लखनऊ (ब्यूरो)। सैकड़ों लोगों के आशियाने के सपने को ठगने वाले अंसल एपीआई कंपनी के मालिक सुशील कुमार के बेटे प्रणव अंसल को रविवार को दिल्ली एयरपोर्ट से दबोच लिया गया। वह लंदन भागने की फिराक में था। लखनऊ पुलिस ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर रखा था। अंसल ग्रुप पर शहर में करीब दो दर्जन से ज्यादा ठगी के मामले दर्ज हैं।

23 मई को दर्ज हुई थी रिपोर्ट

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि 23 मई को विराजखंड के भानू प्रताप वर्मा ने अंसल एपीआई कंपनी के मालिक सुशील कुमार, उनके बेटे प्रणव अंसल, निदेशक अरुण कुमार मिश्र और हरीश गुल्ला के खिलाफ विभूतिखंड थाने में ठगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। भानू का आरोप था कि इन लोगों ने प्लॉट दिलाने के नाम पर उनसे 4.15 लाख रुपये लिए थे।

विवेचना में प्रणव के खिलाफ  मिले थे सबूत

एसएसपी ने बताया कि मामले की विवेचना विभूतिखंड थाने में तैनात दारोगा ज्ञानेन्द्र कुमार को दी गई थी। दारोगा को छानबीन में प्रणव के खिलाफ  पर्याप्त सबूत मिले थे। एसपी नार्थ ने बताया कि मामले में छानबीन के दौरान पुलिस ने अरुण कुमार मिश्र और गरीश गुल्ला को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा एक अन्य ठगी के मामले में विवेचना कर रहे दारोगा दशरथ मौर्य को भी प्रणव के खिलाफ  काफी सबूत मिले थे। उन्हें डर था कि वह विदेश भाग सकता है। ऐसे में उन्होंने इससे उच्च अधिकारियोंं को अवगत कराया था। इसे ध्यान में रखते हुए लखनऊ पुलिस ने दो माह पहले प्रणव के खिलाफ  लुकआउट नोटिस जारी की थी। एसएसपी ने बताया कि शनिवार देररात प्रणव अंसल फ्लाइट संख्या आई 161 से लंदन भागने की फिराक में था। तभी उसे एयरपोर्ट सुरक्षा अधिकारियों ने दबोच लिया और इसकी सूचना लखनऊ पुलिस को दी।

23 जुलाई को जारी हुआ था लुकआउट नोटिस

एसएसपी के अनुसार विभूतिखंड थाने में दर्ज केस में अंसल ग्रुप के मालिक के बेटे प्रणव के दोषी मिलने पर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए गए थे। फरार चल रहे प्रणव के खिलाफ 23 जुलाई को लुकआउट नोटिस जारी कर दी गई थी। वहीं रविवार दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रणव को लंदन भागने के दौरान दबोच लिया गया। इसके बाद एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों ने लखनऊ पुलिस से संपर्क कर इसकी सूचना दी, जिसके बाद पुलिस की एक टीम दिल्ली रवाना की गई और वहां पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया। रविवार शाम को मेडिकल चेकअप के बाद प्रणव को जेल भेज दिया गया। इससे पहले गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही पहुंचे विवेचकों ने उससे पूछताछ भी की।

किस थाने में कितने केस

- थाना हजरतगंज  - 14

- थाना पीजीआई   - 5

- थाना गोमती नगर -01

- थाना विभूतिखंड - 04

सूचना पर दर्ज कराने पहुंचे मुकदमा

वहीं अंसल एपीआई कंपनी के मालिक के बेटे प्रणव की गिरफ्तारी की सूचना पर करीब एक दर्जन से ज्यादा लोग एसपी नार्थ के ऑफिस पहुंचे। वह भी ठगी के शिकार थे, लेकिन उन्होंने अब तक ठगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी। यह सभी ठगी की रकम मिलने या फिर प्लाट मिलने की उम्मीद में थे। आशंका जताई जा रही है कि सोमवार को कई और थानों में उनके खिलाफ केस दर्ज कराए जा सकते हैं।

थैंक्स लखनऊ पुलिस

मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट के वकील एसएन पांडेय ने बताया कि उनके बेटे विंग कमांडर संजीव पांडेय ने अंसल एपीआई कंपनी से सुशांत गोल्फ सिटी में वर्ष 2011 में 18 सौ स्क्वायर फीट जमीन खरीदी थी, जिसका रजिस्टर्ड  एग्रीमेंट कंपनी ने कराया था। इसके लिए उन्होंने 11 लाख रुपये की डाउन पेमेंट भी की थी। 9 साल बाद भी कंपनी ने न तो उन्हें जमीन दी और न ही पैसा रिटर्न किये। वहीं प्रणव की गिरफ्तारी पर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो मैसेज डालकर लखनऊ पुलिस को थैंक्स कहा है।

ऐसे देते थे ठगी को अंजाम

- अंसल ग्रुप अपने ग्राहक को प्लाट अलाटमेंट करता था, रजिस्ट्री इसलिए नहीं करता था क्योंकि उसके नाम पर जमीन नहीं थी।

- अलॉटमेंट के समय ही ग्राहक से पूरे भुगतान ले लेते थे।

- ग्राहक को रजिस्ट्री के लिए टहलाते रहते थे

- फ्रॉड की जानकारी पर जब ग्राहक पैसे मांगते थे तो टाल-मटोल की जाती थी। साथ ही रकम ना मांगने के लिए धमकाया जाता था।

- ग्राहक के अधिक दबाव बनाने पर ग्रुप उसकी जमीन को दूसरे ग्राहक की प्लाटिंग का नक्शा दिखाकर पहले से दूसरे ग्राहक को आवंटन ट्रांसफर कर देती थी

- अंसल दूसरे ग्राहक से पैसा लेकर पहले को लागत मूल्य दे देता है और बाकी रकम अपने पास रख लेता था

- अच्छी लोकेशन का प्लाट दिलाने का लालच देकर अंसल ग्रुप के अधिकारी और कर्मचारी दूसरे ग्राहक से अतिरिक्त भुगतान भी ले लेते थे।

- इस तरह से जब दूसरे ग्राहक को पता चलता तो ग्रुप के अधिकारी तीसरे ग्राहक की तलाश करते हैं और उसके साथ ठगी करते।

यह है अंसल का असली सच

- अंसल ग्रुप द्वारा जो नक्शे ग्राहक को दिखाये जाते थे, उनमें से कुछ नशे ही लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित हैं, जो पूर्व में बेचे जा चुके हैं। पिछले कई वर्षों से जो नक्शे दिखाकर ग्राहकों को प्लाट बेचे जा रहे था, वह भूमि राजस्व अभिलेखों में किसानों के नाम है, जहां पर वर्तमान में किसानों द्वारा खेती की जा रही है।

- विक्रय अनुबंध के आधार पर अंसल ग्रुप द्वारा जमीन कुछ ग्राहकों को बिना स्वयं का मालिकाना हक होते हुए भी रजिस्ट्री करा दी गई, जो कि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर ग्राहकों के साथ रजिस्टर्ड कंपनी होते हुए भी धोखाधड़ी करके पैसे गबन करने की श्रेणी में आता है।

तथ्य एक नजर में

- 24 मुकदमे विभिन्न थानों में हैं दर्ज

- 23 जुलाई को जारी हुआ था लुकआउट नोटिस

- 01 दर्जन लोग गिरफ्तारी की सूचना पर रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे

-01 दर्जन से ज्यादा मुदकमे और दर्ज होने की आशंका

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