लखनऊ (ब्यूरो)। फ्रेंड्स का साथ मुश्किल वक्त से बाहर निकालने में मददगार साबित होता है। अच्छा दोस्त हमारे सुख-दुख में हमारे साथ होता है। वे लोग आपको ग्रो करने में भी मदद करते हैं। साइकियाट्रिस्ट भी कहते हैं कि क्लोज फ्रेंड्स आपके जीवन में स्ट्रेस बस्टर्स का काम करते हैं, पर इंटरनेट वाले फ्रेंड्स नहीं, बल्कि असल जीवन में मिलने वाले फ्रेंड्स, जिनके साथ आप बेझिझक सबकुछ शेयर कर सकते हैं। इस वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे पर एक्सपर्ट्स बता रहे हैं जिंदगी में अच्छे दोस्तों की अहमियत के बारे में
इंटरनेट वाली फ्रेंडशिप असली नहीं
साइकियाट्रिस्ट और कैंसर संस्थान के एमएस डॉ। देवाशीष शुक्ला ने बताया कि फ्रेंडशिप का साइकोलॉजिकल पहलू अलग-अलग होता है। आज के इंटरनेट के दौर में लोग एफबी व व्हाट्सएप आदि वाले फ्रेंड को ही अपना असली फ्रेंड मान लेते हैं, पर ऐसा नहीं है। क्योंकि असल फ्रेंड बचपन में, स्कूल में या काम के दौरान बनते हैं, जिनसे आप सबकुछ बेझिझक शेयर कर सकते हैं। एक क्लोज फ्रेंड ही आपके हर सुख-दुख में शामिल होता है। जिसे आप साइकोलॉजिकली एक्सेप्ट भी करते हैं, क्योंकि वह फिजिकली आपके साथ मौजूद रहता है।जब ये फ्रेंड्स आपके साथ होते हैं तो आप मेंटली काफी रिलैक्स्ड होते हैं। आपका माइंड पूरी बॉडी को हैपी सिग्नल सेंड करता है। जिससे आप एक अलग अनुभूति करते हैं। आप जब कभी स्ट्रेस में होते है तो अपने क्लोज फ्रेंड से ही बात करते हैं, क्योंकि उनसे बात करके आपका मन हल्का हो जाता है।
हेल्प करते हैं सोशल रिलेशंस
केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के डॉ। आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि जो एवोल्यूशनरी ह्यूमन डेवलपमेंट के लिए सोशल रिलेशंस बहुत हेल्प करते हैं। क्योंकि इमोशनल और थॉट शेयरिंग महत्वपूर्ण रोल निभाता है। ह्यूमन डेवलपमेंट कहता है कि दोस्तों से बातचीत में हंसना-रोना या फालतू की बातें भी शेयर करना सोशल और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है, जो स्ट्रेस रिडक्शन में मदद करता है।
फ्रेंड्स संग बॉडी ज्यादा रिलैक्स्ड
डॉ। आदर्श बताते हैं कि कई एविडेंस हैं जो बताते हैं कि जितना अच्छा फ्रेंड सर्कल होता है, लोगों की लाइफ, माइंड और इम्युनिटी सब अच्छी रहती है। ऐसे लोग स्ट्रेस को अन्य के मुकाबले ज्यादा बेहतर तरीके से हैंडल कर लेते हैं। क्योंकि फ्रेंड्स के साथ जो अनुभव करते हैं, बॉडी उसका केमिकली रिस्पांड करती है। इसमें डोपामाइन, ऑक्सिटोसिन, एंडोर्फिन्स, सेरोटोनिन हार्मोन्स शामिल हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा रिलैक्स्ड हम क्लोज फ्रेंड्स के साथ ही हो पाते हैं। ज्यादा रिलैक्स्ड बॉडी में हैप्पी केमिकल्स रिलीज होते हैं, जिससे अच्छी नींद आती है, खुशी होती है, चीजों को बेहतर तरह से हैंडल करने में मदद मिलती है।
स्टडी भी कहती है फ्रेंडशिप अच्छी
डॉ। आदर्श के मुताबिक, फ्रेंडशिप और उसके असर को लेकर एक काफी लंबी स्टडी हो चुकी है। जिसे फ्रेमिंघम हार्ट स्टडी (एफएचएस) के नाम से जाना जाता है। इसमें एक लार्ज ग्रुप को शामिल कर करीब 40 साल तक फॉलो किया गया। जिसमें लोगों की हेल्थ और लॉन्जेविटी को देखा गया। स्टडी में क्लोज फ्रेंडशिप के असर को देखा गया। जिसमें बिमारियां, दवा, जेनेटिक्स, लाइफस्टाइल, एडिक्शन आदि पहलुओं को देखा गया। इसमें पाया गया कि फ्रेंडशिप सबसे ऊपर है, जिसका हमारी बॉडी और डेवलपमेंट पर अन्य के मुकाबले सबसे अच्छा असर पड़ता है।
ये होते हैं हैप्पी हार्मोन्स
-डोपामाइन
-ऑक्सिटोसिन
-एंडोर्फिन्स
-सेरोटोनिन हार्मोन्स