लखनऊ (ब्यूरो)। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने हजरतगंज से हाल ही में एक युवती समेत चार लोगों को नशा तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया था। इनके तार गोवा, मुंबई, दिल्ली समेत अन्य कई बड़े शहरों से जुड़े थे, जहां ये ऑनलाइन नशे का आर्डर लेने के बाद उनको नशा सप्लाई का काम करते थे। आंकड़े बताते हैं कि पिछड़े ढाई साल में इसी तरह के सैकड़ों नशा तस्करों को पकड़ा गया है, जो मौज मस्ती और अपने शौक पूरा करने के लिए खुद तो नशे के जंजाल में घिरे ही थे, साथ ही दूसरों की भी जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं। शहर में कहां से नशा सप्लाई हो रहा है? क्यों नहीं इनपर लगाम लग पा रही है? किस उम्र के सबसे ज्यादा लोग इस जंजाल में हैं? कहां से नशा सप्लाई हो रहा है? इन तमाम सवालों का जवाब तलाशते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एक खास रिपोर्ट तैयार की है।
युवाओं की पसंद बन रही स्मैक
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि नशे का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। आए दिन एसटीएफ, एनसीबी और पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के बावजूद इसके बढ़ने की अहम वजह युवाओं में नशे का शौक बढ़ना है। यही वजह है कि नशे के सौदागरों में पुलिस और एनसीबी का खौफ खत्म होता जा रहा है। वहीं, अगर राजधानी में नशे के चलन की बात करें तो यहां युवाओं की पहली पसंद स्मैक है। साथ ही, इसका सस्ता विकल्प गांजा भी उन्हें अपनी ओर खींच रहा है। चरस और पोस्ता का यूज करने वालों की भी कमी नहीं है। नशा तस्कर इनका जमकर कारोबार कर रहे हैं, यही वजह है कि आए दिन पुलिस सबसे ज्यादा इन्हीं नशों के साथ तस्कारों को गिरफ्तार करती है।
39 परसेंट से ज्यादा युवा तस्कर
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पिछले करीब ढाई सालों में करीब 460 नशा तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात है कि इसमें से लगभग 180 केस ऐसे सामने आए, जिनमें तस्करों की उम्र 30 साल से कम थी, यानी कुल पकड़े गए तस्करों में इनका आंकड़ा लगभग 39 परसेंट रहा। पूछताछ में यह भी सामने आया कि ये लोग अपने शौक पूरा करने के लिए इस नशे के जंजाल में फंस गए हैं। हैरानी की बात है कि इसमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि नशा तस्करी रोकने के लिए पुलिस आए दिन अभियान चलाती है और आए दिन इनको गिरफ्तार किया जाता है, ताकि नशा तस्करी पर रोक लग सके।
सिर चढ़कर बोल रहा ये नशा भी
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि युवाओं के साथ-साथ किशोरों की जिंदगी में भी नशे की लत ने दस्तक दी है। इनके पास पैसे कम होते हैं, इसलिए वे महंगा नशा नहीं कर पाते। इसके लिए नशा तस्करों ने सस्ता नशा कराने का भी तोड़ निकाल लिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पिछले दिनों पकड़े गए कई तस्करों से पूछताछ में सामने आया कि वे कफ सीरप या व्हाइटनर बेचा करते थे। ये दोनों ही नशे तस्कर बेहद आसानी से लोगों तक मुहैया करा देते हैं, सबसे खास बात है कि इसमें किसी को भी शक नहीं होता और इन्हें खरीदने के लिये कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती।
डार्कवेब से भी बढ़ा नशे का जाल
बात दें कि एसटीएफ ने पिछले एक साल में ऐसे कई गिरोह को भी पकड़ा है, जो डार्कवेब के जरिये नशा के कारोबार में संलिप्त थे, ये तस्कर ऑनलाइन ड्रग्स खरीदकर विदेशों में इसकी आपूर्ति कर रहे थे, जिससे ये लोग अच्छी खासी इनकम कर रहे थे। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ था कि वे लखनऊ को सबसे सुरक्षित शहर मानते हुए ऑनलाइन तस्करी का काम करते थे। यहां से मिलने वाली रकम को मौज मस्ती के लिए यूज किया करते थे।
क्यों चुन रहे तस्करी का रास्ता
-घूमने फिरने शौक
-कम समय में ज्यादा पैसा कमाना
-गर्लफ्रेंड के शौक पूरे करना
-नई बाइक या कार खरीदना
-उधार की रकम चुकाना
-खुद नशे का लती होना
इन-इन नशों का ज्यादा हो रहा यूज
-गांजा
-डोडा पोस्ता
-स्मैक
-चरस
-अफीम
-हेरोइन
-मेथाड्रोन
-ब्राउन शुगर मॉरफीन
कब कितने पकड़े गए तस्कर
साल तस्कर