- सीबीआई ने पांच आरोपितों के खिलाफ अदालत में दाखिल की चार्जशीट
- हाईकोर्ट के दो कर्मचारी, वकील का मुंशी और दो प्राइवेट पर्सन मिले दोषी
LUCKNOW:
इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाई सिक्योरिटी जोन से क्रिमिनल अपील के मुकदमे से संबंधित दस्तावेज गायब करने के बाद उसे जलाने की साजिश में हाईकोर्ट के दो कर्मचारी और एक वकील का मुंशी शामिल था। उन्होंने अलीगढ़ निवासी दो आरोपितों सुभाष चंद्र और चंद्रवीर से पैसे लेकर यह वारदात अंजाम दी थी। मामले की जांच कर रही सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने शनिवार को पांच आरोपितों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी। इनमें से तीन को सीबीआई ने विगत सात जून को गिरफ्तार किया था। चार्जशीट में हाईकोर्ट के कर्मचारी नरेंद्र कुमार और लक्ष्मण मौर्या को भी दोषी बताया गया है। मालूम हो कि हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने विगत नौ मार्च को इस मामले की एफआईआर दर्ज की थी।
नरेंद्र और लक्ष्मण मौर्या भी दोषी
बताते चलें कि विगत सात जून को सीबीआई ने इस मामले में हाईकोर्ट के चपरासी दिलीप कुमार चंदेल के अलावा संबंधित मुकदमे के दो आरोपितों सुभाष चंद्र और चंद्रवीर सिंह को अरेस्ट किया था। दरअसल हाईकोर्ट से क्रिमिनल अपील से संबंधित दस्तावेज गायब होने के बाद वहां के डिप्टी रजिस्ट्रार पीके खत्री ने इस मामले की एफआईआर दर्ज करायी थी। इसमें उन्होंने हाईकोर्ट के दो चपरासी दिलीप कुमार चंदेल और नरेंद्र कुमार समेत छह लोगों पर संदेह जाहिर किया था। इनमें अलीगढ़ के क्वारसी निवासी पैरोकार सुभाष चंद्र, चंद्रवीर सिंह, बासुदेव और राजवीर भी शामिल थे। बासुदेव, राजवीर बनाम राज्य सरकार से संबंधित क्रिमिनल अपील के दस्तावेज गायब होने के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की प्रारंभिक जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसका केस दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिए थे। आशंका जताई गयी कि 27 जुलाई 2016 को क्रिमिनल अपील सेक्शन की अलमारी से दस्तावेज गायब किए गये हैं। राजधानी स्थित सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे के निर्देश पर डिप्टी एसपी प्रशांत श्रीवास्तव ने इस मामले की जांच शुरू की।
बासुदेव और राजवीर के खिलाफ सुबूत नहीं
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि दस्तावेज चोरी कराने में अलीगढ़ निवासी बासुदेव और चंद्रवीर की कोई भूमिका नहीं थी। जांच में सामने आया कि जिस दिन दस्तावेज गायब किए गये, रिकॉर्ड रूम के बाहर लगा सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था। इसकी वजह कंप्यूटर हैंग होना बताया गया। सीबीआई ने जब दिलीप कुमार चंदेल की कॉल डिटेल खंगाली तो मालूम पड़ा कि वह सुभाष चंद्र और चंद्रवीर सिंह से लगातार संपर्क में था। उनके बीच दस्तावेज चोरी कर देने के एवज में पैसों का लेन-देन चल रहा था। इसके बाद दिलीप ने लक्ष्मण मौर्या की मदद से विगत एक सितंबर 2016 को उन्हें दस्तावेज उपलब्ध करा दिए और जलाने को कहा। इसके अगले दिन दोनों गांव चले गये और रात आठ बजे दस्तावेजों को आग के हवाले करने के बाद दिलीप को फोन पर बता दिया।