- यूपी सरकार की ओर से मिली हरी झंडी

LUCKNOW: अब केजीएमयू में भी अब हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल सकेगी। केजीएमयू प्रदेश का पहला संस्थान होगा जहां पर अंगों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। लंबे समय से प्रयासरत केजीएमयू प्रशासन को इसके लिए यूपी सरकार की ओर से हरी झंडी मिल गई है। अब तक देश के चुनिंदा संस्थानों में ही इसकी सुविधा है।

पूरे यूपी में कहीं नहीं है सुविधा

फिलहाल पूरे उत्तर प्रदेश में चाहे वह संजय गांधी पीजीआई हो या फिर बीएचयू और एएमयू के अस्पताल कहीं भी हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट करने की सुविधा नहीं है। केजीएमयू के डिप्टी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि इससे बड़ी संख्या में गरीब और जरूरतमंद मरीजों को सुविधा मिलेगी। अब तक यूपी केमरीजों को दिल्ली या फिर साउथ के राज्यों में हार्ट व लंग ट्रांसप्लांट के लिए जाना पड़ता था। अब इन जरूरत मंद मरीजों को यूपी से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

कीमत भी होगी कम

प्रो। एसके सिंह ने बताया हार्ट के ट्रांसप्लांट में खर्च बहुत आता है। दूसरे संस्थानों में लगभग 10 से 15 लाख का खर्च आता है और मरीज को ताउम्र हर माह लगभग 35 से 40 हजार की इम्युनो सप्रेशन दवाएं खानी पड़ती हैं। लेकिन केजीएमयू में इसकी कास्ट काफी कम होगी जिसे जल्द ही फाइनल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट के मरीजों से सबसे बड़ा खर्च इम्युनो सप्रेशन दवाओं का हैं।

हार्ट फेल होने पर पड़ती है जरूरत

केजीएमयू के कार्डियोवैस्क्युलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रो। एसके सिंह ने बताया कि कई बार मरीज का हार्ट फेल कर जाता है जिसके बाद मरीज की जिंदगी बचाने के लिए ट्रांसप्लांट ही आखिरी रास्ता बचता है। चाहे वह ब्रेन डेड मरीज से लिया गया हार्ट हो या फिर आर्टीफीशियल हार्ट। डॉक्टर्स के अनुसार लंग्स यानी फेफड़े को ट्रांसप्लांट की जरूरत उन मरीजों को पड़ती है जिन्हें बहुत अधिक सांस की दिक्कत होती है। वे खुद से सांस नहीं ले पाते। ऐसे में लंग्स का ट्रांसप्लांट ही आखिरी रास्ता बचता है। बहुत से हार्ट फेल वाले मरीजों में लंग्स भी फेल हो जाते हैं।

केजीएमयू में एक ही विभाग में

वर्तमान में देश में दिल्ली स्थित एम्स, के अलावा चेन्नई, हैदराबाद, बंगलौर व साउथ के कुछ अन्य बड़े संस्थानों में ही हार्ट व ट्रांसप्लांट की सुविधा है। हालांकि इन सभी संस्थानों में एक साथ हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं मिल पाती लेकिन केजीएमयू में एक ही विभाग में ये दोनों सुविधाएं होंगी।

ब्रेन डेड मरीजों से मिलेंगे अंग

प्रो। एसके सिंह ने बताया कि केजीएमयू के लिए ट्रांसप्लांट में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे पास दो दो ट्रॉमा सेंटर हैं। जहां पर अक्सर ब्रेन डेड मरीज आते हैं। उन मरीजों के परिजनों की काउंसलिंग के बाद मरीजों के लिए अंग मिल सकेंगे।

बहुत अधिक बढ़ रही बीमारी

केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग के प्रो। शेखर टंडन ने बताया कि देश में हार्ट की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। लोग आराम तलब जिंदगी पसंद कर रहे हैं। युवा भी एक्सरसाइज नहीं करते जिसके कारण समस्या बढ़ रही है। अगर रोजाना आधे घंटे की दौड़ लगाई जाए तो हार्ट की समस्या से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश में बहुत बड़ी संख्या में हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है लेकिन या तो सुविधाओं की कमी के कारण इन्हें बचा नहीं पाते।