- 2010 में बसपा सरकार में शुरू हुई थी भर्ती प्रक्रिया
- 250 अपर निजी सचिव के पदों पर यूपीपीएससी को करनी थी भर्ती
- 237 लोगों का हुआ था चयन, ज्यादातर को मिल चुकी है ज्वाइनिंग
- 19 जून 2018 को सीबीआई ने जांच के लिए मुख्य सचिव को लिखा पत्र
- 12 सितंबर को योगी सरकार ने सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की
- राज्य सरकार की सिफारिश के बाद सीबीआई ने दर्ज की पीई
- यूपीपीएससी घोटाले की जांच में मिले थे गड़बड़ी के सुराग
LUCKNOW : लोकसभा चुनाव की आहट से पहले बसपा सरकार में हुई अपर निजी सचिव के 250 पदों पर भर्ती का मामला भी सीबीआई जांच के दायरे में आ गया है। गुरुवार को नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय ने इस मामले की प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर ली। दरअसल सपा सरकार में यूपीपीएससी द्वारा की गयी भर्तियों की जांच कर रही सीबीआई को इन भर्तियों में भी बड़े पैमाने पर गड़बडि़यां अंजाम दिए जाने की शिकायत मिली थी। इसके बाद सीबीआई ने खुद सूबे के मुख्य सचिव को पत्र लिख इस मामले की जांच का नोटिफिकेशन जारी करने का अनुरोध किया था। राज्य सरकार द्वारा छह माह पूर्व इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से की गयी थी।
रिश्तेदारों को दिलाई नौकरी
2010 में मायावती सरकार में अपर निजी सचिव की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। वहीं अखिलेश सरकार में तीन चरणों में इसकी परीक्षा कराई गई। रिजल्ट 3 अक्टूबर 2017 को जारी हुआ और तमाम लोगों को ज्वाइन भी कराया गया। इस बीच सपा सरकार के पांच सालों के दौरान यूपीपीएससी द्वारा की गयी भर्तियों की जांच सीबीआई से कराने की योगी सरकार ने सिफारिश कर दी और सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया। जांच के दौरान सीबीआई को शिकायत मिली कि बसपा सरकार में शुरू हुई अपर निजी सचिव की भर्ती प्रक्रिया में भी बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गयी है।
रिश्तेदारों को पास कराया
यूपीपीएससी के कुछ अधिकारियों ने न्यूनतम अर्हता न पूरी होने के बावजूद तमाम अधिकारियों के रिश्तेदारों को परीक्षा में हेराफेरी कर पास कराया। मुख्यमंत्री कार्यालय में पूर्व में तैनात रहे एक निजी सचिव ने अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलवा दी तो सचिवालय में तैनात एक अधिकारी ने अपने पूरे कुनबे को ही भर्ती करा लिया। इसके बाद सीबीआई ने इस प्रकरण की भी जांच करने का फैसला लिया और राज्य सरकार को सूचित करते हुए इसकी प्रक्रिया पूरी करने को कहा।