-नेशनल कांफ्रेंस में डॉक्टर्स का ट्रांसप्लांट कास्ट घटाने पर मंथन
-प्रदेश भर के 250 डॉक्टर्स ने सीखा नी व हिप ट्रांसप्लांट
LUCKNOW:अब मार्केट में अच्छे प्लास्टिक के इंप्लांट अवेलेबल हैं जो अधिक समय तक चलते हैं। जिससे कम उम्र में भी नी ट्रांसप्लांट कराने पर मरीजों को दुबारा ट्रांसप्लांट नहीं कराना पड़ेगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अच्छे आर्थोपेडिक सर्जन से ही नी ट्रांसप्लांट कराएं। यह जानकारी शनिवार को होटल क्लार्क अवध में आयोजित नी ट्रांसप्लांट पर आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में डॉ। सौरभ शुक्ला ने दी।
भाग कर नहीं आना पड़ेगा लखनऊ
कांफ्रेंस में डॉ। बीके शमशेरी ने बताया कि लखनऊ में ख्भ्0 डॉक्टर आए हैं जिनकी नी और हिप रिप्लेसमेंट की ट्रेनिंग हो रही है। इससे दूर दराज के जिलों से मरीजों को लखनऊ या दिल्ली भागकर नहीं जाना पड़ेगा। उनका वहीं पर डॉक्टर ट्रांसप्लांट कर सकेंगे। साथ ही लखनऊ में हुए ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को अपने जिले में ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मदद मिल सकेगी।
रखें संक्रमण का ध्यान
कांफ्रेंस में एम्स के डॉ। सीएस यादव ने कहा कि मरीजों को घुटना या कूल्हा प्रत्यारोपण के दौरान ध्यान रखना होगा कि डॉक्टर का अनुभव कितना है और अस्पताल संक्रमण मुक्त है या नहीं। संक्रमण का ट्रांसप्लांट पर बहुत अधिक असर पड़ता है। अब अच्छी गुणवत्ता वाले इंप्लांट मौजूद हैं जो लंबे समय तक चलते हैं। लेकिन हॉस्पिटल में संक्रमण होगा तो इंप्लांट पर उसका बुरा असर पड़ेगा।
घटाएं इंप्लांट की कास्ट
इस अवसर पर डॉक्टर इंप्लांट की गुणवत्ता के साथ कास्ट को कम करने पर मंथन करते दिखे। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को दर्द से छुटकारा दिलाया जा सके। अभी देश में सलाना लगभग भ् लाख मरीजों को घुटना प्रत्यारोपण होता है। जबकि जरूरत हर साल क्भ् लाख से अधिक तक की है। डॉक्टर्स ने कहा कि अब इंडियन कंपनियां भी इंप्लांट बना रही हैं उनका भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि क्वालिटी से समझौता न हो। ताकि इसका बुरा असर मरीज पर न पड़े।