लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ में मंगलवार को डेंगू के 52 मरीज सामने आये। इसमें इंदिरा नगर में 8, चंदरनगर में 7, रेडक्रास में 4, चिनहट में 4, एनके रोड में 3, अलीगंज में 8, टूडियागंज में 5, ऐशबाग में 4, सिल्वर जुबली में 7 और सरोजनीनगर में 2 पॉजिटिव रोगी पाये गये। इसके अतिरिक्त मलेरिया के 7 मरीज मिले हैं, जिसमें अलीगंज में 2, एनके रोड में 1, इंदिरानगर में 2, चंदरनगर में 1 और बीकेटी में 1 मरीज मिला है।

चिकनगुनिया भी फैल रहा
दूसरी ओर चिकनगुनिया का भी प्रकोप बढ़ रहा है। जहां 3 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसमें टूडियागंज, अलीगंज और इंदिरानगर में 1-1 पॉजिटिव रोगी मिला। जनवरी से अब तक डेंगू के कुल 853, मलेरिया के 433 तथा चिकनगुनिया के 66 पॉजिटिव रोगी पाये गये हैं। वहीं, टीमों द्वारा लगभग 1678 घरों एवं आसपास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया। जहां कुल 8 घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाए जाने पर नोटिस जारी किया गया। नगर मलेरिया इकाई एवं जिला मलेरिया अधिकारी की टीमों द्वारा जनपद के विभिन्न स्थलों व भवनों का निरीक्षण किया गया तथा लार्वा रोधी रसायन का छिड़काव किया गया।

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टीबी मरीजों को अब हजार रुपये प्रतिमाह पोषण भत्ता
टीबी मुक्त भारत पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है। टीबी रोगियों के लिए बढ़ाये गये पोषण भत्ता से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को बल मिलेगा। कुपोषण और टीबी एक सिक्के के दो पहलू हैं। इसलिए टीबी रोगियों में कुपोषण को दूर करने से उपचार के प्रति प्रतिक्रिया बेहतर होगी, मृत्यु दर कम होगी और लंबे चलने वाले उपचार के परिणाम बेहतर होंगे, इसलिए भारत सरकार ने 500 रुपये प्रतिमाह की जगह 1000 रुपये प्रतिमाह पोषण भत्ता कर दिया है। यह वृद्धि 1 नवंबर से प्रभावी होगी। यह जानकारी केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ। सूर्यकांत ने दी।

दो किश्तों में मिलेगी रकम
डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि यह प्रोत्साहन 3 हजार रुपये की दो बराबर किस्तों में दिया जाएगा। जिसमें 3 हजार रुपये का पहला लाभ निदान के समय और 3 हजार रुपये का दूसरा लाभ उपचार के 84 दिन पूरे होने के बाद दिया जाएगा। जिन लाभार्थियों के उपचार की अवधि 6 महीने से अधिक है, उन्हें 1 हजार रुपये प्रति माह का नया लाभ दिया जाएगा।

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बलरामपुर अस्पताल में अब स्पाइनल कॉर्ड का इलाज संभव
बलरामपुर अस्पताल में डॉक्टर्स द्वारा ढाई साल के बच्चे, जो अति दुर्लभ रोग स्पाइनल कॉर्ड के नीचे सरकने से जन्मजात ग्रसित था, का सफल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। निदेशक डॉ। पवन कुमार ने पूरी टीम को बधाई दी। ढाई वर्षीय ऐश को अति दुर्लभ रोग टेदर्ड कॉर्ड सिंड्रोम की समस्या जन्मजात थी। जिसमें जन्म से ही स्पाइनल कॉर्ड काफी नीचे सरक गयी थी और कूल्हे की हड्डी के अंदर चिपक गयी थी। जिससे बच्चा खड़े होकर सही से चल नहीं पाता था। परिजनों ने निजी अस्पताल में दिखाया तो करीब 2 लाख रुपये का खर्च बताया गया। पर गरीब परिवार के पास इतना पैसा नहीं था, जिसके बाद उसे बलरामपुर अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ। विनोद तिवारी को दिखाया गया। जिसके बाद उन्होंने परिजनों की रजामंदी के बाद सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। डॉ। विनोद ने बताया कि ऑपरेशन को बहुत सधे हुए तरीके से किया गया। जहां माइक्रोस्कोप की मदद से उस कॉर्ड को काटना होगा, जिसने स्पाइनल कॉर्ड को नीचे खींचा हुआ है। जिसके बाद ऑपरेशन किया गया जोकि करीब साढ़े चार घंटे चला और सफल रहा। टीम में डॉ। एएस चंदेल, डॉ। मिर्जा, डॉ। सुमित समेत अन्य शामिल रहे।