लखनऊ (ब्यूरो)। फॉल्ट होने की स्थिति में अब उपभोक्ताओं को ज्यादा देर तक बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। दरअसल, लेसा प्रशासन की ओर से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। इसके अंतर्गत ब्रेकर और रिले सिस्टम तकनीकी को अपनाया जा रहा है और सिस गोमती एरिया में इसे ट्रायल के रूप में शुरू करने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। ट्रायल सफल होने के बाद इस प्रोजेक्ट को पूरे लेसा एरिया में इंप्लीमेंट कर दिया जाएगा। जिसका सीधा फायदा लेसा के अंतर्गत आने वाले 10 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को मिलेगा।
अभी आती है समस्या
अभी अगर कहीं फॉल्ट हो जाता है तो लेसा के कर्मचारियों को फॉल्ट ढूंढने में खासा समय लग जाता है। इसके साथ ही पूरे एरिया की बिजली भी गुल हो जाती है। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रात के वक्त फॉल्ट होने पर तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही यह प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
फॉल्ट ढूंढने में आसानी
रिले सिस्टम का फायदा यह है कि इस सिस्टम के माध्यम से यह आसानी से पता लग सकेगा कि फॉल्ट की लोकेशन कहां पर है। इसके साथ ही यह भी जानकारी की जा सकेगी कि फॉल्ट आने की वजह क्या है। जिसके बाद बिजली कर्मचारियों की ओर से फॉल्ट के कारण और फॉल्ट प्वाइंट सामने आने के बाद तत्काल मेंटीनेंस वर्क शुरू कर दिया जाएगा। जिससे साफ है कि फॉल्ट की समस्या को तत्काल दूर कर लिया जाएगा और बिजली सप्लाई जल्द से जल्द रीस्टोर हो जाएगी। जिसकी वजह से संबंधित एरिया के बिजली उपभोक्ताओं को ज्यादा देर तक बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सिर्फ एक ट्रांसफॉर्मर की सप्लाई होगी बंद
अब अगर ब्रेकर सिस्टम की बात की जाए तो इसके माध्यम से बिजली सप्लाई बंद या रीस्टोर की जाती है। अभी तक यह व्यवस्था 33 और 11 केवी सबस्टेशन के ट्रांसफॉर्मर्स पर लागू होती थी, लेकिन अब इसको लोकल ट्रांसफॉर्मर्स पर इंप्लीमेंट करने की तैयारी की जा रही है। रिले सिस्टम से यह पता चल जाएगा कि किस ट्रांसफॉर्मर के अंतर्गत फॉल्ट की समस्या आई है ।उसके बाद ब्रेकर सिस्टम के माध्यम से सिर्फ उसी ट्रांसफॉर्मर की बिजली सप्लाई बंद कर दी जाएगी। इसका फायदा यह होगा कि सिर्फ फॉल्ट से प्रभावित ट्रांसफॉर्मर से जुड़े उपभोक्ताओं के घरों की बिजली जाएगी, बाकी पूरे एरिया में बिजली सप्लाई नॉर्मल रहेगी। जबकि अभी फॉल्ट होने की स्थिति में पूरे एरिया के उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना करना पड़ता है। लेसा प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे इस तकनीकी कदम से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है।
बारिश में बढ़ जाते हैं फॉल्ट
बारिश के मौसम में फॉल्ट की समस्या बढ़ जाती है। तेज बारिश होने पर अक्सर ट्रिपिंग की समस्या सामने आती है। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना करना पड़ता है। जब यह व्यवस्था लागू हो जाएगी तो साफ है कि बारिश या किसी भी मौसम में फॉल्ट को आसानी से लोकेट किया जा सकेगा और उसके बाद फॉल्ट को दूर करते हुए सप्लाई सामान्य कर दी जाएगी।