लखनऊ (ब्यूरो)। सूर्य उपासना का महापर्व छठ मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। पहले दिन महिलाओं द्वारा रसोई घर की साफ-सफाई की गई। साथ ही आंगन में कच्चे चूल्हे का निर्माण करने के साथ सात्विक भोजन तैयार किया गया। इस दौरान महिलाओं ने छठी माई के गीत भी गाये। छठ पूजा साक्षात सूर्य भगवान की पूजा है। लोग परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ एवं दीर्घायु तथा रोग से मुक्ति के लिए इस कठिन व्रत को करते हैं। इस दिन व्रती महिलाओं द्वारा सुबह नदी-तालाब में स्नान किया गया। जिसके बाद घर आकर बनाए गए कच्चे चूल्हे पर पूरी सफाई के साथ सात्विक भोजन तैयार किया गया। इसमें पहले दिन लौकी और चने की दाल, चावल तैयार किया गया। जिसे सबसे पहले उसी चूल्हे पर अग्नि देवता को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया।
नमक का नहीं करती हैं सेवन
छठ पर्व के दौरान कई कड़े नियमों का पालन किया जाता है। नहाय खाय के दिन आखिरी बार महिलाएं बनाए गए सात्विक भोजन के साथ सेंधा नमक ग्रहण करती हैं। इसके बाद तीन दिन तक नमक का सेवन नहीं करेंगी। व्रती महिलाएं समेत घर का हर सदस्य इन दिनों लहसुन, प्याज नहीं खाता है।
घाट पहुंचकर वेदियां बनाईं
घर में पूजन के बाद व्रती महिलाएं अपने नजदीकी घाटों, तालाबों व अस्थायी स्थानों पर पहुंचीं। वहां पारंपरिक तरीके से सुंदरता के साथ वेदियां तैयार करना शुरू किया। ज्यादातर लोगों ने पहले ही वेदियां तैयार कर ली हैं। अब इन वेदियों पर रोजाना दीपक जलाकर आस्था के संगम में डुबकी लगाते हुए व्रती महिलाएं बुधवार को खरना और अगले दिन गुरुवार से सोमवार सुबह तक सूर्य को अर्घ्य देते हुए करीब 36 घंटे का कठिन व्रत करेंगी।
घरों में तैयारियां हुईं तेज
सूर्य उपासना के इस पर्व को लेकर बाजार में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। व्रती लोग सभी सामग्री 6, 12 व 24 की संख्या में लेकर पूजा करते हैं। इसमें साठी का चावल, गुड़ से बना ठेकुआ, टिकरी तथा मौसमी फल जैसे अनार, केला, सेब, संतरा, नीबू, गन्ना, सुथनी, बेर व शरीफा आदि फलों का डाला में रखकर पूजा की जाती है।
महिलाएं भरती हैं कोसी
छठ व्रती महिला व पुरुष माटी की कोसी पर षष्ठी देवी की पूजा करते हैं। व्रती शाम को पहले अर्घ्य अर्पण के बाद जब घाट से वापस घर को आते हैं तो आंगन में रंगोली बना माटी के हाथीनुमा कोसी की पूजा अर्चना करते हैं, जिसके ऊपर ईख का चनना बनाकर पूजा की जाती है, जिसे महिलाएं कोसी भरना भी कहती हैं।