्लिक से रिलेटेड फैसिलिटी भी डेवलप की जाएगी। जिससे लोगों को नए पिकनिक स्पॉट की सुविधा मिलेगी। जो प्लान बनाया गया है, उसमें साफ है कि यहां पर लोगों के बैठने की सुविधा डेवलप की जाएगी साथ ही बच्चों के खेलने के लिए भी सुविधा रहेगी। सीनियर सिटीजंस के लिए भी वॉकिंग वे देने की तैयारी की जा रही है।
पांच से छह दिन में हट जाएगा मलबा
एलडीए की ओर से अकबरनगर में जो ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की गई है, उसमें भारी मात्रा में मलबे के ढेर लग गए हैैं। इसे ध्यान में रखते हुए एलडीए की ओर से पूरी ताकत जल्द से जल्द मलबा हटाने पर लगा दी गई है। जब तक मलबा नहीं हटेगा, डेवलपमेंट संबंधी कार्यों को पूरी क्षमता से शुरू नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, मलबा हटाने के दौरान इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा कि कोई हादसा न हो।
पानी की कमी नहीं होगी
कुकरैल नदी में अब कभी पानी की कमी नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि अस्ती गांव में सभी झीलों और तालाबों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है। चूंकि यहीं से ही कुकरैल नदी का उद्गम होता है। ऐसे में इस गांव में तथा आसपास जहां भी पानी के प्राकृतिक स्त्रोत हैैं, उन्हें डेवलप किया जाएगा। जिससे कुकरैल नदी को पर्याप्त पानी मिलता रहेगा। इसके साथ ही गांव में हरियाली डेवलप करने पर भी फोकस किया जा रहा है।
हमारा पहला फोकस कुकरैल नदी के मूल स्वरूप को वापस लाना है। इसके लिए कई लेयर में डेवलपमेंट संबंधी प्लान बना है, जिसे अब धरातल पर लाया जा रहा है।
डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए