लखनऊ (ब्यूरो)। सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से शरीर का कौन अंग प्रभावित हुआ है, उसी आधार पर बीमारी से ग्रसित बच्चे को विशेषज्ञों के माध्यम से उपचार कराते हुये सही करने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा, बच्चे के गर्भ में होने के दौरान सेरेब्रल पाल्सी या मस्तिष्क पक्षाघात का पता लगाना कठिन कार्य होता, जिस पर लगातार शोध कार्य चल रहा है। ये बातें डॉ। यू सिंह, एचओडी, पीएमआर एम्स, नई दिल्ली ने रविवार को केजीएमयू के डिपार्टमेंट आफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन में सेरेब्रल पाल्सी पर एक कार्यशाला व सीएमई आयोजन के दौरान बताई।
कई कारण होते हैं
कार्यक्रम में प्रदेश एवं देश भर के चिकित्सा संस्थानों के डाक्टरों ने भाग लिया। इस दौरान वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि देश एवं प्रदेश में इस बीमारी से काफी व्यस्क एवं बच्चे जूझ रहे हैं। यह बीमारी मस्तिष्क के कुछ भाग में चोट लगने के कारण हो जाती है। बीमारी के लक्षणों को पहचानते हुये स्थिति की गंभीरता को निर्धारित करते हुये चिकित्सकीय स्तर पर वृहद स्तर पर सहायता प्राप्त करवायी जा रही है। वहीं, पीएमआर एचओडी प्रो। अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से ग्रसित बच्चे जन्म से ही इस बीमारी के साथ पैदा नहीं होते है। कुछ मामलों में बच्चे जन्म के बाद इससे ग्रसित हो जाते हैं। इस बीमारी के प्रमुख कारण मस्तिष्क में सही रक्त प्रवाह न होना, सिर या दिमाग में चोट लगना या दिमागी बुखार वगैरह होते हैं।
मांसपेशियां अकड़ जाती थीं
कार्यक्रम में डॉ। दिलीप कुमार ने बताया कि सेरेब्रल पालिसी वाले लोगों की मांसपेशियां काफी टोंड एवं अधिक होती हैं। जिस कारण उनकी मांसपेशियां काफी अकड़ी रहती हैं। जिसके कारण ऐसी बीमारी से ग्रसित बच्चों का उपचार करके प्रभावित अंगों के चिकित्सा के माध्यम से उपचार किया जाना आवश्यक होता है। कार्यशाला में डॉ। सुधीर मिश्रा, डॉ। गणेश यादव, नितेश कुमार श्रीवास्तव, डॉ। संजय सिंह एवं डॉ। संदीप गुप्त आदि ने भी जानकारी दी।