- डीएम से परमीशन न मिल पाने के कारण नहीं शुरू हो पा रहे हैं छह फिलिंग स्टेशन

- फिलिंग स्टेशन बढ़ने के बाद ही दूर हो सकेगी लो प्रेशर और भारी गैस की प्रॉब्लम

LUCKNOW : किसी सीएनजी (कम्प्रेस नेचुरल गैस) की फिलिंग स्टेशन पर लो प्रेशर की समस्या है तो कहीं भारी सीएनजी भरी जा रही है। इसका कारण है कि कम्प्रेशर की समस्या। यह प्रॉब्लम तब तक दूर नहीं हो सकती है जब तक कि राजधानी में सीएनजी फिलिंग स्टेशन की संख्या नहीं बढ़ेगी। सीएनजी फिलिंग स्टेशन में लखनवाइट्स इस समस्या से रोज जूझ रहे हैं। शहर की स्थिति पर गौर करें तो इस समय आठ सीएनजी फिलिंग स्टेशन हैं। ग्रीन गैस लिमिटेड के अधिकारियों की मानें तो डीएम एनओसी मिलने के बाद अगले एक महीने में राजधानी में छह अन्य फिलिंग स्टेशन की शुरुआत हो सकती है, लेकिन डीएम की परमीशन न मिलने से यह सभी स्टेशंस अधर में लटके हुए हैं।

लो प्रेशर की यह है वजह

ग्रीन गैस लिमिटेड के अधिकारियों की मानें तो राजधानी में लो प्रेशर और भारी गैस मिलने की समस्या को सॉल्व करने की कोशिश की जा रही है। बिना सीएनजी स्टेशन बढ़े यह प्रॉब्लम दूर नहीं हो सकती है। इसका कारण हैस्टेशन पर लगने वाली कम्प्रेस सिस्टम की कैपेसिटी 18,000 किलो गैस को कम्प्रेस करने की है। लेकिन सीएनजी स्टेशन के बाहर लगने वाली लाइनों के चलते इन मशीनों से एक दिन में 24 हजार केजी गैस क्रम्प्रेस करनी पड़ रही है। इसी के चलते कहीं लो प्रेशर तो कहीं भारी गैस की समस्या सामने आ रही है।

मगर स्टेशन को नहीं मिली अनुमति

ऐसा नहीं है कि राजधानी में सीएनजी स्टेशन की संख्या बढ़ाए जाने को लेकर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, इस समय राजधानी में विभिन्न इलाकों में छह फिलिंग स्टेशन ऐसे हैं, जहां पर डीएम परमीशन मिल जाए तो अगले एक महीने में यहां से सीएनजी का वितरण शुरू हो सकता है। इसके अलावा छह और जगहें चुनी गई हैं जहां से सीएनजी वितरण के लिए काम जल्द शुरू किया जाना है।

राजधानी में परमीशन के चक्कर में सीएनजी रिफिलिंग स्टेशन फंसे हुए हैं। इन्हें शुरू करने के लिए डीएम के यहां जरूरी कार्रवाई भी पूरी की जा चुकी है। बस अब डीएम की परमीशन का इंतजार है। इन स्टेशनों के शुरू होने के साथ ही लो प्रेशर और भारी गैस की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

- आर चड्ढा,

एमडी, ग्रीन गैस लिमिटेड, लखनऊ

मेरे पास सीएनजी के छह मामले आए थे, जिनमें तीन को दो महीने पहले ही परमीशन दी जा चुकी है। एक अन्य सीएनजी स्टेशन को भी अगले एक हफ्ते में परमीशन मिल जाएगी। इसके अलावा दो सीएनजी स्टेशन की फॉर्मेल्टीज ग्रीन गैस ने पूरी नहीं की है। इनके अलावा भी एक और मामला परमीशन के लिए आया है, इसकी भी फॉर्मेल्टीज पूरी नहीं की गई है।

- राजशेखर

जिलाधिकारी, लखनऊ।

सीएनजी के अभी आठ फिलिंग स्टेशन

- मदर स्टेशन

1. गोमती नगर

2. नादरगंज

- ऑनलाइन स्टेशन

1. इंदिरा ऑटो- आशियाना

2. त्रिकुटा फिलिंग स्टेशन- बुद्धेवर चौराहा

3. साकेत फिलिंग स्टेशन-चिनहट

डॉटर बूस्टर

- डॉटर बूस्टर

1. कोको- गोमती नगर

2. स्टैंडर्ड फिलिंग स्टेशन- मडि़यांव

3. वर्मा ऑटो मोबाइल- इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे के पास

जो फंसे हैं सीएनजी रिफिलिंग सेंटर

1. बुद्धेश्वर मोहान रोड पर निर्माण किया जाना है।

2. कलावती सुल्तानपुर रोड पर निर्माण किया जाना है।

3. वृंदावन कालोनी में दो मदर स्टेशन का निर्माण किया जाना है।

4. गोमती नगर में कम्प्रेसर बढ़ाया जाना है।

5. कोको गोमती नगर डॉटर बूस्टर है, इसे ऑनलाइन किया जाना है।

6. प्रकाश ऑटो फैजाबाद रोड डॉटर बूस्टर होगा।

- नागपुर स्थित फायर एंड एक्सप्लोसिव सेंटर के चक्कर में फंसा सीएनजी सेंटर।

1. पीजीआई के पास बने अनुराग फिलिंग सेंटर।

अगले दो साल में मिलेंगे इन जगहों पर सीएनजी फिलिंग सेंटर

1. विराजखंड में हनीमैन चौराहे के पास ऑनलाइन स्टेशन बनेगा।

2. दुबग्गा में यूपीएसआरटीसी की बसों में सीएनजी भरने के लिए बनना है मदर स्टेशन।

3. शहर के मध्य में अलीगंज स्थित मिश्रा ऑटो मोबाइल में डॉटर बूस्टर स्टेशन बनेगा।

4. तालकटोरा के इंडस्ट्रीयल एरिया में ऑनलाइन स्टेशन बनेगा।

5. प्रथम फिलिंग स्टेशन बनना है।

6. जियामऊ में अग्रवाल ब्रदर्स को सीएनजी का ऑनलाइन स्टेशन बनाया जाना है।

एक नजर में

- कारों की संख्या-8414

- ऑटो की संख्या- 6918

- बस-1520 (इसमें सिटी बसें, स्कूली बसें और प्राइवेट बसें शामिल हैं)

- लखनऊ में रोजाना सीएनजी की खपत रोजाना 80,000 किग्रा है।

ऑटो वालों से बातचीत

राजधानी के ऑटो ड्राइवर्स की मानें तो भारी गैस के चलते एवरेज पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। बस टंकी फुल कराने पर कहा-सुनी शुरू हो जाती है। हमारी ऑटो में जब टंकी चार किली की है तो भला उसमें पांच केजी गैस कैसे आ जाती है। हम तो उसी के अनुसार पैसे जेब में रखते हैं। कई बार पैसे को लेकर रिफिलिंग स्टेशन पर कहा-सुनी शुरू हो जाती है।

- रामू दुबे

भारी गैस मिलने पर हमारा बजट गड़बड़ा जाता है। समझ में नहीं आता है कि कितनी खपत हुई और कितनी बचत। लेकिन जब निर्धारित गैस मिलती है तो खर्च और बचत का अंदाजा रहता है।

- प्रवेश कुमार

लो प्रेशर में हमें अधिक परेशानी होती है। गैस चाहिए होती है चार किलो और मिलती है दो किलो। ऐसे में गाड़ी खड़ी होने का खतरा रहता है।

- रामवीर सिंह

कारवालों से बातचीत

कभी एवरेज निकाला ही नहीं कि सीएनजी में गाड़ी कितनी चलती है। सीएनजी जब भारी मिलती है तो ऐसा लगता है कि जेब काटी जा रही है। जिस टंकी में छह लीटर में फुल हो जाती है उसमें आठ लीटर तक गैस भला कैसे आ जाती है। ऐसे में यह लगता है कि कहीं हम ठगे तो नहीं जा रहे हैं।

यासीन

बिजनेस मैन

एवरेज तो कभी निकाला नहीं लेकिन सीएनजी के लिए लाइन लगाना बहुत खलता है। राजधानी में सीएनजी स्टेशन की संख्या बढ़नी ही चाहिए। इसके लिए अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना होगा।

आशीष

प्राइवेट जॉब

लो प्रेशर होने पर गैस ना मिलने और भारी गैस मिलने को लेकर राजधानी में बहुत दिक्कतें हो रही है। इस समस्या को दूर कर दिया जाए। इसके अलावा सीएनजी के लिए लाइन ना लगानी पड़े तभी कुछ राहत मिलेगी।

अखिलेश प्राइवेट जॉब

ऑटो चालकों ने किया घेराव

सीएनजी में लो प्रेशर और भारी गैस को लेकर आने वाली समस्याओं को लेकर ऑटो चालकों ने सोमवार को ग्रीन गैस लिमिटेड का घेराव किया। इसके साथ ही उन्होंने एक ज्ञापन भी एमी को सौंपा और शहर में सीएनजी स्टेशनों की संख्या बढ़ाने की डिमांड की। लखनऊ ऑटो रिकशा थ्री व्हीलर संघ आरके पाण्डेय महामंत्री के अनुसार एमडी ने हमें एक महीने के अंदर ही शहर में सीएजनी फिलिंग स्टेशन बढ़ाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा हमारी डिमांड यह थी कि लो प्रेशर और भारी गैस की समस्या को दूर किया जाए। इसके अलावा सीएनजी रिफिलिंग स्टेशन पर वहां के कर्मचारी ऑटो चालकों से अभद्रता ना करे।