- कोरोना से मुकाबले के लिए इम्युनिटी काफी मजबूत
-चार जून से शुरू हुआ था सर्वे, 62 हजार की हुई जांच
रुष्टयहृह्रङ्ख: यूपी में सीरो सर्वे के शुरुआती नतीजे काफी सकारात्मक आए हैं। लोगों में हाई लेवल एंटीबाडी टाइटर की पुष्टि हुई है। बीते अप्रैल व मई में बड़ी संख्या में संक्रमित हुए लोगों ने अपनी मजबूत इम्युनिटी के दम पर न सिर्फ कोरोना से जंग जीती बल्कि उनमें अभी भी कोरोना से लड़ने के लिए बड़ी मात्रा में एंटीबाडी मौजूद है। सीरो सर्वे के तहत पिछले दिनों प्रदेश में करीब 62 हजार लोगों के खून के सीरम की जांच की गई थी और इसमें देखा गया कि उनके अंदर कितनी एंटीबाडी है।
बड़ी मात्रा में पैदा हुई एंटीबाडी
सीरो सर्वे के जो नतीजे सामने आए है, उससे स्पष्ट है कि काफी लोग संक्रमित हुए लेकिन अच्छी इम्युनिटी के दम पर वह ठीक हो गए और उनके भीतर कोरोना से मुकाबले के लिए बड़ी मात्रा में एंटीबाडी पैदा हुईं। केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष प्रो। तूलिका चंद्रा कहती है लोगों में दो तरह से एंटीबाडी बनी। पहला वह कोरोना से संक्रमित हुए और उसके खिलाफ उनके शरीर में एंटीबाडी का निर्माण हुआ। दूसरा कोरोना से बचाव के लिए लगाए जा रहे टीके की दूसरी डोज एक तरह की बूस्टर डोज है। यह भी शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबाडी का निर्माण करती है। टीकाकरण महाअभियान जिस तेजी से चल रहा है, उससे साफ है कि लोगों में कोरोना के खिलाफ ज्यादा मात्रा में एंटीबाडी मौजूद है।
मालूम हो कि प्रदेश में सितंबर 2020 में भी सीरो सर्वे किया गया था। उस समय 11 जिलों में हुए सर्वे में 22 प्रतिशत लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी। यानी हर चौथा व्यक्ति उस समय कभी न कभी कोरोना से संक्रमित हुआ था। अब चार जून 2021 से फिर 62 हजार लोगों की जांच की गई। अभी तक इसकी विस्तृत रिपोर्ट जारी नहीं की गई है, शुरुआती नतीजों में लोगों में पर्याप्त मात्रा में एंटीबाडी मिली है।
ऐसे बनती है एंटीबाडी
एंटीबाडी का निर्माण प्रतिरक्षा प्रणाली की मोमोरी सेल्स (कोशिकाएं) करती है । ये मेमोरी सेल्स एंटीजन की पहचान को याद रखती हैं। सक्रिय होने पर ये एटीबाडी का उत्पादन बढ़ाती है। संक्रमण पता लगने के बाद ये कोशिकाएं एंटीबाडी बनाने लगती है। वैक्सीन भी किसी खास रोगाणु के लिए एंटीबाडी बनाने का काम तेजी से करती है।
लोगों में 90 से ऊपर एंटीबाडी मिली
सीरो सर्वे के शुरूआती नतीजों के अनुसार लोगों में बड़ी मात्रा में एंटीबाडी पाई गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डा। पीके गुप्ता कहते हैं कि एंटीबाडी की माप प्रति मिली लीटर (एमएल) बाइ¨डग एंटीबाडी यूनिट (बीएयू) से की जाती है। अगर यह बीएयू 20.33 से कम है तो यह निगेटिव माना जाता है। यानी उसमें एंटीबाडी नहीं हैं। बीएयू 20.33 से ज्यादा होने पर यह पाजिटिव माना जाता है। यानी उसमें एंटीबाडी बनी हैं। यहां लोगों में एंटीबाडी 80 से लेकर 90 बीएयू तक मिली हैं।