लखनऊ (ब्यूरो)। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानि सीओपीडी का प्रमुख कारण धूम्रपान और परोक्ष धूम्रपान है। पर एयर पाल्यूशन के कारण भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। सर्दी का मौसम शुरू को चुका है और इस समय वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। इसके साथ ही सांस की बीमारियां, निमोनिया एवं क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस का प्रकोप बढऩे लगा है, जिसकी वजह से सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा तकलीफ होती है। इसी को ध्यान में रखकर नवंबर के तीसरे बुधवार को वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाता है। जो इसबार 16 नवंबर को है।
मौत का तीसरा बड़ा कारण
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। सूर्यकांत बताते हैं कि सीओपीडी फेफड़े की एक प्रमुख बीमारी है। जिसे आम भाषा में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, सीओपीडी दुनिया भर में होने वाली बीमारियों से मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। वर्ष 2019 में विश्व में 32 लाख लोगों की मृत्यु इस बीमारी की वजह से हो गयी थी। वहीं, भारत में लगभग पांच लाख लोगों की मृत्यु हुयी थी। भारत में करीब छह करोड़ रोगी इससे ग्रसित हैं। इस बीमारी के साथ दिल की बीमारी होने का भी खतरा बढ़ जाता है। हड्डियां कमजोर होना, डायबिटीज होना, किडनी, लिवर, मानसिक व कैंसर आदि का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर के अनुसार दवा करें
इसकी प्रारंभिक अवस्था में एक्स-रे में फेफड़े में कोई खराबी नजर नहीं आती। पर बाद में फेफड़े का आकार बढ़ जाता है। इसके कारण दिल लंबा और पतले ट्यूब की तरह हो जाता है। वहीं, उपचार में इन्हेलर चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ है। जिसे चिकित्सक की सलाह से नियमानुसार लिया जाना चाहिए। खांसी व अन्य लक्षणों के होने पर चिकित्सक के परामर्श से संबधित दवाइयां ली जा सकती हैं। खांसी के साथ गाढ़ा या पीला बलगम आने पर चिकित्सक की सलाह से एंटीबायोटिक्स ली जा सकती हैं।
ऐसे होते हैं लक्षण
-खांसी के साथ बलगम आना
-सांस फूलने लगना
-गले की मांसपेशियां उभर आना
-शरीर का वजन घटना
-लेटने में परेशानी होना
ये है बचाव का तरीका
-धूम्रपान न करें
-धूल, धुआं या गर्दा वाली जगह से बचें
-न्यूमोकोकल वैक्सीन एक बार लगवाएं
-सर्दी से बचकर रहें
-पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनें
-मास्क लगायें