- मुख्यालय से जेल प्रशासन को कराए गए उपलब्ध, दिया गया प्रशिक्षण
- बैरक के आसपास तैनात बंदी रक्षक होंगे लैस, लखनऊ से भी नजर
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LUCKNOW:
अब माफिया मुख्तार अंसारी बॉडी वार्न कैमरों और ड्रोन कैमरे की निगाह में रहेगा। जेल मुख्यालय से मंडल कारागार प्रशासन को पांच बॉडी वार्न और एक ड्रोन कैमरा मुहैया कराया गया है। इसके लिए डिप्टी जेलर प्रभाकांत पांडेय और वीरेश्वर प्रताप सिंह प्रशिक्षित किए गए हैं।
हर कदम पर नजर
माफिया मुख्तार अंसारी को बांदा मंडल कारागार में शिफ्ट करने से पहले ही जेल के अंदर और बाहरी परिसर की सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई थी। जेल में आए पांच बॉडी वार्न कैमरों से वो सुरक्षा कर्मी लैस रहेंगे, जो मुख्तार अंसारी की बैरक के आसपास तैनात किए गए हैं। कैमरों के जरिए मुख्तार के हर कदम पर जेल प्रशासन के साथ मुख्यालय की नजर रहेगी। जेल के एक अफसर के मुताबिक, सुरक्षा के हर पहलू पर नजर रखी जा रही है। माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब की रूपनगर जेल से सात अप्रैल को बांदा मंडल कारागार में शिफ्ट किया गया था।
क्या है बॉडी वार्न कैमरा
बॉडी वार्न कैमरा सुरक्षा कर्मियों के कंधे के पास कपड़ों में लगाया जाता हैं। इसमें बातचीत भी रिकार्ड होती है। जीपीएस और जीपीआरएस के जरिए यह सीधे कंट्रोल रूम से जोड़ा जाता है। इसकी कीमत लगभग 25 हजार रुपये है।
शरणदाताओं के साथ रिश्तेदारों पर भी खुफिया की नजर
अफसरों की नजर मुख्तार के गुर्गो, शरणदाताओं, रिश्तेदारों व करीबियों पर टिक गई है। पूर्व में जेल में रहने के दौरान माफिया का परिवार और उसके खास शूटरों को बांदा में शरण दिए जाने को लेकर खुफिया सक्रिय है। कुछ ऐसे लोगों की सूची भी बनी है, जिनके माफिया से संबंध बताए जाते हैं। माफिया के दो करीबी रिश्तेदार भी बांदा में रहते हैं। उनकी तलाश करने के बाद नजर रखी जा रही है।
पुलिस का दबाव देख न्यायालय में आत्मसमर्पण की कर रहे हैं तैयारी
एंबुलेंस प्रकरण में मुख्तार के गुर्गों की तस्वीर पुलिस की जांच में साफ होने लगी है। खाकी की गिरफ्त में आता देख इस प्रकरण से जुड़े आरोपित बचाव की मुद्रा में आ गए हैं और पुलिसिया हत्थे चढ़ने के बजाए न्यायालय में आत्मसमर्पण की योजना बना रहे हैं। बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय में जालसाजी से 2013 में एक एंबुलेंस मऊ के श्याम संजीवनी हास्पिटल की संचालिका डा.अलका राय के नाम पंजीयन करा दी गई थी। पंजाब में मोहाली जेल पर पेशी के लिए जब मुख्तार ने इस एंबुलेंस का प्रयोग किया तो यह प्रकरण सामने आया। हालांकि शुक्रवार को जांच के दायरे में आए एक आरोपित ने पुलिस की जद में आने के बजाए सीधे न्यायालय में आत्मसमर्पण की योजना बनाई। इसकी भनक लगी और पुलिस की सक्रियता ने उसकी उम्मीद पर पानी फेर दिया।
चहेतों को खुद बांटता था ठेका, ठेकेदार जिताते थे चुनाव
विधायक मुख्तार अंसारी का खौफ 2000 से 2010 के बीच चरम पर रहा। अपने आपराधिक साम्राज्य के चरम काल में उसने बड़ी से बड़ी घटनाओं को अंजाम दिलवाया। सबसे पहले मऊ से विधायक बना तो यहां के आíथक स्त्रोतों पर काबिज हुआ। फिर धीरे-धीरे खुद अपने चहेतों को काम बांटता था। खास यह कि वह ठेका आदि के बदले कमीशन न लेकर इसकी पूíत विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान ठेकेदारों से करवाता था। लोक निर्माण विभाग के ठेके हों, जिला पंचायत या आरइएस के, मुख्तार खुद अपने लोगों को बांटता था।
21 सितंबर 2003 को रेलवे फाटक स्थित लोक निर्माण विभाग में टेंडर डाले जा रहे थे। टेंडर के समय तत्कालीन बसपा विधायक मुख्तार का गुर्गा वहां बैठकर ठेकेदारों को मना कर दिया कि अगर मुख्तार अंसारी के चहेतों के अलावा किसी ने टेंडर डाला तो खैर नहीं। इसके विरोध में ठेकेदार हजारी सिंह, जितेंद्र सिंह ने बाल निकेतन मोड़ पर चक्काजाम कर दिया। इसी दौरान लाव-लश्कर के साथ पहुंचे मुख्तार अंसारी से टेंडर डालने से वंचित ठेकेदारों ने शिकायत की। इस पर खफा विधायक ने एक ठेकेदार को थप्पड़ जड़ दिया।