लखनऊ (ब्यूरो)। पढ़ाई का प्रेशर, सोसाइटी का प्रेशर, करियर में कुछ हासिल करने का स्ट्रेस और न जाने कितनी ही तरह की चिंताओं के चलते जेन-जी की जिंदगी में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। कोई खुद में सिमट चुका है तो कोई सोशल मीडिया की गहराइयों में खो गया है। नतीजा, इस एज गु्रप के लोगों में डिप्रेशन और सुसाइड की समस्या बढ़ रही है। दशहरा के पर्व पर जिस तरह 10 सिर वाले रावण की बुराइयों का अंत हुआ था, उसकी तरह अगर जेन-जी भी अपने अंदर की इन 10 बुराइयों का 'दहन' करने का फैसला कर ले, तो निश्चित ही उनका फ्यूचर स्ट्रेस फ्री और ब्राइट होगा।

ये 10 बदलाव लाने होंगे

1-वर्क प्लेस स्ट्रेस-युवाओं को वर्क प्लेस पर आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार करना होगा और हर चैलेंज को खुशी-खुशी एसेप्ट करना होगा।

2-सोशल मीडिया अटैचमेंट-सोशल मीडिया को रियल लाइफ से दूर रखें और रील्स बनाने से अच्छा है रीयल लाइफ में आने वाले चैलेंज को फेस करें। खुद को स्ट्रांग बनाएं।

3-फाइनेंशियल स्टेटस-सबसे पहले तो युवाओं को खुद को दूसरों से कंपेयर करने की आदत से दूरी बनानी होगी। फाइनेंशियल स्टेटस की जगह खुद को अपनी क्षमता के आधार पर स्थापित करना होगा।

4-फिजिकल हेल्थ-जिम जाना अच्छी बात है, लेकिन खुद को फिट दिखाने के लिए योगा पर भी फोकस करें। जल्दी सेहत बनाने के लिए स्टेरायड इत्यादि का यूज न करें।

5-पैरेंट्स के साथ कम्युनिकेशन-यंगस्टर्स अपने पैरेंट्स के साथ हर एक बात खुलकर शेयर करें ताकि पैरेंट्स अपने अनुभव के आधार पर समस्या का समाधान कर सकें।

6-करियर सेलेक्शन-पैरेंट्स और टीचर्स के साथ कम्युनिकेशन जरूर करें, जिससे करियर सेलेक्शन संबंधी स्ट्रेस से निजात मिल सके।

7-टाइम मैनेजमेंट-हर एक युवा को अपनी लाइफ स्टाइल और स्टडी शेड्यूल के हिसाब से टाइम मैनेजमेंट सेट करना होगा ताकि वे खुद के लिए भी समय निकाल सकें।

8-हाई सैलरी की उम्मीद-युवाओं को समझना चाहिए कि पहले अनुभव कमाएं, फिर सैलरी पर फोकस करें। बढ़ते अनुभव के साथ ही बेहतर सैलरी मिलती है।

9-बिहेवियर चेंज-जेन-जी को सोशल फिगर बनने पर फोकस करना होगा। जब वे समाज के अलग-अलग लोगों से मिलेंगे तो उनकी सोच का दायरा भी बढ़ेगा।

10-गोल सेट करें-सबसे पहले तो गोल सेट करना होगा फिर उस तक पहुंचने के लिए खुद को तैयार करना होगा।

नंबर गेम

40 मामले दर्ज होते हैं युवाओं द्वारा किए जाने वाले अपराध से जुड़े हर महीने

70 मामले सामने आते हैैं ऑनलाइन गेमिंग में फंसकर पैसा गंवाने से जुड़े

30 से 35 युवा स्ट्रेस में पड़कर हर महीने कर लेते हैैं सुसाइड

40 फीसदी युवा वर्क प्लेस पर खुद को स्ट्रेस फ्री नहीं रख पाते

150 युवा हर महीने काउंसिलिंग के लिए आते हैैं केजीएमयू व अन्य अस्पतालों में

हर युवा को समझना होगा कि रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर है। अगर लाइफ में खुश रहता है तो खुद को स्ट्रेस फ्री रखना होगा। साथ ही, जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को रियल लाइफ में तैयार रखना होगा।

डॉ। आदर्श त्रिपाठी, मनोचिकित्सक, केजीएमयू