लखनऊ (ब्यूरो)। बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) में 77वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में शासी मंडल (बीएसआईपी) के अध्यक्ष प्रो। नितिन आर करमालकर स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने बीएसआईपी के संस्थापक, प्रोफेसर बीरबल साहनी को पुष्पांजलि दी। इसके बाद स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने दक्षिणी पठार के बनने की कई रोचक जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि दक्षिणी पठार ज्वालामुखी के लावे से बना है, उन्होंने यह भी बताया कि इसका जलवायु परिवर्तन पर खासा प्रभाव पड़ता है। ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा राख के रूप में ट्रोपोस्फयर में फैल कर एक परत बना लेता है, जिससे वहां का क्लाइमेट ठंडा हो जाता है। इसके कारण ही डायनासोर भी खत्म हुए हैं। उन्होंने बताया कि आज हम भले ही मानवीय कारणों को ग्लोबल वार्मिंग का कारण बता रहे हैं, लेकिन पृृथ्वी में कई करोड़ साल पहले ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बनती रही है।
कई इक्विपमेंट लगाए जाएंगे
कार्यक्रम में संस्थान नवनियुक्त के निदेशक प्रो। महेश जी ठक्कर ने संस्थान में पांच साल में होने वाले शोध कामों को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान में जल्द ही हाई इक्विपमेंट लगाए जाएंगे। इसमें एक इक्विपमेंट एएमएस है जो डेटिंग को पता करने में उपयोगी है। वहीं, माइक्रो सीटी इक्विपमेंट के जरिए फॉसिल को बिना डैमेज किए थ्री डी मॉडल को एक्सप्लोर करने का काम करेगा। इसके अलावा संस्थान की नई बिल्डिंग, इंक्वा सम्मेलन समेत कई प्रॉजेक्ट्स पर काम करेंगे। कार्यक्रम में हिंदी पत्रिका पुराविज्ञान स्मारिका के दूसरे खंड का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में जीवाश्म विज्ञानी प्रो। अशोक साहनी, प्रो। एलएस चामियाल (अनुसंधान सलाहकार परिषद के अध्यक्ष), वैज्ञानिक डॉ। स्वाति त्रिपाठी समेत कई वैज्ञानिक, एलयू के भूवैज्ञानिक समेत शोधछात्र शामिल रहे।