लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी ट्रामा सेंटर के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब संस्थान पर आरोप लगा है कि 9 माह के एक मासूम के डायलिसिस में लापरवाही की गई, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। परिजनों ने मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया गया और शुक्रवार को मासूम की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि घटना के वक्त नर्स मोबाइल पर बिजी थी तो डाक्टर अपने कमरे में सो रहे थे। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो गया है। परिजनों ने इसकी शिकायत सीएमएस से की। वहीं, केजीएमयू प्रशासन ने आरोपों से पूरी तरह इंकार कर दिया है।

लूज मोशंस और निमोनिया की समस्या

मासूम के मामा प्रवीण यादव ने बताया कि हम लोग गोरखपुर से आये हैं। भांजे अनिमोदय को लूज मोशंस और निमोनिया की शिकायत थी। पहले गोरखपुर में दिखाया, लेकिन समस्या बढ़ने पर यहां ले आए। बेड नहीं मिला तो लखनऊ के एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां उसे एक सप्ताह तक भर्ती रखा गया। इसके बाद दोबारा 14 जून को केजीएमयू ट्रामा में पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती कराया।

डायलिसिस शुरू किया गया

भांजे की तबियत खराब होने वर उसका डायलिसिस शुरू किया गया। 28 जून देर रात 2 बजे उसकी तबियत अचानक ज्यादा खराब हो गई। उसकी सांस उखड़ने लगी। हम लोगों ने मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने सुना तक नहीं। हालत बिगड़ती देख हमने उसके गले में फंसी गंदगी को खुद साफ किया, जिससे बच्चे को कुछ राहत मिली। बच्चे को एंबुबैग के सहारे रखा गया था। उसकी पल्स गिर रही थी। इसके बाद भी स्टाफ ने मदद नहीं की। इलाज में की गई लगातार लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई।

पहले भी दिखाया था केजीएमयू में

मृतक के मामा के अनुसार, भांजे को पहले भी समस्या हुई थी। तब उसे 28 मई को केजीएमयू के पीडियाट्रिक विभाग में दिखाया था। जहां विभागाध्यक्ष ने उसका इलाज किया था। उसे कई दिन वार्ड में भर्ती रखा गया। वहां उसकी हालत ठीक हो गई, जिसके बाद वे उसे वापस घर ले गए। कुछ दिन बाद दोबारा तबियत खराब होने पर उसे वापस यहां लेकर आये थे।

नर्स मोबाइल में बिजी, डॉक्टर सो रहे थे

बच्चे के पिता जितेंद्र यादव, जो ठेेकेदार हैं, ने सीएमएस से लिखित शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया है कि नर्स यूट्यूब से देखकर डायलिसिस कर रही थी, जिससे बच्चे का खून बाहर निकलने लगा। बच्चे की तबियत खराब हुई तो स्टाफ से मदद मांगी पर सबने अनसुना कर दिया। मृतक की मां बबिता डॉक्टर्स के रेस्ट रूम में गई, वहां डॉक्टर सो रहे थे। उन्हें जगाया गया तो उन्होंने कहा, सब ठीक हो जाएगा। डॉक्टर देखने भी नहीं आए। पीआरओ से भी बात की फिर भी मदद नहीं मिली। मासूम की सांसें देर रात करीब 2:45 पर थम गईं। मासूम की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

दबाव बनाने का लगाया आरोप

परिजनों का आरोप है कि कोई भी अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था। स्टाफ दबाव बनाकर वीडियो डिलीट करवाने लगे और चिल्लाने लगे। वहीं, मामले को लेकर शिकायत करने जब पुलिस के पास पहुंचे तो वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। हारकर परिजन बेटे का शव लेकर वापस गोरखपुर चले गये। परिजन सीएम से इसकी शिकायत की बात कर रहे हैं।

मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन हो गया था

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह के अनुसार, 9 माह के बच्चे को 14 जून को भर्ती किया गया था। बच्चा दो माह से बीमार था। तीन बार अस्पताल में भर्ती होने सहित कई डाक्टरों से परामर्श लिया था। बच्चे को बुखार, डायरिया, निमोनिया, पैंसीटोपेनिया के लक्षण थे। अंतर्निहित इम्युनोडेफिशिएंसी के चलते, सेप्सिस का उपचार किया गया। सांस की परेशानी देखकर उसे उच्च प्रवाह ऑक्सीजन पर रखा गया। तबियत खराब होने पर पीआईसीयू में ट्रांसफर किया गया। निमोनिया की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए, अधिक बैक्टीरिया को कवर करने के लिए आईवी एंटीबायोटिक्स को अपग्रेड किया गया। बच्चे की हालत खराब होती चली गई। तमाम कोशिशों के बाद भी बच्चे की हालत बिगड़ती गई। सेप्टीसीमिया के बाद मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन हो गया था, जिस पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं हो रहा था। जिसके बारे में परिजनों को पूरी जानकारी दी गई थी।

परिजनों के प्रति पूरी संवेदना है। उनके आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं। किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती गई।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

लापरवाही की वजह से मेरे भांजे की जान चली गई। स्टाफ और डॉक्टर, किसी ने कोई मदद नहीं की। हमें अब न्याय मिले और दोषियों पर कार्रवाई हो।

-प्रवीण यादव, मृतक के मामा