लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां शहर में बिजली के खंभों पर खुले तार मुसीबत बन रहे हैैं, तो वहीं दूसरी तरफ कटियाबाजों की वजह से भी लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ रही है। कहीं डिस्ट्रिब्यूटर बोर्ड काटकर कटिया लगाई जा रही है तो कहीं डायरेक्ट कटिया लगाने का खेल चल रहा है। इसकी वजह से भी पोल में करंट उतर रहा है और लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ रही है।
दो दिन पहले हुआ हादसा
दो दिन पहले खुनखुनजी रोड पर एक स्ट्रीट वेंडर की पोल में उतरे करंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी। जब जांच पड़ताल हुई तो यह सच सामने आया है कि पोल में लगे डिस्ट्रिब्यूटर बोर्ड के कवर कटे हुए थे। जिससे साफ था कि कहीं न कहीं इसके पीछे कटियाबाजों का खेल है। जिसकी वजह से पोल में करंट उतरा है। ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैैं। डिस्ट्रिब्यूटर बोर्ड के कवर काटे जाने से पोल में करंट उतरने का खतरा बढ़ रहा है। बारिश होने के बाद तो स्थिति और भी ज्यादा खतरनाक हो गई है।
ऑटोमैटिक स्विच की जरूरत
सबसे पहले तो स्ट्रीट लाइट पोल में ऑटोमैटिक स्विच लगाए जाने की जरूरत है। दरअसल, कई इलाके ऐसे हैैं, जहां पर पोल पर ऑटोमैटिक स्विच नहीं है। इसकी वजह से लोगों को तारों के माध्यम से ही स्ट्रीट लाइट ऑन और ऑफ करनी पड़ती है। ऐसे में अगर पोल में करंट आ जाए तो व्यक्ति की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। वर्तमान समय में दो हजार से अधिक पोल में ऑटोमैटिक स्विच लगाए जाने की जरूरत है ताकि स्ट्रीट लाइट को आसानी से ऑन और ऑफ किया जा सके।
लोहे के पोल पर स्ट्रीट लाइट
एक खतरा यह भी है कि ज्यादातर इलाकों में लोहे के पोल पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई हैैं। ये पोल लेसा के हैैं। पुराने लखनऊ की गलियों में यह तस्वीर देखी जा सकती है। लोहे के पोल पर करंट उतरने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में लोहे के पोल के स्थान पर सीमेंटेड पोल लगाए जाने की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। पॉश एरिया में तो कई प्वाइंट्स पर सीमेंटेड पोल पर स्मार्ट स्ट्रीट लाइट्स लगाई जा रही हैैं। ऐसे ही कदम अन्य एरियाज में भी उठाए जाने चाहिए।
दोनों विभागों को आना होगा साथ
स्ट्रीट लाइट पोल हो या अन्य कोई भी पोल, उसमें करंट न उतरे, इसके लिए लेसा और नगर निगम को संयुक्त रूप से साथ आना होगा। दोनों ही विभागों को एक साथ मिलकर पोल की कंडीशन देखने के लिए संयुक्त सर्वे कराना होगा। अभी तक देखने में आता है कि दोनों विभागों में आपसी सामंजस्य न होने की वजह से ज्यादातर समस्या सामने आती है। हादसे दर हादसे होने के बाद अब दोनों विभागों के अधिकारियों को साथ आकर पोल में उतरने वाले करंट संबंधी समस्या के निस्तारण के लिए कदम उठाने होंगे।