लखनऊ (ब्यूरो)। माह ए रमजान इस वक्त आखिरी पड़ाव पर है। वैसे तो रमजान का पूरा महीना इबादत का है लेकिन महीने के आखिरी दिनों में कोई भी अल्लाह की रहमत से महरूम नहीं रहना चाहता। इसलिए हर कोई दुआ करे कि ऊपर वाले की रहमत बनी रहे।
सन्नी सवाल जवाब
सवाल- चार भाईयों का माल मिला जुला है। अगर बांटा जाएं तो किसी का हिस्सा निसाब के बराबर नहीं होता है तो क्या सदका वाजिब है।
जवाब- ऐसी हालत में किसी पर भी सदका वाजिब नहीं।
सवाल- अगर हाफिज साहब ने तरावीह की नमाज़ में सजदा तिलावत को नमाज के सजदे के साथ अदा किया यानी तीन सज्दे किया तो क्या नमाज सही होगी।
जवाब- नमाज में जिस वक्त सजदे वाली आयत पढ़ें, इसी वक्त सजदा कर लिया जाए और अगर देर किया और नमाज के सजदों के साथ किया तो सजदा सहू लाजिम है। सजदा सहू के बाद नमाज हो जाएगी।
सवाल- क्या इमाम के दुआ धीरे मांगना चाहिए या बुलंद आवाज से और दूसरी चीज यह है कि क्या दुआ नमाज का हिस्सा है।
जवाब- दुआ धीरे मांगना अफजल है। बुलंद आवाज से भी मांग लिया तो कोई नुकसान नहीं लेकिन इस शर्त के साथ कि दूसरे नमाजी को दिक्कत न हो। नमाज सलाम पर खत्म हो जाती है। दुआ नमाज का हिस्सा नहीं।
सवाल- हमारे गांव में कुछ औरतें तंबाकू का पत्ता जलाकर उसकी राख से रमजान में दांत साफ करती हैं। यह शरअई तौर पर कैसा है।
जवाब- अगर दांतों को मल कर धो लिया जाए कि पेट में उतर न जाये तो रोजा में कोई असर नहीं होगा।
सवाल- एक शख्स को मैंने कर्ज दिया अब वह कर्ज से इंकार कर रहा है और मेरे पास न कोई लिखित रूप मेें हैं और न ही गवाह, तो क्या इस कर्ज पर भी जकात लाजिम है।
जवाब- वुसूल होने से पहले इसकी जकात लाजिम नहीं और वुसूल होने के बाद भी गत सालों की जकात नहीं है।
शिया सवाल जवाब
सवाल-अगर काई महिला के हाथ मे मेहंदी लगी लगी हो और नेल पालिश लगी हो तो वज़ू सही हो।
जवाब- अगर मेहंदी लगी है तो वज़ू एवं गुस्ल सही होगा और नेल पालिश आदि लगी है तो पहले उसे साफ किया जाएगा उसके बाद वज़ू किया जाए तो सही होगा।
सवाल- अगर कोई व्यक्ति दुआ, अफतार के बगैर रोजा खोल दे तो क्या हुक्म है।
जवाब- कोई हरज नहीं है रोजा सही होगा।
सवाल- एतेकाफ जो कि तीन दिन का है, जिसमें मस्जिद में रहना जरूरी है क्या मस्जिद से बाहर निकलने से एतेकाफ टूट जाएगा।
सवाल- एतेकाफ में बैठने के बाद जरूरी कार्यों के लिए निकला जा सकता है जैसे गवाही देना, मोमिन के जनाज़े में शामिल होना वगैरह।
जवाब- क्या फितरे का पैसा दूसरे शहर भेजा जा सकती है।
सवाल- अगर खुद उसके शहर में जरूरतमंद नहीं है तब दूसरे शहर में फितरा भेज सकते हैं।
सवाल- हलाल जानवर का पित्ता, तिल्ली, मसाना खाने के लिए क्या हुक्मे शरई है।
जवाब- हलाल जानवर अगर कुरबानी भी किया गया हो तब भी यह सारी चीज हराम है।