लखनऊ (ब्यूरो)। तंबाकू का इस्तेमाल किसी भी रूप में करना शरीर के लिए हानिकारक होता है। इसकी वजह से न केवल पुरुषों में इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है, बल्कि स्मोकिंग के चलते सीओपीडी जैसी बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच जा रही है। जो आगे चलकर लंग कैंसर में बदल सकती है। डॉक्टर्स की माने तो टोबैको का इस्तेमाल किसी को भी नहीं करना चाहिए। स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति के साथ उसके आसपास वालों को भी नुकसान पहुंचता है।
इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। सूर्यकांत ने बताया कि तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में नहीं करना चाहिए। स्मोकिंग की वजह से पुरुषों में इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़ रहे हैं, जिसकी वजह से लोग आईवीएफ की ओर ज्यादा जा रहे हैं। स्मोकिंग की वजह से वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। इसके अलावा, उनकी गतिशीलता भी कम हो जाती है। ऐसे में पुरुष धीरे-धीरे नपुंसकता की ओर बढ़ता चला जाता है। पूर्व में हुई एक रिसर्च के अनुसार, करीब 97 पर्सेंट लड़कियों ने स्मोकिंग करने वाले पुरुष से शादी न करने की बात कही थी। ऐसे में पुरुषों को टोबैको का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
कई हानिकारक तत्व मौजूद
वहीं, संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रो। ज्ञान चंद ने बताया कि उत्तर प्रदेश में तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। यहां पर 42.6 पर्सेंट पुरुष तथा 15.2 पर्सेंट महिलायें तंबाकू खाती हैं। तंबाकू में लगभग 9500 प्रकार के केमिकल पाए जाते हैं। अंतरास्ट्रीय कैंसर शोध संसथान ने तंबाकू में पाए जाने वाले कुल 83 प्रकार के कैंसर करक तत्वों की खोज की है। जिनमें से 80 प्रकार के तत्व बीढ़ी-सिगरेट में तथा 37 प्रकार के तत्व खाने वाली तंबाकू में पाए जाते हैं। एक शोध के अनुसार, तंबाकू का सेवन बंद करके हम कैंसर से होने वाली मृत्यु को 32 पर्सेंट तक काम कर सकते हैं। ऐसे में तंबाकू के सेवन से दूर रहना चाहिए।
65 पर्सेंट पेशेंट निकले स्मोकर्स
वहीं, केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के डॉ। अजय वर्मा ने बताया कि उनके यहां सीओपीडी मरीजों को लेकर एक स्टडी की गई, जिसमें 426 पेशेंट्स को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 40-70 वर्ष के बीच की थी। स्टडी में पाया गया कि सीओपीडी वालों में 65 पर्सेंट पेशेंट स्मोकर्स थे, जबकि 35 पर्सेंट नॉन स्मोकर्स थे। वहीं, स्मोकिंग की वजह से सीओपीडी एडवांस स्टेज पर था, क्योंकि स्मोकिंग की वजहसे लंग संबंधित क्रोनिक बीमारी की गंभीरता और बढ़ जाती है। इससे लंग्स की कार्यक्षमता घट जाती। इसके अलावा सेकेंड हैंड स्मोकर्स में भी समस्या बढ़ जाती है। वहीं, थर्ड हैंड स्मोकर्स भी खतरे की जद में आ जाते हैं। स्मोक करने के बाद स्मोकर्स तो चले जाते हैं, लेकिन कई हानिकारक कण हवा में मंडराते रहते हैं, जिन्हें इन्हेल करने से खतरा बढ़ जाता है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।