लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आपका बच्चा अकसर पेट दर्द की शिकायत करता है, तो इसे नजरअंदाज बिलकुल न करें। यह महज बच्चे का बहाना भर नहीं हो सकता। कई बार डॉक्टर को दिखाने और जांच के बाद भी कुछ नहीं निकलता। हालांकि, ऐसे मामलों में स्ट्रेस और एंग्जायटी बड़ा कारण हो सकता है। खासतौर पर 10-18 वर्ष की उम्र के बच्चों और टीनएजर्स में यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) कहा जाता है। पहले यह समस्या बड़ों में दिखाई देती थी, पर स्टडीज, काम्प्टीशन, दूसरों से कम्पेरिजन आदि ने बच्चों में इस समस्या को बढ़ावा देने का काम किया है। यह जानकारी लखनऊ के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ। शिरीष भटनागर ने इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के यूपी चैप्टर द्वारा आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के अंतिम दिन रविवार को दी।
10-12 फीसदी मामलों में एंग्जायटी से पेट दर्द
डॉ। शिरीष ने आगे बताया कि गलत खानपान और बिगड़ी लाइफस्टाइल की वजह से बच्चों में गैस और कब्ज की समस्या देखने को मिल रही है। पर बच्चों में आईबीएस की समस्या दो कारणों से ज्यादा हो रही है। बच्चों में मोटापा की वजह से यह समस्या करीब 10-12 फीसदी मामलों में देखने को मिल रही है, जो बीते सालों के मुकाबले करीब 20 फीसदी बढ़ गया है। वहीं, पेट दर्द और एंग्जायटी की वजह से भी 10-12 फीसदी मामले देखने को मिल रहा है। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को हेल्दी फूड दें और एक्सरसाइज के लिए जरूर प्रेरित करें।
पैनक्रियाज में बढ़ रही सूजन
लखनऊ पीजीआई में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ। अंशु श्रीवास्तव ने बताया कि छोटे बच्चों में पैनक्रियाटाइटिस (पैनक्रियाज में सूजन) की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर 2-10 वर्ष की उम्र के बच्चों में यह मिलना चिंता का विषय है। इसके कई कारण होते हैं जैसे बचपन में इंफेक्शन, दवा का असर, पेट में चोट आदि। अगर बच्चे के पेट में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, पेट का फूलना, खाना नहीं खाना, नींद नहीं आना या देर रात अचानक उठ जाना आदि लक्षण नजर आयें तो सतर्क हो जाना चाहिए और तुरंत किसी पीडियाट्रिक गैस्ट्रो स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए, ताकि समय रहते इसे ट्रीट किया जा सके। यह समस्या मोटापे का शिकार बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। ओपीडी में हर माह इस तरह के 2-3 मामले आ रहे हैं, जो पहले के मुकाबले बढ़ गये हैं।
ऑटो इम्युनिटी और एलर्जी की समस्या ज्यादा
डॉ। अंशु ने आगे बताया कि आजकल बच्चों में इंफेक्शन की जगह ऑटो इम्युनिटी और एलर्जी की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। खासतौर पर अस्थमा, फूड एलर्जी, मिल्क एलर्जी या किसी अन्य प्रकार की एलर्जी बढ़ रही है। ये सभी समस्याएं लाइफस्टाइल डिजीज कहलाती हैं, क्योंकि बेटर लाइफ स्टाइल की वजह से इंफेक्शन की संख्या कम हो रही है। जिसके चलते अन्य बीमारियां बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रही हैं। जैसे घर में अत्यधिक सफाई, बच्चों को बाहर न खेलने भेजना, धूप-पानी से बचाकर रखना, एक्सरसाइज न करना और जंक फूड खाना आदि वजह से भी ये समस्याएं देखने को मिल रही हैं। ऐसे में पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को बाहर खेलने जरूर भेजें, उनको हेल्दी और बैलेंस्ड डायट दें, एक्सरसाइज जरूर करवाएं, ताकि बच्चे इस तरह की बीमारियों से बचे रहें।
पेन किलर बिगाड़ रही सेहत
सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली से आये डॉ। अनिल अरोड़ा ने बताया कि आजकल लोग पेन किलर बिना वजह खा लेते हैं, जिसकी वजह से पेट और आंत को नुकसान पहुंच रहा है। यह समस्या खासतौर पर महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रही है। क्योंकि जोड़ों में दर्द, पैर में दर्द, पीठ में दर्द आदि की समस्या होने पर वे पेन किलर खा लेती हैं। वहीं, 90 फीसदी भारतीयों में हैलीको बैक्टर पायलॉरी बैक्टीरिया होता है। ऐसे में अगर कोई स्मोकिंग करता है और पेन किलर खाता है तो पेट में अल्सर होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में पेट में जलन और खून की उल्टी हो तो सतर्क हो जाना चाहिए। इसकी वजह से लिवर भी खराब होने लगता है। इसलिए लोगों को अपना वेट कंट्रोल करने के साथ-साथ अच्छी बैलेंस्ड डाइट लें और अल्कोहल व स्मोकिंग करने से बचें।