लखनऊ (ब्यूरो)। जरा सी बारिश होने पर राजधानी के कई इलाकों में जलभराव की समस्या सामने आती है। नगर निगम की ओर से जलनिकासी के लिए अस्थाई इंतजाम तो कर दिए जाते हैैं, लेकिन प्रॉपर तरीके से समस्या से निजात नहीं मिल पाती। जब अगली बार बारिश होती है तो फिर जलभराव होता है। यह आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि जलभराव की समस्या से आपको फिलहाल तो राहत नहीं मिलने वाली है। इसकी वजह यह है कि नाले-नालियां सीधे तौर पर सीवरेज से कनेक्ट हैैं, जिसकी वजह से सीवरेज ब्लॉक हो रहे हैैं और जलभराव के रूप में समस्या सामने आ रही है। सुएज इंडिया द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी फिलहाल नाले-नालियों के लिए अलग से कोई ड्रेनेज सिस्टम डेवलप होता नजर नहीं आ रहा है।
छह जोन की हकीकत आई सामने
नगर निगम से जुड़ी सुएज इंडिया की ओर से जोन एक, दो, तीन, चार, छह और सात में सीवरेज सिस्टम को लेकर सर्वे कराया गया था। इस सर्वे का पूरा फोकस नाले-नालियों के ड्रेनेज सिस्टम और सीवरेज की कंडीशन से जुड़ा हुआ था। यह सर्वे जीपीएस बेस्ड था, जिसकी वजह से वही प्वाइंट सामने आए हैैं, जहां सीवरेज सिस्टम की कंडीशन खराब है। सर्वे के बाद जो रिपोर्ट तैयार कराई गई है, उससे साफ है कि राजधानी में करीब 245 प्वाइंट ऐसे हैैं, जहां नाले-नालियां सीधे तौर पर सीवरेज से कनेक्टेड हैैं। जिसके कारण सीवरेज सिस्टम ब्लॉक हो रहा है और परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है।
अलग से कोई ड्रेनेज नहीं
सभी 110 वार्डों में नाले-नालियां हैैं और इन्हें सीधे बड़े नालों से कनेक्ट किया जाना चाहिए। दरअसल, जब बारिश होती है तब नाले-नालियां ओवरफ्लो हो जाते हैैं और उनमें सॉलिड वेस्ट भी आ जाता है। चूंकि अभी नाले-नालियां सीधे सीवरेज से कनेक्ट हैैं तो बारिश का पानी और सॉलिड वेस्ट सीधे सीवरेज में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से सीवरेज ब्लॉक हो जाता है। जिसके बाद जलभराव की समस्या शुरू होती है। अगर नाले-नालियों को बड़े नालों से कनेक्ट कर दिया जाए तो साफ है कि सॉलिड वेस्ट या बारिश का पानी सीधे बड़े नालों में जाएगा। जिसके बाद पानी को एसटीपी के माध्यम से शोधित करके सीधे गोमती में भेजा जा सकेगा।
पब्लिक भी जागरूक नहीं
अमूमन देखने में आता है कि पब्लिक की ओर से घर के बाहर या अंदर की नालियों को सीधे सीवरेज से कनेक्ट करा दिया जाता है। उन्हें यह पता नहीं होता है कि नाले-नालियों को सीवरेज से कनेक्ट नहीं कराना है बल्कि उसके लिए अलग से व्यवस्था है। ज्यादातर लोग नासमझी में ऐसा करते हैैं, जिसके बाद मोहल्ले में पानी भरने पर उन्हें ही समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पब्लिक को भी जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है कि नाले-नालियों को सीधे सीवरेज से कनेक्ट न किया जाए। इसके लिए नगर निगम और जलकल को आगे आना होगा और वार्डवार जागरूकता अभियान चलाना होगा।
कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं
पब्लिक की ओर से नाले-नालियों को सीधे तौर पर सीवरेज से कनेक्ट करा लिया जा रहा है और जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है। एक दो प्वाइंट तो ऐसे हैैं, जहां छोटे नाले सीधे तौर पर सीवरेज से कनेक्टेड हैैं। यह काम तो पब्लिक द्वारा नहीं कराया जा सकता। ऐसे में संबंधित विभागों को कर्मचारियों को भी अवगत कराया जाना चाहिए कि नाले-नालियों को सीधे तौर पर सीवरेज से कनेक्ट न करें।
इन मुख्य जगहों पर जुड़े हैैं प्वाइंट्स
-छत्तन पार्क
-लालकुआं चौराहा
-छितवापुर रोड
-भुईयन देवी मंदिर मार्ग
-शेरवाली कोठी
-विकास नगर सेक्टर पांच
-विकास नगर सेक्टर 2
-सेक्टर क्यू
-सीतापुर रोड
-सेक्टर के
-अलीगंज
-सेक्टर जे
-अलीगंज
-सेक्टर बी
-अलीगंज
-पेपर मिल कॉलोनी
-मैथली शरण गुप्त वार्ड
-बालागंज
-अंबेडकरनगर
-मालवीय नगर
-लोहिया नगर
जो सर्वे कराया गया था, उससे साफ हुआ कि करीब 245 प्वाइंट ऐसे हैैं, जहां नाले-नालियां सीधे सीवरेज से कनेक्ट हैैं। इसकी वजह से नाले-नालियों में आने वाला बारिश का पानी और सॉलिड वेस्ट सीधे सीवरेज में जा रहा है। जिसकी वजह से सीवरेज ब्लॉक हो रहे हैैं और जलभराव की समस्या सामने आ रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए नाले-नालियों के लिए अलग से ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे जलभराव की समस्या से जनता को राहत मिले।
-राजेश मठपाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सुएज इंडिया, लखनऊ