- ट्रिपल तलाक के मामले में आगरा तीसरे नंबर पर
- 2019 में आए 710 मामले और 2020 में आए 724 मामले
- कानून बनने के बाद भी नहीं थम रहे ट्रिपल तलाक के मामले
LUCKNOW : मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए कानून के बाद भी मामले कम नहीं हो रहे हैं। अध्यादेश लागू होने के बाद भी लगातार मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि जोन के कई शहर में तीन तलाक के मामले में अंकुश लगा है, लेकिन बरेली, मेरठ और आगरा में तीन तलाक के मामले में कमी नहीं आ रही है। तीन तलाक के मामले में वर्ष 2019 में जहां प्रदेश में 710 केस दर्ज किए गए। वहीं 2020 में 724 मामले प्रकाश में आए है। हालांकि 2019 के 532 और 2020 में 587 मामले विवेचनाधीन हैं।
दोनों कमिश्नरेट में नहीं दर्ज हुए केस
ट्रिपल तलाक के मामले में अध्यादेश लागू होने के बाद लखनऊ कमिश्नरेट और नोएडा कमिश्नरेट में 2019 में एक भी मामले दर्ज नहीं हुए जबकि 2020 में लखनऊ में 12 मामले और नोएडा में एक मामला दर्ज किया गया। लखनऊ में दर्ज 12 मामले में से एक मामले में आरोप पत्र दाखिल हो गया जबकि एक मामले में फाइनल रिपोर्ट लग गई है। वहीं 10 मामले विवेचनाधीन हैं।
जोन दिसंबर 19 मई 2020
मेरठ 162 214
बरेली 106 162
आगरा 183 127
कानपुर 133 31
लखनऊ 43 75
प्रयागराज 22 48
गोरखपुर 31 25
वाराणसी 30 29
लखनऊ कमिश्नरेट 00 12
नोएडा कमिश्नरेट 00 01
(यह आंकड़े अध्यादेश पारित होने से अब तक के हैं)
मथुरा में हुई थी पहली एफआईआर
संसद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया था। पिछले साल 30 जुलाई को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीन तलाक कानून अस्तित्व में आया। इसके तहत पहली एफआईआर 2 अगस्त, 2019 को मथुरा में दर्ज की गई थी।
तीन तलाक कानून से ऐसे मिली राहत
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत तीन बार एक साथ तलाक, तलाक, तलाक बोलना अपराध माना गया है। लिखित, मेल, एसएमएस, वाट्सएप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक चैट के माध्यम से तीन तलाक देना गैरकानूनी है।
तीन साल की सजा का प्रावधान
इस कानून के तहत दर्ज मामलों में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक सजा का प्रावधान है। साथ ही पीडि़त महिला अपने और आश्रित बच्चों के लिए पति से मेंटीनेंस (भरण पोषण) लेने की भी हकदार हैं।
दहेज मांगने पर दिया तीन तलाक
आगरा के आजाद नगर, खंदारी निवासी फरीन की शादी 2018 नौबस्ता, लोहामंडी निवासी जमरुद्दीन के साथ हुई थी। जमरुद्दीन लेदर का काम करता है। फरीन का आरोप है कि निकाह के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग कर रहे हैं। पति ने मारपीट की। विरोध करने पर तीन बार तलाक बोलकर घर से निकाल दिया। वह अपने मायके आ गई है। इसके बाद फरीन ने आईजी ऑफिस में शिकायत की। फरीन की तहरीर पर थाना लोहामंडी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसमें पति जमरुद्दीन, देवर, सास, ननद और नंदोई को नामजद किया गया है।
यह तीन तलाक
मुस्लिम समाज में तलाक का ऐसा जरिया है, जिससे कोई भी मुस्लिम शख्स अपनी बीवी को सिर्फ तीन बार तलाक कहकर अपनी शादी को तोड़ सकता है। इस्लाम में तलाक की एक प्रकिया बताई गई है और इस प्रकिया से होने वाले तलाक स्थिर होते हैं। इसके बाद शादी का रिश्ता टूट जाता है। तीन तलाक को तलाक उल बिद्दत भी कहते हैं।
यह है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाई थी। पांच जजों की पीठ ने तुरंत तलाक देने के इस रिवाज को असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने कहा था कि यह इस्लाम की शिक्षा के विरुद्ध है। उत्तराखंड की शायरा बानो की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। शायरा को उनके पति ने तीन बार तलाक लिख कर चिट्टी भेजी थी, जिसके बाद उन्होंने उन्हें (शायरा) छोड़ दिया था। इसी के बाद शायरा ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। तब शायरा की याचिका के साथ चार और मुस्लिम महिलाओं की ऐसी ही याचिकाएं जोड़ दी गई थी।
कई देशों में है तीन तलाक पर रोक
ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, मलेशिया, जॉर्डन, मिस्त्र, ब्रुनेई, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, लीबिया, सूडान, लेबनान, सऊदी अरब, मोरोक्को और कुवैत जैसे मुस्लिम बहुल देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है। यहां तक कि पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी तीन तलाक पर रोक है।