- पीएचडी की फर्जी डिग्री के आधार पर प्रवक्ता पद पर नियुक्ति का मामला

- आरटीआई के तहत जानकारी जुटाकर दूसरे अभ्यर्थी ने दर्ज करायी एफआईआर

LUCKNOW : लखनऊ यूनिवर्सिटी में पीएचडी की फर्जी डिग्री के आधार पर प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के मामले में एक अन्य अभ्यर्थी ने तीन पूर्व वीसी समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है। वर्ष 2006 में हुई इस नियुक्ति को 2008 में राज्यपाल दफ्तर के आदेश पर रद्द कर दिया गया था। हालांकि, बीते दिनों इस भर्ती पर फिर से विचार करने की कवायद शुरू कर दी गई थी।

नहीं पूरी करती थी अर्हता

इंदिरानगर के सेक्टर 9 निवासी डॉ। प्रशांत पांडेय के मुताबिक, लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा 28 मार्च 2006 को एक न्यूजपेपर में विज्ञापन जारी कर प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिये आवेदन आमंत्रित किये गए थे। प्रशांत के मुताबिक, उन्होंने भी अर्थशास्त्र प्रवक्ता के पद के लिये आवेदन किया था। आवेदन पत्र की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2006 निर्धारित थी। इसके लिये इंटरव्यू में गोमतीनगर निवासी कविता चतुर्वेदी को अर्हता पूरी न करने के बावजूद प्रवक्ता पद पर नियुक्ति दे दी गई। प्रशांत ने बताया कि जब उन्हें इसकी भनक लगी तो उन्होंने एलयू में सूचना के अधिकार के तहत कविता चतुर्वेदी के आवेदन फॉर्म व संलग्न दस्तावेजों की प्रतिलिपि मांगी। पर, एलयू की ओर से इन्हें देने से मना कर दिया गया।

राजभवन के दखल के बाद रद्द हुई नियुक्ति

जिसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग के जरिए सूचना मांगी। आखिरकार, कुलसचिव की ओर से उन्हें जो सूचना दी गई वह हैरान करने वाली थी। प्रशांत ने बताया कि जो जानकारी मिली वह साजिश की ओर इशारा कर रही थी। इसमें कविता चतुर्वेदी की पीएचडी उपाधि प्राप्ति का वर्ष 2005 लिखा था। जबकि, असल में कविता को लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा पीएचडी की प्रोविजनल डिग्री 17 अगस्त 2006 को मिली। यानी आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2006 के साढ़े तीन महीने बाद। लिहाजा, उन्हें इंटरव्यू के लिये अर्ह ही नहीं होना चाहिये था। उन्होंने इसकी शिकायत राज्यपाल से की। जिसके बाद राज्यपाल के आदेश पर 8 जुलाई 2008 को कविता चतुर्वेदी की नियुक्ति रद्द कर दी गई।

बॉक्स।

दो बार लिखित के स्वीकारा

डॉ। प्रशांत पांडेय ने बताया कि यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलसचिव एके दमेले ने दो बार लिखित में स्वीकार किया कि कविता चतुर्वेदी ने आवेदन में जो वर्ष 2005 की पीएचडी डिग्री लगाई थी। जिसे बाद में 17 अगस्त 2006 की पीएचडी की प्रोविजनल डिग्री से बदल दिया गया। डॉ। प्रशांत ने बताया कि उन्होंने इस फर्जीवाड़े की शिकायत पूर्व वीसी डॉ। एसपी सिंह व डॉ। एके शुक्ला से भी की लेकिन, उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उधर, उन्हें पता चला कि कविता चतुर्वेदी की भर्ती फिर से करने की कवायद शुरू हो गई है। जिस पर प्रशांत ने कविता चतुर्वेदी, तत्कालीन वीसी प्रो। आरपी सिंह, पूर्व कुलसचिव एके दमेले, पूर्व वीसी एसपी सिंह और पूर्व कुलसचिव व वीसी एसके शुक्ल के खिलाफ थाना हसनगंज में धोखाधड़ी व कूटरचना की धाराओं में एफआईआर दर्ज करायी।

कोट

कविता चतुर्वेदी की नियुक्ति मेरे कार्यकाल से कई वर्ष पहले हुई थी। मामला न्यायालय में चल रहा था। न्यायालय के फैसले के बाद राज्यपाल के आदेश पर कविता की नियुक्ति निरस्त की गई थी। फिर कविता ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इसके बाद राज्यपाल के यहां से पुनर्विचार के आदेश दिए गए। इसमें एक कमेटी का गठन हुआ था। पूरे मामले में मेरी कहीं कोई भूमिका नहीं है। मुझ पर लगे आरोप निराधार हैं।

-प्रो.एसपी सिंह, पूर्व कुलपति, एलयू

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सेलेक्शन कमेटी ने कविता चतुर्वेदी की नियुक्ति की थी। बाद में उसके शैक्षिक दस्तावेजों में कुछ गलतियां पाई गई थीं, जिसपर नियुक्ति निरस्त कर दी गई थी। मामला करीब 15 साल पुराना है, मुझे इसमें ज्यादा कुछ याद भी नहीं है।

-प्रो.आरपी सिंह, पूर्व कुलपति, एलयू