लखनऊ (ब्यूरो)। बच्चों में संक्रमण के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में कई एंटीबायटिक सिरप फ्री में उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन इसमें, एंटीबायोटिक सिरप एजिथ्रोमाइसिन की आपूर्ति सबसे ज्यादा सरकारी अस्पतालों में होती है। अधिकांश संक्रमण के मामले में पीडियाट्रिक डॉक्टरों द्वारा पीडि़त बच्चों को यहीं सिरप दी जाती है। ऐसे मे यह सिरप पहले ही बड़ी संख्या में विभिन्न अस्पतालों में दी जा रही है।

नई दवा उपलब्ध कराने का निर्देश
चूंकि सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति की जिम्मेदारी उप्र मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन की है। ऐसे में एजिथ्रोमाइसिन सिरप की खरीद भी कार्पोरेशन द्वारा अस्पतालों में भिजवाने के लिए की जाती है। इसमें क्रय आदेश संख्या 10281910193 के आधार पर सिरप बनाने वाली एक निजी कंपनी द्वारा सिरप की आपूर्ति की गई। जांच में दवा मिसब्रांड पाई गई। ऐसी दशा में कारपोरेशन की प्रबंध निदेशक कंचन वर्मा ने दवा के इस्तेमाल न करने का आदेश जारी किया है। साथ ही कंपनी को जल्द से जल्द बदलकर दवा उपलब्ध कराने के लिए कहा।


जांच से पहले खप गई दवा
एजिथ्रोमाइसिन 100 एमजी सिरप की करीब पांच लाख से अधिक शीशियां मंगाई गई थी। अकेले लखनऊ ने 2,78,720 सिरप का ऑर्डर दिया था। दवा की आपूर्ति वेयरहाउस में हुई। जिसमें आधे से अधिक दवा का इस्तेमाल भी हो चुका है। इसके बाद अस्पतालों ने जरूरत के मुताबिक दवा मांग ली। मरीजों में उसका वितरण भी शुरू हो गया। इस दौरान दवा की गुणवत्ता परखने के लिए नमूने एकत्र किए गए थे। जो कि मानकों के हिसाब से नहीं मिला।