लखनऊ (ब्यूरो)। Harmilap Building Accident In Lucknow: ट्रांसपोर्ट नगर में तीन मंजिला इमारत ढहने से 8 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि 28 से ज्यादा लोग हादसे में घायल हुए थे। हादसे के 50 घंटे से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन अब तक पूरी तरह से मलबा साफ नहीं हो सका। सोमवार को भी मलबा हटाने का काम जारी रहा। हालांकि, अब यह मलबा लोगों के मुसीबत बन रहा है। इमारत के ढहने से लाखों रुपये की दवा मलबे में दबकर खराब हो गई तो दूसरे फ्लोर पर मोबिल ऑयल कंपनी के गोदाम में रखा माल भी बर्बाद हो गया। दवा व मोबिल ऑयल के मिलने पर मलबा न केवल आवारा जानवरों बल्कि इंसानी जिंदगी के लिए भी खतरनाक बन गया है। इसे देखते हुए मौके पर ड्रग विभाग की टीम को भी बुलाया गया है ताकि यह जानकारी हो सके कि मलबे में कौन से केमिकल मिलने से खतरनाक हो सकता है।
दवा कंपनी के लोग पहुंच मौके पर
तीन मंजिला इमारत में सबसे ज्यादा जान व माल का नुकसान दवा गोदाम में हुआ है। जान गंवाने वालों और घायलों में ज्यादातर यहां के कर्मचारी थे। वहीं, गोदाम में रखा पूरा माल बर्बाद हो गया। सोमवार को दिल्ली की दवा कंपनी के प्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे और उनसे यह डिटेल मांगी गई कि कौन-कौन सी दवा गोदाम में थी और वह मलबे में दबने से कितनी नुकसानदायक हो सकती है। ड्रग विभाग की टीम को भी मौके पर बुलाया गया था पर दोपहर तक ड्रग विभाग के अफसर व कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंच सके थे।
रोड पर फैली दवाएं बटोर ले गए लोग
इमारत गिरने से गोदाम में रखा पूरा माल बर्बाद हो गया, दवाएं चारों तरफ फैली थीं। कई लोग दवाएं बटोर कर भी अपने साथ ले गए। हालांकि, इसके बाद पुलिस ने इमारत के आस-पास के एरिया को सुरक्षा घेरे में ले लिया।
अब तक 30 ट्रक मलबा उठ चुका है
नगर निगम अब तक 30 ट्रक मलबा मौके से हटा चुका है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा को देखते हुए मलबा हटाने का काम धीमी गति से किया जा रहा है ताकि आस-पास मौजूद अन्य बिल्डिंग को इससे नुकसान न हो सके। वहीं, लगातार बारिश व जलभराव के चलते भी मलबा हटाने का काम प्रभावित हो रहा है।
कभी गुलजार रहती थी बिल्डिंग
टीपी नगर के फेज वन के बिल्डिंग नंबर 54 कभी गुलजार रहती है। बिल्डिंग के तीनों फ्लोर पर हर दिन दर्जनों कर्मचारियों के साथ सैकड़ों लोगों का आना-जाना रहता है। हर दिन ट्रक माल लोड व अनलोड करते थे। दर्जनों ट्रक ड्राइवर व मजूदर बिल्डिंग के नीचे महफिल जमाए रहते थे। शनिवार को हादसे के बाद वह पूरा इलाका वीरान हो गया है। अब बस बिल्डिंग का मलबा और उसकी सुरक्षा में जुटे पुलिस कर्मियों के अलावा जांच एजेंसी के लोग भी वहां हैं।
इस दर्द की भरपाई नहीं हो पाएगी
टीपी नगर में तीन मंजिला इमारत गिरने से हुई 8 लोगों की दर्दनाक मौत ने केवल आठ जिंदगियां ही नहीं बल्कि उनसे जुड़े दर्जनों लोगों के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया है। कोई जिंदगी की नई शुुरुआत करने वाला था तो कोई बच्चों को काबिल इंसान बनाना चाहता था। हादसे के बाद परिवार वालों का कहना है कि दोषी कोई भी हो, सजा किसी को भी मिले लेकिन उनके दर्द की भरपाई नहीं हो पाएगी।
सबकुछ बर्बाद हो गया
दवा कंपनी में ड्राइवर के पद पर काम कराने वाला धीरज गुप्ता के परिवार में उसकी पत्नी कविता व दो बच्चे नव्या व अर्नब हैं। धीरज के ऊपर न केवल उसके परिवार बल्कि उसके पिता, मां व भाई की भी जिम्मेदारी थी। कंपनी के सुपरवाइजर राकेश कुमार ने कुछ दिन पहले बेटी की हाथ पीले किए थे और अब बेटे नितिन को पढ़ा लिखाकर काबिल इंसान बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे। पत्नी सुमन का कहना है कि केवल हमारे सपने ही नहीं बल्कि सबकुछ बर्बाद हो गया।
आखिर अब हमारा क्या होगा
रजनीखंड निवासी डाला ड्राइवर पंकज के पिता का निधन होने के बाद उसके तीन भाइयों व मां के साथ-साथ अपने दो बच्चों की भी जिम्मेदारी थी। हादसे में उसकी मौत के बाद पूरा परिवार बेसुध है और उनकी आंसू से भरी आंखों में बस एक ही सवाल है कि आखिर अब क्या होगा।