लखनऊ (ब्यूरो)। पंतनगर में लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। हर कोई सर्वे का विरोध कर रहा है साथ ही मांग भी कर रहा है कि अगर उनके मकान अवैध हैैं तो वोटर आईडी कार्ड कैसे बन गया। इसकी भी जांच होनी चाहिए। वहीं, अब बच्चे भी विरोध में शामिल हो गए हैैं और कह रहे हैैं कि प्लीज अंकल हमारे घरों को न तोड़े, हम कहां जाएंगे।
सार्वजनिक बैठकों का दौर जारी
पंतनगर के लोग अब एक साथ आ गए हैैं और विरोध के स्वर उठ रहे हैैं। रविवार को भी एरिया के सभी लोगों ने संयुक्त बैठक की और अपने मकान बचाने को लेकर रणनीति बनाई। हर किसी का यही कहना है कि अगर उनके मकान अवैध हैैं तो सालों बाद याद क्यों आई। यहां कोई 25 साल से रह रहा है तो कोई 35 साल से। एक पल में उनके मकानों को अवैध बताया जा रहा है, जो सही नहीं है।
कारोबार पर असर
इस एरिया में प्रोविजन स्टोरी समेत कई दुकानें भी हैैं। जब से सर्वे शुरू हुआ है, तब से ज्यादातर दुकानें प्रॉपर नहीं खुल रही हैैं। इसकी वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी असर देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि जब से सर्वे शुरू हुआ है उनका किसी और काम में मन ही नहीं लग रहा है। हर पल यही डर सताता रहता है कि उनका मकान न टूट जाए। जब सिर पर छत ही नहीं रहेगी तो क्या होगा। लोगों का कहना है कि सर्वे सही से नहीं किया जा रहा है। लाल निशान लगाने के कोई मानक ही नहीं है। जहां मन आ रहा है, वहां पर नक्शे के आधार पर निशान लगा दिए जा रहे हैैं। कई रोड्स पर भी निशान लगा दिए गए हैैं।
नक्शों की जांच
अब एलडीए की ओर से पंतनगर व अन्य चिन्हित एरिया में नक्शे की जांच शुरू कराई जा रही है। इसके अंतर्गत यह देखा जाएगा कि कितने ऐसे मकान हैैं, जिनके नक्शे पास नहीं है और कितने ऐसे मकान हैैं, जिनके नक्शे स्वीकृत हैैं। जिन मकानों के नक्शे स्वीकृत नहीं होंगे, उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैैं। यह भी जानकारी सामने आई है कि सालों पहले यहां जो प्लॉटिंग की गई, उसमें कहीं भी नदी क्षेत्र का जिक्र नहीं किया गया है। इसकी वजह से ज्यादातर भवन स्वामियों को पता ही नहीं था कि उनकी जमीन वैध है या अवैध।