लखनऊ (ब्यूरो)। बाग डायनासोर फॉसिल जियोपार्क को देश का पहला यूनेस्को जियोपार्क बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एमपी इकोटूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी), लखनऊ के वैज्ञानिक सहयोग से यह पहल की है। डॉ। समीता राजौरा, आईएफएस और सीईओ, एमपीईटीडीबी ने बाग डायनासोर जियोपार्क विकसित करने की कार्य योजना पर चर्चा करने के मंगलवार को बीएसआईपी लखनऊ का दौरा किया। बीएसआईपी की निदेशक डॉ। वंदना प्रसाद ने बताया कि बीएसआईपी-जियोहेरिटेज और जियोटूरिज्म केंद्र द्वारा एक कार्य योजना का मसौदा तैयार किया गया था और जमीन पर क्रियान्वयन के लिए डॉ। राजौरा के साथ चर्चा की गई। दो साल की कार्य योजना के तहत इसे यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क के रूप में मान्यता देने के लिए यूनेस्को को दस्तावेज प्रस्तुत किया जाएगा। डॉ। राजौरा ने बताया कि मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में जियोपार्क की स्थापना से पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी और स्थानीय निवासियों को भी इसका फायदा मिलेगा। योजना में भाग लेने के लिए स्थानीय शिक्षित महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा, वहीं स्थानीय हस्तशिल्प (जैसे बाग प्रिंट) को बढ़ावा दिया जाएगा।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
निदेशक डॉ। वंदना प्रसाद ने बताया कि बीएसआईपी एमपीईडीबी के साथ मिलकर काम करेगा और बाग में जियोपार्क स्थापित करने के लिए सभी भूवैज्ञानिक इनपुट और आवश्यकताएं प्रदान करेगा। जियोपार्क न केवल क्षेत्र की भूवैज्ञानिक, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगा बल्कि भूवैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों के बीच घनिष्ठ बातचीत का अवसर भी देगा। स्थानीय आबादी को शिक्षित करना बहुत जरूरी है। डॉ। राजोरा ने यह भी बताया कि दोनों संगठन घुघुआ जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के संभावित विकास का भी अध्ययन करेंगे। जल्द ही एक फील्ड विजिट का आयोजन किया जाएगा। इस कार्य योजना का मसौदा तैयार किया गया, एमपीईडीबी और बीएसआईपी ने इस संबंध में पारस्परिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।