लखनऊ (ब्यूरो)। भक्तों के विघ्नों को हरने के लिए विघ्नहर्ता पधार रहे हैं, जो विभिन्न भव्य पंडालों में तो विराजेंगे ही साथ ही घरों में भी विधिवत स्थापित होंगे। राजधानी में 10 दिवसीय गणेश उत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। आज यहां शनिवार को बप्पा विशाल पंडालों में विराजकर भक्तों को दर्शन देंगे।
विशाल महल और करोड़ों का बीमा
राजधानी में सबसे विशाल पंडाल झूलेलाल वाटिका में बनाया जाता है। श्री गणेश प्राकट्य कमेटी के संरक्षक भारत भूषण ने बताया कि 10 दिवसीय गणेश उत्सव 7-17 सितंबर तक चलेगा। इसबार करीब 1400 वर्गफुट में 85 फीट महलनुमा भव्य और विशाल पंडाल तैयार किया गया है, जो पूरी तरह से वॉटरप्रूफ बनाया गया है। इसके अलावा भक्तों का 10 करोड़ रुपये और बप्पा का 25 लाख रुपये का बीमा कराया गया है। इसबार मूर्ति को मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर तैयार कराया गया है।
जगन्नाथ मंदिर में विराजेंगे गणपति
पेपरमिल कॉलोनी में अक्षय समिति के महासचिव रोहित आहुजा ने बताया कि इसबार जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर पंडाल तैयार कराया गया है, जो करीब 52 फुट ऊंचा बनाया गया है। जिसे पाइन की लकड़ी से तैयार किया गया है जो वॉटरप्रूफ होता है। इसबार 11 फीट की गणपति प्रतिमा स्थापित होगी, जबकि आयोजन 15 सितंबर तक चलेगा। प्रतिदिन शाम को वाराणसी की तर्ज पर बप्पा की आरती की जाएगी। वहीं, श्री गणेश उत्सव मंडल द्वारा अमीनाबाद का राजा की स्थापना की जाएगी। मंडल के अतुल अवस्थी के मुताबिक, 7 सिंतबर को स्थापना और 13 सितंबर को विसर्जन किया जाएगा। वहीं, पत्रकारपुरम गणेश समिति के संरक्षक राम सागर यादव ने बताया कि इसबार 9 फीट ऊंची और 16 फुट चौड़ी मूर्ति की स्थापना शनिवार को होगी। गणेश विसर्जन 17 सितंबर को किया जाएगा।
दिखेगा मराठी रंग
दूसरी ओर श्रीगणेश उत्सव मंडल चौक के अध्यक्ष विशाल पाटिल ने बताया कि इसबार 9 दिवसीय आयोजन राम मनोहर लोहिया पार्क में होगा। जहां पूरी तरह मराठी अंदाज में गणेश उत्सव मनाया जाएगा। पंडाल में लालबाग के राजा के तर्ज पर सात फीट की गणपति की स्थापना की जायेगी। जिसे मराठी मूर्तिकारों ने तैयार किया है। इसके अलावा मराठी कलाकारों द्वारा ढोल के धुनों के बीच दही हांडी का भी आयोजन किया जाएगा। पंडाल को उप्र संस्कृति के तर्ज पर सजाया गया है। साथ ही सुबह 9 और रात 9 बजे मराठी तर्ज पर आरती की जाएगी।
इको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड ज्यादा
गणेश उत्सव को लेकर मार्केट में गणेध प्रतिमा की खरीदारी भी तेज हो गई है। इसबार भी इको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड सबसे ज्यादा है ताकि विसर्जन के दौरान कम से कम प्रदूषण हो। कलाकार पंकज गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र की साढ़ू मिट्टी से गणेश प्रतिमा को तैयार किया जाता है। इसमें विभिन्न बीज डाले जाते हैं, जिसे गमले में विसर्जन करने के बाद पौधा निकलता है। मूर्तिकार अमरजीत ने बताया कि मिट्टी की गणेश प्रतिमा तैयार की गई है। जो हर साइज और अलग प्रकार की है। जिनकी शुरुआत पांच रुपये से लेकर हजारों में है। वहीं, मूर्तिकार निलोय ने बताया कि मूर्ति की डिमांड काफी हो रही है। पंडालों के लिए तो पहले से ही आर्डर मिल चुके थे। इसके अलावा लोग भी घरों में स्थापित करने के लिए आर्डर दे रहे है। जो साइज व डिजाइन के हिसाब से अलग-अलग मूल्य के मिल रहे है। पहले के मुकाबले मूर्तियों के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।