लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में मॉर्निंग वॉकर्स व सीनियर सिटीजंस पर चेन स्नेचर्स के अटैक लगातार जारी हैं। सुबह वॉक पर या फिर मंदिर जाने वाले बुजुर्ग लोग इसका शिकार बन रहे हैं। बीते पांच महीनों में चेन स्नेचिंग की वारदातों में तेजी देखी जा रही है। हालांकि, इस दौरान पुलिस ने कुछ मामले का खुलासा भी किया है। पर ये ज्यादातर वे मामले थे जिनमें स्नेचिंग की वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। इन वारदातों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने कई योजनाएं भी बनाई थीं, लेकिन वक्त के साथ वे सभी फेल साबित हुईं।
बाहर से आकर शहर में करते हैं वारदात
अब तक लखनऊ पुलिस ने जितने भी चेन स्नेचर्स गैैंग को पकड़ा है, उनमें ज्यादातर क्रिमिनल्स आस-पास के जिलों के रहने वाले हैं और राजधानी में किराए का कमरा लेकर रहते हैं। रेकी के बाद वारदात को अंजाम देते हैं। गुंडबा पुलिस ने सोमवार को दो सगे भाई नदीम उर्फ फिरोज उर्फ कामरान उर्फ जीतू और उसके भाई मो। आसिफ खान उर्फ भाईजान को गिरफ्तार किया। दोनों भाई गोंडा के रहने वाले हैं और मड़ियांव इलाके मेंं किराए का मकान लेकर रहते थे। दोनों ने बाराबंकी से बाइक चुराई और फिर राजधानी में स्नेचिंग की वारदात कर रहे थे। नदीम के खिलाफ 11 और मो। आसिफ खान के खिलाफ राजधानी के कई थानों में सात केस दर्ज हैं।
चेन स्नेचिंग की वारदातें
12 सितंबर
जानकीपुरम सहारा स्टेट रोड पर सुबह टहलने निकली वृद्धा से बाइक सवार बदमाश चेन छीन कर भाग निकले। जानकीपुरम सेक्टर एच निवासी अर्पित मिश्रा ने बताया कि मेरी मां मोहनी मिश्रा (56) सुबह 5.15 बजे रोजाना की तरह टहलने निकली थीं। बदमाशों की करतूत एक मार्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
14 अगस्त
आलमनगर में चेन स्नेचर्स ने एटीएस सिपाही की मां के गले से चेन लूट ली। आलमनगर के केशव बिहारी कॉलोनी से कुछ ही दूर पर एक फ्लाईओवर है जिसके नीचे दुर्गा माता का मंदिर है। यहां 52 वर्षीय संजना मिश्रा दर्शन करने के लिए गई थीं। जब वह दर्शन कर वापस घर को लौट रही थी तभी बताशे वाली गली के पास घात लगाकर बैठे दो स्नेचर्स ने उनकी चेन लूट ली।
बीते चार वर्षों में सामने आईं वारदातें
वर्ष घटनाएं
2024 अब तक 15
स्ट्रीट क्राइम रोकने को बनीं कई योजनाएं
स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने कई स्कीम चालू की थीं। जिन्हें चंद दिनों तक बाखूबी चलाया गया, लेकिन फिर वे कागज तक ही सीमित होकर रह गईं
स्कीम 1: नमस्ते लखनऊ
कब लागू हुई: 2020
मार्निंग वॉकर्स के साथ स्नेचिंग व अन्य अपराधिक वारदातों को रोकने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट बनने के बाद 2020 में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने नमस्ते लखनऊ स्कीम चलाई थी। जिसमें पार्कों में स्थानीय पुलिस की टीम जाकर मार्निंग वॉकर्स से मिलती थी और रजिस्टर में उनका नाम व पता दर्ज करती थी। उन्हें विश्वास दिलाया जाता था कि आप सुरक्षित हैं।
वर्तमान स्थिति: यह स्कीम अब बस कागजों में मौजूद है।
स्कीम 2: शक्ति मोबाइल वैन
कब शुरू हुई: 2019
तत्कालीन एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी ने यह स्कीम शुरू की थी। जिसमें हर स्कूल कॉलेज के बाद पुलिस फोर्स शक्ति मोबाइल मौजूद रहती थी। शक्ति मोबाइल की मौजूदगी से शोहदों के हौसले टूट गए थे।
वर्तमान स्थिति: शक्ति मोबाइल वैन अब कहीं नजर नहीं आती।
स्कीम 3: स्नेचर्स वैरीफिकेशन
कब शुरू हुई: 2019
तत्कालीन एसपी ट्रांस गोमती अमित कुमार ने 2018 में लगातार हो रहीं चेन स्नेचिंग की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए स्नेचिंग वैरीफिकेशन स्कीम शुरू की थी। जिसमें 450 स्नेचर्स को जेल भेजा गया था। टीजी पुलिस ने 2019 में अलग-अलग थाना क्षेत्र में वैरीफिकेशन और जांच कराने के बाद करीब 450 चेन स्नेचिंग की वारदात करने वाले और उसमें शामिल आरोपियों को जेल भेजा था। पुलिस उनके ऊपर लगातार नजर भी रख रही थी।
वर्तमान स्थिति: स्नेचर्स वैरीफिकेशन स्कीम खत्म।
गश्त की व्यवस्था क्यों नहीं कारगर
पुलिसिंग में गश्त वह शब्द है जिससे न केवल स्ट्रीट क्राइम पर कंट्रोल किया जाता है बल्कि अपराधियों में भय और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा होता है। गश्त के नाम पर अब केवल डायल 112 की गाड़ियां चौराहे व प्वाइंट पर खड़ी कर पुलिस की मौजूदगी मान ली जाती है या फिर किसी बड़े त्योहार पर दो पहिया वाहनों की मार्च कर रैली निकाल जिम्मेदारी पूरी की जाती है। हकीकत में थाने स्तर पर गश्त केवल पुलिस डायरी पर इंट्री तक ही सीमित रह गई है।
पर लूट की घटनाओं में नहीं आई कमी
- राजधानी में चेन व पर्स लूट की घटनाओं पर नकेल नहीं लग पा रही। पुलिस कमिश्नरेट में अफसरों की भरमार है।
- पुलिस बल की संख्या में भी वृद्धि की गई है। बावजूद इसके लूट और चोरी की घटनाएं नहीं थमी।
- पुलिस के रिकार्ड में भले ही लूट की घटनाएं कम दर्ज हैं, लेकिन राह चलती महिलाओं से छीनैती आम हो गई है।
- उत्तरी जोन में अलीगंज, विकासनगर, इंदिरानगर और मड़ियांव में सबसे ज्यादा घटनाएं हो रही हैं।
- वहीं, आलमबाग, आशियाना और कृष्णानगर में भी लूट और टप्पेबाजी की घटनाएं सबसे ज्यादा हैं।
- जिन मामलों में वीडियो वायरल हो जाता है, उसमें पुलिस सक्रिय नजर आती है।
- वहीं, ऐसे मामले जिनका वीडियो या फुटेज नहीं मिल पाते, उसमें पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद शांत बैठ जाती है।
- कई बार चेन, मोबाइल या पर्स लूट की घटना में पीड़ितों को एफआईआर के लिए भी भागदौड़ करनी पड़ती है।