लखनऊ (ब्यूरो)। हर साल बड़ी संख्या में बारिश के दौरान लोग डेंगू का शिकार बनते हैं। चूंकि डेंगू के इलाज के लिए अभी कोई स्पेसिफिक दवा या ट्रीटमेंट मौजूद नहीं है, इसलिए डॉक्टर्स केवल लक्षणों के आधार पर ही मरीज का ट्रीटमेंट करते हैं। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस बीमारी की वैक्सीन आ सकती है, जिसका ट्रायल राजधानी के केजीएमयू में शुरू हो चुका है। डॉक्टर्स की मानें तो शुरुआत में इसका अच्छा इंपैक्ट देखने को मिल रहा है। उम्मीद है कि साल के आखिरी तक वैक्सीन आ सकती है।
वैक्सीन का ट्रायल जारी है
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने केजीएमयू को ट्रायल सेंटर के तौर पर मान्यता दी है, जोकि पूरे देश में कुछ चुनिंदा संस्थानों को ही दी गई है। केजीएमयू में संक्रामक रोग, न्यूरोलॉजी और लिवर संबंधी बीमारियों को लेकर क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है। संक्रामक रोगी प्रभारी व एमएस डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि डेंगू से बचाव को लेकर वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है। यह थर्ड फेज का ट्रायल है। ट्रायल में कितने लोग शामिल हैं इसके बारे में नहीं बताया जा सकता। कोई भी जानकारी ट्रायल पूरा होने के बाद ही दी जा सकती है। यह ट्रायल एक सीजन तक चलेगा, जो सभी तरह के सीरोटाइप से सुरक्षा देगा। इसके अलावा अन्य सेंटर्स पर भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। ऐसे में मल्टी सेंटर्स ट्रायल पूरा होने के बाद डेटा एनालिसिस किया जाएगा, जिसके बाद ही कहा जा सकेगा कि ट्रायल कितना सफल हुआ। अगर सबकुछ ठीक रहा तो वैक्सीन साल के अंत तक आ सकती है।
डेंगू के 4 सीरोटाइप होते हैं
डेंगू वायरस के 4 सीरोटाइप होते हैं, जो डी-1 से लेकर डी-4 तक होते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, डेंगू संक्रमण दोबारा होने और पहले के सीरोटाइप से अलग होता है तो मर्ज गंभीर हो सकता है, क्योंकि एंटीबॉडी पहले सीरोटाइप को लेकर बनती है। ऐसे में दूसरा सीरोटाइप होने से प्रतिरक्षा प्रणाली काम नहीं करती है, जिससे डेंगू आसानी से फैलता है और गंभीरता भी अधिक होती है। ऐसे में लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए।
लक्षणों के आधार पर ही ट्रीटमेंट
डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि अभी डेंगू के ट्रीटमेंट के लिए कोई दवा या वैक्सीन नहीं आई है। ऐसे में डॉक्टर्स लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज करते हैं। पर कई बार मरीज सेल्फ मेडिकेशन शुरू कर देते हैं, जिससे काफी दिक्कतें आ जाती हैं। लोगों को खुद से कोई दवा लेने से बचना चाहिए। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर के बताये इलाज को ही फॉलो करना चाहिए।
सतर्कता ही बेहतर बचाव
डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक, चूंकि डेंगू के मच्छर दिन के समय अधिक काटते हैं। ऐसे में बच्चे इसकी जद में ज्यादा रहते हैं। बच्चों को पूरी बांह और पैर कवर करने वाले कपड़े पहनाकर ही स्कूल भेजना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में भी बताना चाहिए ताकि वे भी जागरूक हो सकें। इसके अलावा, बुजुर्ग और अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों को भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
डेंगू वैक्सीन को लेकर ट्रायल शुरू हो चुका है, जिसका थर्ड फेज का चल रहा है। यह ट्रायल एक सीजन चलेगा। उम्मीद है कि जल्द ही वैक्सीन आ जाएगी।
-डॉ। डी हिमांशु, प्रभारी, संक्रामक रोग विभाग
सोशल मीडिया पर बोले लोग
समय पर फॉगिंग और छिड़काव हो तो कुछ राहत मिले। जब समस्या बढ़ जाती है तब जाकर विभाग जागता है। ऐसे में डेंगू से बचाव कैसे होगा। विभाग को गंभीरता के साथ काम करना चाहिए।
- मुदित स्वरूप
डेंगू हर साल अपना असर दिखाता है। फॉगिंग आदि का मच्छरों पर कोई असर नहीं होता। बारिश के बाद जगह-जगह जलभराव रहता है। जिम्मेदार विभागों को चाहिए कि ऐसा न होने दें ताकि मच्छरों को पनपने का मौका न मिले।
- हरिओम द्विवेदी
डेंगू की रोकथाम में लोगों को भी सहयोग करना चाहिए। ये मच्छर घरों में ज्यादा पनपते हैं। ऐसे में अपने घरों मे कहीं भी पानी न जमा होने दें। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग की मदद भी लेनी चाहिए।
- अभिषेक सिंह
जिन घरों में डेंगू के मच्छर मिलें उनपर कड़ी कार्रवाई हो। विभाग को चाहिए कि एक बार छिड़काव के बाद कुछ अंतराल के बाद दोबारा छिड़काव कराना चाहिए ताकि समय रहते मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।
- प्रज्ञा खरे