लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में इसबार डेंगू का स्ट्रेन-3 सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित कर रहा है। सैंपल की हुई जांच में 44.82 पर्सेंट में स्ट्रेन-3 की पुष्टि हुई। इतना ही नहीं, कई सैंपल में डेंगू के डबल स्ट्रेन यानि एक साथ दो अलग-अलग स्ट्रेन भी मिले हैं। यह खुलासा संजय गांधी पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा की गई सिरोलॉजी जांच में हुआ है। जो रेंडम सैंपलिंग के आधार पर की गई है। यह रिपोर्ट सीएमओ को भी सौंपी गई है। एक्सपर्ट्स की माने तो स्ट्रेन-3 कम खतरनाक होता है और मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत कम ही पड़ती है।
अबतक 3105 मरीज मिले
राजधानी में डेंगू के मरीज लगातार मिल रहे हैं। हालांकि, ठंड बढ़ने के साथ डेंगू मरीजों की संख्या में कमी आई है। जनवरी से अबतक डेंगू के 3105 मरीज मिल चुके है। वहीं, डेंगू से केवल एक ही मौत हुई है, जो फैजुल्लागंज निवासी एक बच्चा था। वहीं, मरीजों की संख्या की बात करें तो ज्यादा मरीज सितंबर व अक्टूबर में सामने आये थे। जहां मरीजों को संख्या एक दिन में 65 से अधिक तक पहुंच गई थी। हालांकि, डॉक्टर्स की माने तो इसबार डेंगू का डंक ज्यादा गंभीर देखने को नहीं मिला है। क्योंकि बीते साल की तरह इसबार अस्पतालों में भी कम मरीज भर्ती हुए है। क्योंकि लोगों में हल्के लक्षण के साथ प्लेटलेट्स चढ़ाने की भी कम जरूरत पड़ रही है।
डेनवी-2 सबसे गंभीर डेंगू
केजीएमयू में माइक्रोबायलॉजिस्ट प्रो। शीतल वर्मा के मुताबिक, डेंगू के चार सिरोटाइप्स भारत में पाये जाते हैं, जो डेनवी 1 से लेकर 4 तक होते हैं। इनमें डेनवी-1 में साधारण बुखार होता है। यह अन्य की तुलना में कम गंभीर होता है। डेनवी-2 में गंभीर डेंगू, डेंगू हेमरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम देखने को मिलता है। डेनवी-3 विशेष रूप से सेकेंड्री इंफेक्शन के दौरान गंभीर रोग पैदा कर सकता है। वहीं, डेनवी-4 आमतौर पर हल्के संक्रमण से जुड़ा हुआ होता है। भारत में यह सबसे कम देखने को मिलता है।
सिरोटाइप का असर क्षेत्रों में अलग-अलग
भारत में सिरोटाइप का प्रकोप अलग-अलग देखने को मिलता है, जो समय-समय पर बदलता रहता है। सभी सिरोटाइप्स का सह-अस्तित्व कई क्षेत्रों को हाइपरएंडेमिक बना देता है। सिरोटाइप्स के बीच क्रॉस रिएक्टिविटी के कारण सेकेंड्री इंफेक्शन के दौरान रोग अधिक गंभीर हो सकता है। हाल के वर्षों में डेनवी-2 और डेनवी-3 का प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिला है। हालांकि, डेनवी-1 और डेनवी-4 भी रिपोर्ट किए जाते रहे हैं।
मिक्स स्ट्रेन को करें डबल चेक
प्रो। शीतल वर्मा बताती हैं कि अगर किसी मरीज में दो तरह का डेंगू स्ट्रेन मिलता है तो इसका मतलब दो सिरोटाइप मिला है। ऐसा होने पर सैंपल को डबल चेक करना चाहिए। साथ ही सीक्वेंसिंग भी करनी चाहिए, ताकि सही से पता चल सके। डबल स्टे्रन का मिलना मतलब एक ही मच्छर में दोनों स्ट्रेन का होना हो सकता है। जो दो अगल-अलग स्ट्रेन के मरीजों को काटने से आ जाता है या फिर दो अलग-अलग स्ट्रेन वाले मच्छरों के कांटने से भी ऐसा होने की संभावना हो सकती है।
डेंगू स्ट्रेन प्रतिशत
स्ट्रेन-1 13.79
स्ट्रेन-2 27.58
स्ट्रेन-3 44.82
स्ट्रेन-4 00
स्ट्रेन-1एंड3 6.89
स्टे्रन-2एंड3 6.89
डेंगू इसबार ज्यादा घातक साबित नहीं हो रहा है। लोगों में हल्के लक्षण ज्यादा देखने को मिले हैं। कम लोगों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। पर लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।
-डॉ। निशांत निर्वाण, जिला सर्विलांस अधिकारी
अगर दो स्ट्रेन मिले हैं तो डबल चेक के साथ सीक्वेंसिंग भी करनी चाहिए। हालांकि, लोगों को डरने की जगह सतर्कता व सावधानी बरतनी चाहिए।
-डॉ। शीतल वर्मा, केजीएमयू