लखनऊ (ब्यूरो)। अगर किसी पॉल्यूटेड नदी को उसके मूल स्वरूप में लौटाना है और उसमें पानी का फ्लो साफ रखना है तो उसके लिए एक निश्चित अंतराल में ड्रेजिंग (मशीन से नदी में जमा वेस्ट निकालने की प्रक्रिया) का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। अब अगर लखनऊ की लाइफलाइन कही जाने वाली गोमती नदी की बात की जाए तो करीब 23 साल पहले इसमें ड्रेजिंग कराई गई थी और उसके बाद किसी ने भी इस दिशा में दोबारा सोचना की कवायद तक नहीं की। परिणामस्वरूप गोमती की तलहटी में फिर से भारी मात्रा में बालू और वेस्ट जमा हो गया है। अगर सही से ड्रेजिंग कराई जाए तो गोमती को करीब 50 फीसदी तक स्वच्छ किया जा सकता है।
ड्रेजिंग से मिली थी संजीवनी
वर्ष 2001 में गोमती में ड्रेजिंग कराई गई थी। इस कार्य के लिए करीब दो करोड़ रुपये किराये पर ड्रेजर मशीन लाई गई थी। गऊ घाट से लेकर गोमती बैराज तक ड्रेजिंग का कार्य कराया गया था और यह कार्य करीब एक महीने तक चला था। ड्रेजिंग के दौरान भारी मात्रा में सिल्ट और बालू निकाली गई थी।
ड्रेजिंग एक नजर में
30 दिन चला था ड्रेजिंग का कार्य
12 किमी करीब कराई गई थी ड्रेजिंग
2001 में हुआ था ड्रेजिंग का कार्य
अब फिर से जरूरत
23 साल लंबा वक्त होता है। ऐसे में अब फिर से ड्रेजिंग वर्क की जरूरत महसूस की जा रही है। अगर अब ड्रेजिंग हो जाए तो साफ है कि वर्ष 2001 के मुकाबले तीन गुना अधिक बालू और वेस्ट निकलेगा। गोमती सफाई अभियान से जुड़े लोगों की माने तो जब तक ड्रेजिंग नहीं होगी, तब तक गोमती को पूरी तरह से स्वच्छ बनाया नहीं जा सकता है।
ये दो कदम भी उठाने होंगे
1-नालों का तुरंत डायवर्जन-वर्तमान समय में करीब 33 नाले हैैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गोमती में गिर रहे हैैं। हालांकि जिम्मेदारों का दावा है कि 20 के करीब नालों की टैपिंग कराई जा चुकी है। इसके बावजूद गोमती में नालों का गिरना बदस्तूर जारी है। सफाई समितियों का मानना है कि जब तक सभी नालों को डायवर्ट नहीं किया जाएगा तब तक गोमती स्वच्छ नहीं होगी। उनका यह भी सुझाव है कि अगर नाले गोमती में गिर रहे हैैं तो फिल्टरेशन प्रक्रिया को और बेहतर बनाना होगा।
2-शारदा नहर से लिंक-वर्ष 2001 में ही एक योजना बनी थी कि गोमती को शारदा नहर से लिंक किया जाएगा, लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। इसकी वजह से भी गोमती में पानी का ठहराव देखने को मिलता है। अगर इस योजना को इंप्लीमेंट कर दिया जाए तो गोमा में स्वच्छता देखी जा सकती है।
ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ानी होगी
भरवारा और दौलतगंज एसटीपी की बात की जाए तो अभी इन प्लांट की क्षमता बढ़ाए जाने की जरूरत है साथ ही कई अन्य प्वाइंट्स पर भी एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) को स्थापित किए जाने की जरूरत है। अभी करीब 250 एमएलडी पानी साफ नहीं पा रहा है और सीधे गोमा में जा रहा है।
सीवेज प्लांट की क्षमता
345 एमएलडी क्षमता भरवारा एसटीपी की
56 एमएलडी क्षमता दौलतगंज एसटीपी की
450 एमएलडी सीवरेज पानी हो रहा ट्रीट
701 एमएलडी सीवरेज हो रहा है जेनरेट
250 एमएलडी पानी अभी साफ नहीं हो पा रहा
700 एमएलडी पानी जेनरेट हो रहा
पूरी राजधानी की बात करें तो रोज 700 एमएलडी सीवरेज वाटर जेनरेट हो रहा है। इसमें से करीब 450 एमएलडी पानी ट्रीट किया जाता है। यह योजना बनाई गई है कि भरवारा, बिजनौर में नए एसटीपी के शुरू किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो जेनरेट होने वाले सीवरेज के पानी को पूरी क्षमता के साथ ट्रीट किया जा सकेगा।
चार एजेंसियां कर रहीं मॉनीटरिंग
केंद्र के साथ लोकल लेवल पर चार एजेंसियां दोनों एसटीपी संचालन की मानीटरिंग कर रही हैं। इन एजेंसियों में यूपीपीसीबी, सीएसआईआर, ऑनलाइन मानीटरिंग और यूपी जल निगम शामिल हैं। समय-समय पर अमृत योजना 2.0 से जुड़े केंद्रीय स्तर के अधिकारी भी प्लांट्स की विजिट करते हैं।
वर्ष 2001 के बाद से गोमती में कभी ड्रेजिंग का काम नहीं कराया गया है। इसकी वजह से गोमती की तलहटी में फिर से बालू और भारी मात्रा में गंदगी जमा हो गई है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर से ड्रेजिंग कराए जाने की जरूरत है।
रिद्धि किशोर गौड़, महामंत्री, शुभ संस्कार समिति
सोशल मीडिया पर आए कमेंट्स
1-गोमती को स्वच्छ रखने के लिए व्यापक स्तर पर सफाई अभियान चलाए जाने की जरूरत है। अगर गोमती साफ नहीं होगी तो पेयजल संकट भी गहरा जाएगा।
उर्वशी, आशियाना
2-सिर्फ कागजों में योजनाएं बनाने से कुछ नहीं होगा, इसके लिए जिम्मेदारों को फील्ड पर उतरकर काम करना होगा।
आकाश, कैसरबाग
3-सभी विभागों को मिलकर संयुक्त रूप से गोमती को बचाने के लिए आगे आना होगा। वर्तमान समय में गोमती खासी मैली है।
सुदर्शन, गोमतीनगर