लखनऊ (ब्यूरो)। चाइनीज मांझे से घायल होने वाले का जख्म भले ही समय के साथ भर जाता हो, पर इसका खौफ खत्म होने में लंबा वक्त लग जाता है। रोड पर चलते समय आज भी उन्हें खौफ रहता है कि न जाने कब कहां से आकर चाइनीज मांझा उन्हें जख्मी न कर दे। रोड्स पर लोगों की जान लेने वाले चाइनीज मांझे की बिक्री बैन होने के बाद अब यह ऑनलाइन भी मिलने लगा है। जिला व पुलिस प्रशासन ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर सख्ती बढ़ाई थी। प्रशासन की कार्रवाई बढ़ी तो मार्केट से चाइनीज मांझे लगभग गायब से हो गए बावजूद इसके इस कातिल मांझे का यूज कम नहीं हुआ। इसके पीछे की वजह यह है कि अब यह ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है। बस ऑनलाइन दुनिया में इसका नाम बदल दिया गया है।

चाइनीज मांझे ने इन्हें किया था घायल

पतंगबाजी वाले इलाकों से बचते हैं

जानकीपुरम में रहने वाले विभांशू त्रिपाठी करीब चार साल पहले चाइनीज मांझे से घायल हुए थे। उन्हें सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और उनकी गर्दन में चार टांके लगे थे। विभांशू बताते हैं कि आज भी वह पतंगबाजी वाले इलाके से गुजरते समय गाड़ी की स्पीड कम रखते हैं और अलर्ट रहते हैं। उस हादसे का ख्याल आज भी जब उनके जहन में आता है तो उनका शरीर कांप जाता है। उन्हें ऐसा लगा था कि जैसे किसी ने उनपर ब्लेड से वार किया हो।

गले में स्कार्फ लगाकर चलते हैं

कैसरबाग में रहने वाले संतोष कुमार दो साल पहले चाइनीज मांझे के शिकार हुए थे। बाइक से चलते समय उनके गले में मांझा फंस गया और वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। उन्हें ठीक होने में 15 दिन लगे थे। उस घटना के बाद से वह गले में स्कार्फ लगाकर बाइक से रोड पर चलते हैं।

कई दिनों तक बिस्तर पर लेटे रहना पड़ा

गोमती नगर में रहने वाले पवन गुप्ता भी डेढ़ साल पहले आईटी कॉलेज के पास चाइनीज मांझे की चपेट में आ गए थे। उनकी गर्दन में सात टांके लगे थे। इसके चलते कई दिनों तक उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा। वह दर्द और तकलीफ आज भी जब उन्हें याद आती है तो वह डर जाते हैं।

नाम बदल कर बेचा जा रहा मांझा

इंटरनेट पर कई वेबसाइट्स हैं, जो सिर्फ मांझे की बिक्री करती हैं, खासकर चाइनीज माझे की बिक्री इन वेबसाइट पर जम कर की जा रही है। हालांकि, ऑनलाइन दुनिया में इस चाइनीज मांझे को मोनो मांझा नाम दिया गया है। इसमें भी कई तरह के मांझे हैं, जो जितना तेज धार मांझा होता है उसका नाम भी वैसा होता है। जैसे मोनो फाइटर, मोनो प्रीमियम और मोनो फाइटर प्रीमियम। इनकी कीमत 549 से लेकर 950 तक है। ऑनलाइन दुनिया में चाइनीज मांझे को अलग नाम से बेचने वाले कारोबारियों ने भी शातिराना तरीके से इसमें इनका नाम ही नहीं बदला बल्कि उसमें इंडस्ट्रियल यूज ओनली लिख दिया है। हालांकि, माझों का यूज इंडस्ट्री में होता ही नही है। कारोबारी खुद को बचाने के लिए भी इस तरह की चाल चल रहे हैं।

कैश ऑन डिलीवरी की भी सुविधा

ऑनलाइन मांझा बेचने वाले कारोबारियों ने अपनी ही वेबसाइट में पेमेंट गेटवे भी दे रखा है, जहां यूजर कातिल मांझा खरीदने के लिए कार्ड या यूपीआई से पेमेंट कर सकते है। वहीं, कुछ वेबसाइट ऑर्डर करने पर कैश ऑन डिलीवरी का भी ऑप्शन देती हैं।

साइबर सेल की मदद लेगी पुलिस

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता डीसीपी रवीना त्यागी ने बताया कि चाइनीज मांझे से यदि कोई व्यक्ति घायल होता है और फिर वह शिकायत करता है तो एफआईआर दर्ज की जाती है। इसमें गैर इरादतन हत्या व हत्या के प्रयास तक की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है। मार्केट में चाइनीज मांझे की बिक्री की कंप्लेन पर कई बार चेकिंग भी कराई जाती है। यदि मांझा ऑनलाइन बेचा जा रहा है तो साइबर सेल की मदद इन कारोबारियों का पता लगाया जाएगा।

कब-कब हुए चाइनीज मांझा से हादसे

25 अगस्त 2024

हुसैनगंज चौराहे से नाका जाने वाले फ्लाईओवर पर बाइक से जा रहे सैफ नाम के युवक की मांझे से गर्दन कट गई थी। पुलिस ने युवक को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। उसकी गर्दन में सात टांके लगे।

16 जून 2024

हरदोई के रहने वाले सुधाकर (47) की गर्दन की नस चाइनीज मांझे से कट गई थी। सात दिन तक उनका केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में इलाज चला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

28 जुलाई 2024

निशातगंज सातवीं गली निवासी 52 वर्षीय दिलीप कनौजिया की लॉन्ड्री है। वह कपड़े देने के लिए स्कूटी से चारबाग गए थे। विधान भवन के पास उनकी गर्दन में चीनी मांझा फंस गया। जब तक वह स्कूटी रोक पाते तब तक सांस नली की नस कट गई। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। उनकी गर्दन में 12 टांके लगाए गए थे।

14 नवंबर 2023

लखनऊ के इंदिरा नगर निवासी अभिषेक कुमार अपने ऑफिस से अलीगंज स्थित अपने घर जा रहे थे। इसी दौरान चाइनीज मांझा आया और उनके चेहरे को काटते हुए निकल गया। कई दिनों के बाद उनके घाव ठीक हो सके।

22 नवंबर 2021

गौतमपल्ली थानांतर्गत मार्टिनपुरवा के अजय कुमार बाइक से जियामऊ पुल के पास गए थे। तभी चाइनीज मांझा उनकी गर्दन में उलझ गया। इससे उनकी गर्दन में गहरा घाव हो गया और वह मौके पर ही गिर पड़े।

14 नवंबर 2020

गोमती नगर स्थित पिकप पुल पर मांझे की चपेट में आने से एक युवक की गर्दन कट गई थी। उसे ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।

20 नवंबर 2020

ऐशबाग पुल पर एक बाइक सवार युवक की मांझे से गर्दन कट गई थी। वहीं, आलमनगर फ्लाईओवर पर पतंग के मांझे से जिम संचालक महेंद्र कुमार चौधरी का चेहरा कट गया था। हादसे के दौरान बाइक अनियंत्रित होने से वह गिर भी गए थे।

9 दिसंबर 2020

बाजारखाला क्षेत्र के हैदरगंज फ्लाईओवर पर मांझे की चपेट में आने से नेहरूनगर निवासी मोहित अग्रवाल के माथे पर कट लग गया। वह भी बाइक से थे और हादसे के दौरान अनियंत्रित होकर गिर पड़े थे।

9 नंबर 2020

कमल बाजपेई गोमतीनगर के शहीद पथ पर थे। तभी चाइनीज मांझे से उनकी गर्दन कट गई। उन्होंने कई बार पुलिस कंट्रोल रूम के साथ 108 एम्बुलेंस को भी सहायता के लिए फोन लगाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। जिसके बाद राहगीर व अपने परिवार की सहायता से वह अस्पताल पहुंचे थे।