LUCKNOW: दोस्ती ऐसा ऐसा रिश्ता होता है, जिसे हम खुद बनाते हैं। जो बातें हम अपने परिजनों से साझा नहीं कर सकते हैं उन्हें भी दोस्तों से ही साझा करते हैं। दोस्त भी मुसीबत के समय हमारी पूरी मदद करते हैं, यही चीज इस रिश्ते को सबसे खास बनाती है। वहीं जब बात फ्रेंडशिप डे की हो, तो दोस्तों की यादें अपने आप आने लगती हैं। इस बार फ्रेंडशिप डे संडे यानि 2 अगस्त को है। आइए आज कुछ ऐसे लोगों की बात करते हैं, जिनके लिए दोस्ती का रिश्ता बाकी किसी रिश्ते से कम नहीं है। पेश है अनुज टंडन की रिपोर्ट
हम अलग-अलग किताब खरीदते थे
जब मैं 12वीं की पढ़ाई कर रहा था तो बॉयोलॉजी में मेरे साथ मेरे दो दोस्त डॉ। रणधीर सिंह और डॉ। प्रमोद भी थे। हम कंबाइंड स्टडी करते थे। तीनो मिडिल क्लास से थे इसलिए महंगी किताबें खरीदना संभव नहीं था। ऐसे में हम तीनों अलग-अलग किताबें खरीदते थे। 1976 में मेरा केजीएमसी में दाखिला हो गया। बाद में मेरे इन दोस्तों का भी यही दाखिला हो गया। हम लोगों ने पहले की तरह एक-दूसरे की मदद करते हुए पढ़ाई जारी रखी। आज डॉ। रणधीर पंजाब में हैं, वहीं डॉ। प्रमोद अब हमारे बीच नहीं हैं। हम तीनों ने एक साथ जो सपना देखा था, उसे एक साथ ही पूरा किया। यही दोस्ती है।
डॉ। डीएस नेगी, डीजी हेल्थ
मेरा दोस्त ही मेरा गुरु और एडवाइजर
कॉलेज में इंट्री ली तो करियर को लेकर चिंतित था। इसी बीच मुझे अभय एक सच्चे दोस्त के रूप में मिला, जो मेरे लिए किसी गुरु और एडवाइजर से कम नहीं है। एलयू में मैंने अभय के साथ रह कर मेहनत से पढ़ाई करना सीखा। उसके उत्साहवर्धन से ही मैंने यूजीसी व नेट से लेकर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा दो बार पास की। वो हमेशा कहता था कि तुम यह कर सकते हो। हमने एमए से सिविल सेवा की परीक्षा तक तैयारी साथ ही की थी। ईश्वर की कृपा से हम दोनों ही सफल हुए। आज अभय मिश्रा एसीपी हैं और मैं जीएसटी अधिसूचना महानिदेशालय में ज्वाइंट डायरेक्टर हूं। हम दोनों एक दूसरे को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं।
अनूप कुमार वर्मा, ज्वाइंट डायरेक्टर, जीएसटी अधिसूचना महानिदेशालय
परिवार से बढ़कर है दोस्त
मेरे बचपन का दोस्त अतुल कुमार सिंह एसटीपीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर है। मुझे कहीं भी जान हो तो टिकट बुक कराना, मेरे भाई की फीस जमा करना आदि हर काम में वो मेरी मदद करता रहा। मेरा दूसरा दोस्त कुलप्रकाश सिद्धार्थ आरएएफ में डिप्टी कमांडेंट है, वो भी मेरी खूब मदद करता है। मैं उनके साथ मिलकर स्ट्रीट एनिमल को खाना खिलाने और गरीबों की मदद करने का भी काम करता हूं। हम लोग आर्थिक दिक्कत आने पर एक दूसरे की मदद भी करते हैं, ताकि किसी को परेशानी न हो। मेरे दोस्त मेरे लिए परिवार से भी बढ़कर हैं।
सौरभ सिंह, एजीएम, यूको बैंक