लखनऊ (ब्यूरो)। 'जाइए यहां से, हमें सब पता है, इस समय घर पर कोई नहीं है, बाद में आइएगा। परेशान न करें, हमारे यहां कोई गंदगी नहीं है', कुछ ऐसा ही जवाब मिलता है डेंगू की रोकथाम में लगी टीमों को जब वे लोगों के घरों की जांच करने जाती हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो लोग टीम को भगाने के लिए अपने डॉग्स तक उनपर छोड़ देते हैं। ऐसी सिचुएशन आमतौर पॉश एरिया में सामने आती है। यहां घरों में गमले, फ्लावर वास आदि रखे होते हैं। ऐसे में डेंगू की रोकथाम में काफी दिक्कतें आती हैं। इन इलाकों में डेंगू के मामले भी हर साल बढ़ जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के समझाने के बावजूद कोई सुनने को तैयार नहीं होता।

पॉश एरिया में सबसे ज्यादा दिक्कत

लोगों का सहयोग न मिलने से मच्छरों का आतंक रोकने के अभियान पर असर पड़ता है। राजधानी में डेंगू का प्रकोप हर साल देखने को मिलता है। इसके रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम छिड़काव, सोर्स रिडक्शन और जागरूकता का काम करती है। पर इस दौरान टीमों को कई तरह की परेशानियों का सामना भी करता पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो अभियान के दौरान सबसे बड़ी प्राब्लम यह आती है कि जब कोई टीम जाती है तो सोर्स रिडक्शन का काम सबसे जरूरी होता है। चूंकि डेंगू मच्छर घरों के अंदर होते हैं, ऐसे में लोग हमें घरों के अंदर नहीं जाने देते और दरवाजे पर आकर वापस जाने, घंटी बजाने पर गेट न खोलना, टीम को डांटकर भगा देने जैसी हरकतें करते हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो अभद्रता और गालियां तक देने लगते हैं। ऐसे लोगों को समझाया भी जाता है, लेकिन कोई जल्द सुनने और समझने को तैयार नहीं होता। यह समस्या सबसे ज्यादा गोमती नगर, इंदिरा नगर, आशियाना, विकास नगर आदि जैसे पॉश एरिया में आती है।

खाली प्लॉट भी बड़ी समस्या

जो टीमें जाती हैं उनके सामने खाली प्लाट भी बड़ी समस्या होते हैं, क्योंकि लोग खाली प्लॉट की बाउंड्री वॉल बनाकर छोड़ देते हैं, जिससे प्लॉट में पेड़-पौधे उगने लगते हैं। इससे उसमें एक प्रकार का माइक्रो एनवायरमेंट बन जाता है, जो मच्छरों को पनपने का मौका देता है। पर लोग इसकी जिम्मेदारी नहीं लेते और एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल देते हैं, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है।

सेल्फ मेडिकेशन करते हैं

इसके अलावा, अभियान के दौरान लोगों को बताया जाता है कि जांच सरकारी अस्पतालों में फ्री में होती है। पर इसके बावजूद जाते नहीं और किसी निजी लैब या झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़ जाते हैं, जिसके बाद हालत खराब होने पर सरकारी अस्पतालों का रुख करते हैं। इतना ही नहीं, कई बार अभियान के दौरान पता चलता है कि लोग बीमार होने पर सेल्फ मेडिकेशन करने लगते हैं, जिससे बीमारी और बढ़ जाती है। ऐसे में इलाज करना मुश्किल हो जाता है। जब लोगों को ऐसा नहीं करने के लिए कहा जाता है तो वे सुनते नहीं हैं, जबकि सरकारी अस्पताल में डेंगू का इलाज पूरी तरह से फ्री में होता है।

लोगों को समझना चाहिए

सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल के मुताबिक, डेंगू का मच्छर साफ पानी में ही पनपता है। ऐसे में लोगों को टीम का सहयोग करना चाहिए। क्योंकि छिड़काव और सोर्स रिडक्शन का काम उनकी भलाई के लिए ही किया जाता है। कई बार टीमों को दिक्कतें आती है, लेकिन इसके बावजूद टीमें पूरी मुस्तैदी के साथ अपना काम करती है। लेागों को भी सहयोग देना चाहिए, क्योंकि लोगों के सहयोग से ही हम डेंगू को हरा सकते हैं।

डेंगू मच्छर साफ पानी में पनपता है इसलिए मच्छरों को बढ़ने से रोकने के लिए लोगों को टीमों को सहयोग देना चाहिए ताकि वह अपना काम आसानी से कर सकें। विभाग पूरी तरह से इसके लिए लगा हुआ है।

-डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ