लखनऊ (ब्यूरो) ।राजधानी में विगत 6 सालों में पांच लोगों की पुलिस कस्टडी के दौरान मौतें हुईं। पुलिस कस्टडी में मौत के बाद पुलिस कर्मियों पर गाज भी गिरती है, केस भी दर्ज होता पर अब तक किसी को सजा नहीं मिली। राजधानी में पुलिस कस्टडी में हुई मौतों के मामले में अब तक तीन घटनाओं में ही परिजनों ने केस दर्ज कराया है। अफसरों ने आननफानन में आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की। अक्टूबर में 15 दिन के भीतर दो कस्टोडियल डेथ के मामले सामने आए हैं जबकि इससे पहले 2017, 2018 और 2019 में भी पुलिस कस्टडी में डेथ हुई थी, लेकिन उन मामले पर पर्दा डाल दिया गया।
क्यों नहीं मिल पाती है सजा
लॉ एक्सपर्ट व एडवोकेट सुरेश पांडेय का कहना है कि ज्यादातर मामलों में पीड़ित परिवार केस तो दर्ज करा देता है, लेकिन लचर पैरवी और एविडेंस के अभाव के चलते केस कमजोर पड़ जाता है। जिसके चलते कई बार पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। वहीं, कई बार पीड़ित परिवार के 'मैनेजÓ हो जाने के चलते भी केस खत्म हो जाता है। इसके अलावा, पुलिस पर लगे आरोपों के बाद जांच भी पुलिस विभाग के लोग ही करते हैं, जिसके चलते जांच में भी लापरवाही की जाती है।
केस एक
20 अप्रैल 2017
निगोहां पुलिस ने 107/16 के आरोप में रामसजीवन को गिरफ्तार कर उसका चालान भेजा था। निगोहां थाना में तैनात कांस्टेबल लवदीप और एक होमगार्ड उसे कोर्ट में पेश कर जेल ले जा रहे थे। रास्ते में एक एक्सीडेंट में रामसजीवन की मौत हो गई थी, लेकिन एक्सीडेंट में कांस्टेबल व होमगार्ड को खरोंच भी नहीं आई। परिवार वालों ने रामसजीवन की हत्या का आरोप लगाया था। पुलिस अफसरों ने घटना के बाद सिपाही को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि, इस मामले में आज तक कुछ नहीं हुआ है।
केस दो
4 मई 2018
आशियाना में रहने वाली किन्नर चंचल की 22 अप्रैल 2018 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आशियाना पुलिस ने डूडा कॉलोनी में चंचल के पड़ोसी भाइयों जियाउल कुरैशी उर्फ कमरू और जियाउल हसन उर्फ भूरा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। परिजनों का आरोप था कि दोनों भाइयों को पुलिस ने काफी पीटा था। जिससे कमरू की हालत बिगड़ने पर उसे पीजीआई थाना भेज दिया गया था। 24 अप्रैल को उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और तीन दिन बाद उसे छोड़ दिया गया था। परिजनों का कहना है कि पुलिस की पिटाई से कमरू की हालत बिगड़ने उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां 4 मई को उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
केस तीन
3 जुलाई 2020
सीतापुर के महोली के मुरनिया गांव निवासी उमेश को चोरी के आरोप में गोमती नगर विस्तार पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसके ऊपर पूर्व डीआईजी उदयशंकर जायसवाल के घर में चोरी करने का आरोप था। गिरफ्तारी से पहले आरोपी की पिटाई भी की गई थी। जिससे उसे चोटें आईं। उसने थाने के लॉकअप में ही फांसी लगा ली थी। इस मामले में सीपी ने एडिशनल एसएचओ समेत ड्यूटी पर मौजूद चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था। चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ उसी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
केस चार
21 सितंबर 2020
कृष्णा नगर के प्रेम नगर निवासी विकास सोनी और स्नेह नगर में रहने वाली पारूल का अफेयर था। दोनों शादीशुदा थे, लेकिन उनके अफेयर के चलते दोनों ने घर छोड़ दिया था। 14 अगस्त 2020 को पारूल की मां ने बेटी को भगा ले जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी। कृष्णा नगर पुलिस उनकी तलाश कर रही थी और दोनों को बरेली से बरामद कर लिया था। दोनों को लखनऊ कोर्ट में पेश करने और लड़की का बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस लखनऊ लेकर आ रही थी। पुलिस कस्टडी में रास्ते दोनों ने जहर खा लिया और हालत बिगड़ने पर उन्हें ट्रामा ले जाया गया जहां दोनों की मौत हो गई। इस मामले में परिजनों ने कोई आरोप नहीं लगाया और न ही पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई की गई।
केस पांच
13 अक्टूबर 2024
विकास नगर में मारपीट की सूचना पर डायल 112 की पीआरवी मौके पर पहुंची थी। मारपीट के आरोपी की जगह पुलिस ने अंबेडकर पार्क में जुआं खेल रहे दो युवकों को पकड़ा था। पुलिस गाड़ी में बैठाकर उन्हें विकास नगर थाने लेकर पहुंंची थी। कुछ देर बाद पकड़ कर लाए गए अमन गौमत की हालत बिगड़ी और हॉस्पिटल में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने पुलिस कस्टडी में मारपीट के चलते अमन की मौत का आरोप लगाया था। इस मामले में अमन की पत्नी की तहरीर पर विकास नगर में डायल 112 पर तैनात पुलिस कर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। आरोपी पुलिस कर्मियों को डायल 112 से हटा दिया गया, लेकिन आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।