लखनऊ (ब्यूरो)। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 कानून की धारा 305 के तहत राजधानी में पहली एफआईआर निगोहां थाना में दर्ज हुई। निगोहां के कुशमौरा गांव में मंडे को तीन किसानों के घर चोरी हुई। सुबह किसान सोनू कश्यप के घर चोरी हुई। इसके पहले दो अन्य घर वारदातें भी हुई थीं। खटपट सुनकर जागे सोनू ने रात तीन बजे पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी।

घर पर पहुंचाई एफआईआर की काफी

सूचना मिलने के पौन घंटे में पुलिस मौके पर पहुंच गई। तफ्तीश हुई, पीड़ित से मौके पर ही तहरीर की कॉपी पुलिस ने ले ली। दोपहर 12:38 बजे बीएनएस की नई धारा 305 के तहत मुकदमा दर्ज कर सोनू को एफआईआर की कॉपी खुद देने पुलिस कर्मी पहुंचे। सोनू के मुताबिक, वह परिवार के साथ सो रहे थे। रात करीब ढाई बजे खटपट सुनकर उनकी आंख खुली। वह बाहर निकले तो देखा बाउंड्रीवाल पर दो लोग खड़े हैं। शोर मचाने पर वे कूदकर भाग निकले। इसके बाद घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। कमरे में पहुंचे तो वहां सारा सामान अस्त-व्यस्त था। बक्से और अलमारियों के लॉक टूटे थे। चोर करीब दो लाख के जेवर और 30 हजार रुपये की नकदी चोरी कर ले गए। वहीं, गांव के ही श्यामलाल के घर में घुसे चोर 29 हजार रुपये की नकदी और करीब दो लाख के जेवर पार कर ले गए। पड़ोसी गांव बाजपेयी खेड़ा में सुनील पांडेय के घर चोरों ने रात 12:40 बजे वारदात की। दरवाजे को धक्का देकर खोला। घर में घुसकर 50 हजार के ज्वैलरी पार कर ले गए।

फॉरेंसिक टीम ने मौके पर की जांच पड़ताल

तीनों घटनास्थल पर कार्यवाहक थानाप्रभारी राजेश कुमार और पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे। फॉरेंसिक और पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। एडीसीपी दक्षिणी शशांक सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर चोरों की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि पुलिस जब भी मौके पर पहुंचती है और अगर वहां पर उसे पीड़ित द्वारा तहरीर मिलती है तो मुकदमा दर्ज कर उसे एफआइआर की कॉपी दे दी जाती है।

पहले दिन घट गई एफआईआर की संख्या

राजधानी हर दिन प्रमुख थानों में सौ से ज्यादा एफआईआर दर्ज कराई जाती हैं। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के बदलाव के चलते थाना में पुलिस कर्मियों के पीछे केस रजिस्टर्ड करने में पसीने छूट गए। उन्हें बीएनएस की संशोधित धारा की किताब को कई बार पलटना पड़ा। हालांकि, इससे पहले इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल लेबल पर ट्रेनिंग दी जा चुकी है लेकिन संशोधित कानून को चलन में लाने में अभी पुलिस कर्मियों को भी वक्त लगेगा।

पहले चोरी की धारा थी 380

पहले चोरी का मुकदमा आईपीसी की धारा 380 में दर्ज किया जाता था। बीएनएस लागू होने के बाद इसकी धारा 305 हो गई है। दोनों में सजा का प्रविधान एक ही है। सजा में एक अवधि के लिए कारावास होता है। उसे सात साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा जुर्माना भी लगता है।