लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के पैथालॉजी विभाग की डॉक्टर ने पित्ताशय के कैंसर की पहचान के लिए एक नए बायोमार्कर की खोज की है। इस बायोमार्कर की मदद से पित्ताशय के कैंसर के मरीजों को चिन्हित किया जा सकेगा। जिससे समय रहते उनका इलाज शुरू किया जा सकेगा। हालांकि, यह रिसर्च अभी शुरुआती स्तर पर की गई है। पर इससे कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंसेज में भी प्रकाशित किया गया है।
एंटीजन लेवल से लगाया पता
पैथोलॉजी विभाग की प्रो। प्रीति अग्रवाल ने यह बायोमार्कर खोजा है। प्रो। प्रीति के मुताबिक, पित्ताशय के कैंसर की मृत्युदर लगभग 70 प्रतिशत है, इसलिए इसका जल्दी पता लगाना बहुत जरूरी है। शोध में हमने कैंसर के 83 लोगों का ब्लड सैंपल लेकर जांच की। पित्ताशय के कैंसर के रोगियों के ब्लड में एंटीजेन सीए 19.9 और सीए 242 दोनों का स्तर काफी अधिक था। ऐसे में, इस एंटीजन के स्तर का पता कर के हमने कैंसर रोगियों की जांच के लिए नया बायोमार्कर बनाया है। मरीजों में इस एंटीजन के स्तर का पता करके भी कैंसर रोगियों का पता किया जा सकता है।
बड़े स्तर पर रिसर्च की जरूरत
डॉ। प्रीति के मुताबिक, यह रिसर्च का रिजल्ट शुरुआती स्टेज का है। इसके लिए और बड़े स्तर पर रिसर्च करने की जरूरत है, ताकि इसे अच्छे से स्टैब्लिश किया जा सके। हालांकि, इस लेवल को चेक करके ही कैंसर का पता आसानी से लगाया जा सकता है कि मरीज में कैंसर होने की संभावना है।
आईसीयू में सही इलाज के लिए मंथन करेंगे एक्सपर्ट
पर्सनलाइज्ड मेडिसिन की विधा से आईसीयू में भर्ती होने वालें मरीजों का सटीक रोग निदान कर, सटीक औषधियों एवं उनकी सटीक मात्रा का चयन करते हुए मरीजों का सफल एवं सटीक उपचार प्रदान कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा सकता है। क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में पर्सनलाइज्ड मेडिसिन की इकाई स्थापित हो चुकी है। शासन द्वारा मैनपावर के पदों का सृजन किया जा चुका है। इस इकाई के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की पैथोलोजिकल आदि परीक्षण फ्री करने के लिए विभिन्न शोध परियोजनओं में अनुदान के लिए आवेदन किया गया है। जिनमें से कई परियोजनाओं की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। विभाग में प्रीसीजन मेडिसिन की लैब में उपकरण आदि स्थापित हो चुके है। यह जानकारी मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रो। अविनाश अग्रवाल ने आईसीयू में प्रिसीजन मेडिसिन-पर्सनलाइज्ड मेडिसिन एवं इंटेसिव केयर की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए दी।
तीन दिन होगी कॉन्फ्रेंस
डॉ। अविनाश ने बताया कि क्रिटीकल केयर मेडिसिन विभाग न केवल प्रदेश बल्कि संपूर्ण भारत में पहला विभाग है जहां पर्सनलाइज्ड-प्रीसीजन मेडिसिन की इकाई स्थापित की गयी है। इस दौरान उन्होंने, 7 फरवरी 2024 से शुरू होने वाली तीन दिवसीय प्रिसीजन मेडिसिन एवं इंटेसिव केयर पीएमआईसी-2024 कॉन्फ्रेंस के अंतर्गत चरणबद्ध संपन्न होने वाली कार्यशालाओं के बारे में बताया, जिसमें देश-विदेश के करीब 250 विशेषज्ञ सम्मिलित होंगे।