लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में यूपी समेत अन्य राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। इसमें कैंसर के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। संस्थान में रेडिएशन थेरेपी के लिए अभी एक लीनियर एक्सीलरेटर मशीन लगी हुई है। पर मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से वेटिंग लंबी रहती है। इस समस्या को देखते हुए संस्थान प्रशासन द्वारा एक और मशीन का प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही अप्रूवल मिल जायेगा। इसके अलावा संस्थान प्रशासन द्वारा करीब 100 करोड़ रुपये का सप्लीमेंट क्लेम भेजा गया है, जिसमें गामा नाइफ और रोबोटिक सर्जरी के लिए भी डिमांड की गई है यानि मरीजों को जल्द ही एडवांस ट्रीटमेंट की सुविधा मिलेगी।

तीन हाई टेक मशीनों का प्रपोजल

केजीएमयू वीसी डॉ। बिपिन पुरी के मुताबिक, मरीजों की बेहतरी और सुविधा के लिए शासन को 100 करोड़ का सप्लीमेंट क्लेम भेजा गया है, जिसमें तीन हाई टेक मशीनों का प्रपोजल बनाकर भेजा गया है। इसमें कैंसर मरीजों के लिए लीनियर एक्सीलरेटर मशीन, रोबोटिक सर्जरी मशीन और गामा नाइफ शामिल है। यह कैंसर से लेकर ब्रेन ट्यूमर के इलाज में एडवांस इलाज में बेहद मददगार साबित होंगी। जैसे ही मंजूरी मिल जायेगी मशीनों को लाने का काम शुरू कर दिया जायेगा।

ज्यादा मरीजों को मिलेगा ट्रीटमेंट

लिनियर एक्सीलरेटर मशीन, कैंसर मरीजों में रेडिएशन देने के काम आती है। संस्थान में इस मशीन की मदद से रोजाना करीब 80 कैंसर मरीजों को थेरेपी दी जा रही है। पर मरीजों की संख्या अधिक होने से कई-कई दिनों तक की वेटिंग चल रही है। ऐसे में एक और मशीन लगने से रोजाना दोगुने मरीजों को ट्रीटमेंट मिल सकेगा। कैंसर मरीजों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। यह मशीन करीब 25 करोड़ रुपये की आती है।

ब्रेन ट्यूमर का होगा इलाज

इसके अलावा संस्थान में गामा नाइफ लाने की भी कवायद चल रही है। यह मशीन करीब 30-40 करोड़ रुपये के आसपास आती है। इसकी मदद से छोटे से छोटे ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज किया जा सकता है। जिन मरीजों के ब्रेन मे ट्यूमर की लंबाई तीन सेंटीमीटर से कम है, उनके इलाज में यह मशीन बेहद कारगर है। इसकी मदद से मरीज को रेडिएशन दिया जाता है, जिससे मरीज को काफी फायदा होता है। इससे रक्त वाहिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

रोबोटिक सर्जरी भी होगी

संस्थान में रोबोटिक सर्जरी मशीन लगाने के लिए काफी समय से कवायद की जा रही है। इसमें रिस्क कम होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है। कंप्यूटर की मदद से सर्जरी की जाती है। इसकी मदद से चीरा कम लगाए जाने से टांकों की समस्या नहीं रहती है, जिससे संक्रमण की आशंका न के बराबर रह जाती है। इसकी मदद से ट्रांसप्लांट करने में भी बड़ी मदद मिलेगी।

तीन हाई टेक मशीनों समेत कई अन्य उपकरणों के लिए करीब 100 करोड़ रुपये का बजट बनाकर शासन को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिल जायेगी।

-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयू