- केजीएमयू ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को भेजा प्रस्ताव

- केजीएमयू कई हॉस्पिटल्स के साथ मिलकर करेगा काम

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रुष्टयहृह्रङ्ख: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) प्रशासन अब शहर के बड़े हॉस्पिटल्स के साथ इलाज, रिसर्च और पढ़ाई की सुविधाएं देने की तैयारी में है। केजीएमयू प्रशासन का मानना है कि बलरामपुर, डफरिन, सिविल अस्पतालों में इलाज के साथ अगर पढ़ाई होगी तो हर साल ज्यादा डॉक्टर पढ़कर निकलेंगे। साथ ही मरीजों को स्पेशलाइज इलाज भी मिलेगा। केजीएमयू प्रशासन ने इसके लिए शासन को प्रपोजल भेजा है। इससे प्रदेश के लोगों को बड़े स्तर पर फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

डफरिन में तैनात होंगे रेजीडेंट

केजीएमयू के वीसी प्रो। रविकांत के अनुसार अभी इन अस्पतालों में काफी संख्या में बेड हैं और सभी सुविधाएं भी, लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी के कारण पब्लिक को उतना लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर इनमें इलाज के साथ पढ़ाई भी शुरू कर दी जाए तो लोगों को अच्छी सुविधाएं मिल सकेंगी और डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे प्रदेश को डॉक्टर भी। उन्होंने बताया कि अगर ये बेड केजीएमयू को मिल जाएं तो हम वहां पर अपने रेजीडेंट तैनात कर सकते हैं। पूरा सिस्टम उन्हीं कर रहेगा, लेकिन साथ में हमारे स्पेशलिस्ट रेजीडेंट भी होंगे। वहीं पढ़ाई भी होगी, मरीजों को इलाज भी। इससे इलाज की क्वालिटी बढ़ेगी और संसाधनों का पूरा यूज भी होगा। सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग भी जल्द ही इस प्रपोजल को हरी झंडी दे सकता है।

बलरामपुर अस्पताल के साथ है टाइअप

केजीएमयू प्रशासन का फिलहाल बलरामपुर अस्पताल के साथ टाइअप है। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो के मरीज की संख्या अधिक होने पर उन्हें बलरामपुर अस्पताल भेज दिया जाता है। केजीएमयू के डॉक्टर्स के निर्देश पर ही मरीजों का आगे ट्रीटमेंट भी चलता है। इस प्रकार सीधा फायदा मरीजों का ही है। गौरतलब है कि ट्रॉमा सेंटर में मरीजों के लिए न्यूरो सर्जरी में सीमित बेड हैं। हर समय जितने बेड हैं उससे दोगुने से अधिक मरीज स्ट्रेचर पर रहते हैं। स्टेबल मरीजों को अच्छे इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर प्रशासन बलरामपुर अस्पताल रेफर कर देता है। कुछ ऐसा ही टाइअप केजीएमयू प्रशासन अन्य अस्पतालों के साथ भी चाहता है।

हर साल मिलेंगे 600 स्पेशलिस्ट डॉक्टर

प्रो। रविकांत ने बताया कि इन अस्पतालों में जनता का बहुत पैसा इनवेस्ट किया गया है। लेकिन उनका यूज उतना नहीं किया जा रहा है। अगर हमारे पास टाइअप होता है तो हम अपने कुछ मरीज भी वहां भेज सकते हैं और अपने डॉक्टर भी। जो हमारे यहां पर सामान्य मरीज हैं उनको इन अस्पतालों में स्थानांतरित किया जा सकता है। जिससे केजीएमयू में सीरियस मरीजों को इलाज के लिए बेड खाली होंगे और ज्यादा मरीजों की सेवा की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि इन संस्थानों 1500 से ज्यादा बेड हैं। अगर इन सभी के लिए पीजी कोर्स चलाए जाएं तो लगभग 600 सीटे बढ़ जाएंगी। जिससे प्रदेश को लगभग 600 स्पेशलिस्ट डॉक्टर और मिल सकेंगे। उन्होंने बताया कि बलरामपुर, डफरिन , सिविल, झलकारी बाई में इतनी कैपेसिटी है कि तीन मेडिकल कॉलेजों के बराबर पीजी कोर्स चल सकते हैं।

हमने हेल्थ डिपार्टमेंट को इन हॉस्पिटल्स के साथ टाइअप के लिए पत्र भेजा है। ताकि इनका सही फायदा मरीजों को मिल सके। इससे डॉक्टर्स की कमी की समस्या भी कम हो सकेगी।

- प्रो। रविकांत, वीसी, केजीएमयू