LUCKNOW: रहमतों और बरकतों का महीना रमजान का आखिरी जुमा में लोग अलविदा की नमाज अदा करेंगे। अलविदा की नमाज को लेकर मस्जिदों में तैयारियां पूरी हो गई है। प्रशासन ने भी अपनी तरफ से पूरी सुरक्षा के इंतजाम कर लिए हैं। अलविदा की नमाज रमजान के आखिरी जुमा को अदा की जाती है। अलविदा के बाद रमजान की रुखसती और ईद की तैयारियों में लोग लग जाते हैं। अलविदा की नमाज के लिए लगभग शहर की सभी मस्जिदें तैयार हो गई है। इस दौरान आसिफी मस्जिद, ऐशबाग ईदगाह व टीले वाली मस्जिद में नमाजियों के लिए विशेष तौर पर इंतजाम किए गए हैं।

सुरक्षा के कड़े प्रबंधन

अप्रिय घटना न होने पाये इसके लिए प्रशासन ने सुरक्षा के साथ निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे लगवाए हैं। बड़े इमामबाड़े की आसिफी मस्जिद में मौलाना कल्बे जव्वाद अदा कराएंगे। टीले वाली मस्जिद में मौलाना फजलुर्रहमान वाइजी अलविदा जुमे की नमाज अदा करवाएंगे। नमाज के दौरान ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए कई जगहों पर ट्राफिक डायवर्जन भी किया गया। जिससे नमाजियों के साथ आम जनता को भी जाम जैसी समस्या से जूझना न पड़ा। इसके अलावा मस्जिदों में वजू के लिए पानी का अलग से इंतजाम भी किया गया है।

अलविदा के बाद ईद की तैयारियां

रमजान के आखिरी जुमे अलविदा के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाएंगे। अलविदा की नमाज के साथ ही लोग ईद की शॉपिंग के लिए बाजारो में उमड़ने लगेंगे। अलविदा की नमाज के बाद ईद मंगलवार को ईद उल फित्र का चांद देखा जाएगा।

मस्जिदों में अलविदा नमाज

आसिफी मस्जिद - 12:15 बजे

टीले वाली मस्जिद- 1:30 बजे

नदवातुल उलूम मदरसा- 1:30

मस्जिद सुबहानिया राजा बाजार- 1 बजे

मस्जिद रसूली पाटानाला- 12:45

लोगों से बात चीत

1. रमजान का पाक महीना अब खत्म होने वाला है। जिस तरह इस महीने में हमने इबादत की है गलत कामों से दूर रहे हैं, वैसे ही हमें पूरे ग्यारह महीने भी रहना चाहिए।

सउद खान

2. रमजान का महीना हमें लोगों से मिल जुलकर रहने की सीख देता है। साथ दिलों में हमदर्दी पैदा करता है ताकि हम परेशान हाल लोगों की तकलीफों को समझ सकें। इस महीने में अभी जितने दिन बाकी हैं, उसमें खूब नेकियां कमा लो।

अदनान

3. जकात का पैसा जरुरतमंदों को देना ताकि उनकी भी ईद हो सके। अगर आपके घर के आस पास कोई परेशान है और वो ईद नहीं मना सकता तो ऐसे में आपको अपनी ईद के साथ उसकी भी ईद मनवानी चाहिए। आर्थिक रूप से उन लोगों की मदद करें जो मजबूर हैं।

शाकिब

नमाज बाद निकलेगा जुलूस

एक जुलाई को विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर जुलूस निकाला जाएगा। मजलिस-ए-ओलमा-ए-हिंद के बैनर तले आसिफी मस्जिद से एहतेजाजी जुलूस निकल कर रूमी गेट तक जाएगा। अलविदा की नमाज के बाद मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी के नेतृत्व में यह जुलूस निकलेगा। प्रत्येक वर्ष अलविदा की नमाज के बाद विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर यह विरोध प्रदर्शन किया जाता है। प्रदर्शन में संयुक्त राष्ट्र और भारतीय प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी भेजा जाएगा। मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने अपील की है कि बड़े पैमाने पर विश्व कुद्स दिवस में शामिल होकर इजरायल के आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाएं, मौलाना ने कहा कि मजलूमों का समर्थन करना और अन्याय का विरोध करना यही इस्लाम का मूल दर्शन है।

सवाल जवाब

सुन्नी धर्म गुरु से सवाल-जवाब

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के तहत दारुल निजामिया फरंगी महल में रोजेदारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने दिया।

सवाल: हमारे घर में यह तरीका है कि सब भाई की तनख्वाह लाकर वालिदा को देते हैं, जो घर का खर्च चलाती हैं। जेवर और कुछ बचत की रकम हमारे पास होती है, तो क्या जकात मेरे जिम्मे फर्ज है या वालिदा के?

जवाब: अगर वह सोना और बचत की रकम इतनी हो कि अगर उसको बाँटा जाए तो सब भाई निसाब के मालिक हो सकते हैं, तो जकात वाजिब है, वरना नही।

सवाल: एक गरीब शख्स की बीवी शादी के मौके पर दस तोला सोना जेवरात की शक्ल में लाई है तो क्या शौहर के लिए जरूरी है कि हर हाल में उसकी जकात अदा करे।

जवाब: यह औरत इन जेवरात की मालिक है। इसीलिए इन जेवरात की जकात बीवी के जिम्मे है, गरीब शौहर के जिम्मे नहीं।

सवाल: अगर किसी औरत के रमजान के रोजे कज़ा हो जाएं और उसका शौहर उसकी तरफ से रख ले तो क्या सही है।

जवाब:औरत ही रोजे रखे। शौहर के रखने से औरत के रोजे अदा न होंगे।

सवाल: मस्जिद के इमाम ऐतिकाफ से हैं। उनके साथ तरावीह के इमाम जो ऐतिकाफ से नही हैं। क्या इस मस्जिद में इमाम साहब के साथ इफ्तिार कर सकते हैं।

जवाब: अगर मस्जिद में दाखिल होते वक्त तरावीह के इमाम ने नफली ऐतिकाफ की नियत कर ली है तो इमाम मस्जिद के साथ इफ्तिार कर सकते हैं, वरना नही।

सवाल: क्या ऐतिकाफ करने वाला अपनी जगह (जो मुकर्रर कर ली जाती है) से रात को दूसरी जगह जाकर सो सकता है।

जवाब: ऐतिकाफ करने वाला जिस मस्जिद में ऐतिकाफ कर रहा है, उस मस्जिद में जिस जगह चाहे रुक सकता है और सो सकता है।

अपने सवालों के जवाबों के लिए 9415023970, 9415102947, 9335929670 पर फोन कर सकते हैं।

शिया धर्मगुरु से सवाल-जवाब

आयतुल्लाह अल उजमा सैयद सादिक हुसैनी शीराजी से जारी हेल्प लाइन पर पूछे गए सवालों के जवाब मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने दिए।

प्रश्न: अगर कोई व्यक्ति यह नहीं जानता है कि एतेकाफ के बीच में मस्जिद से बाहर नहीं जाना चाहिए और वह भूले से चला जाए तो क्या आदेश है?

उत्तर: अगर कोई व्यक्ति मसअला ना जानने की वजह से वह मस्जिद से बाहर चला जाए तो उसका एतेकाफ सही होगा।

प्रश्न: वह महिलाएं जो पैसा ले कर बच्चों को दूध पिलाती हैं, उनके लिए क्या आदेश है ?

उत्तर: दूध पिलाने वाली महिलाओ पर रोज़ा अनिवार्य नहीं होगा।

प्रश्न: क्या फितरा बाद में क़ज़ा की नीयत से निकाला जा सकता है ?

उत्तर: अगर फितरा अनिवार्य हो गया है और कोई व्यक्ति उसे ना अदा करे तो बाद में कजा की नीयत से अदा करेगा।

प्रश्न: अगर किसी व्यक्ति के घर में केवल एक ही फितरा देने भर पैसा हो तो इसके लिए क्या आदेश है?

उत्तर: पहले यह पैसा एक व्यक्ति लेकर अपना फितरा निकालने के लिए नीयत करे फिर दूसरा नीयत करके तीसरे को दे। इस तरह आखिर वाला व्यक्ति पैसा ले कर किसी गरीब को दे दे।

प्रश्न: क्या अलविदा जुमा के दोनों खुतबों को सुनना अनिवार्य है ?

उत्तर: बेहतर है कि नमाज़-ए-जुमा के दोनों खुतबों को सुना जाए।

दीनी मसअला जानने के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936- 9839097407, 9335280700 इन नंबरों पर फोन कर सकते हैं।