LUCKNOW: टीबी का पूरा इलाज उपलब्ध है। सही समय पर पूरा इलाज कराया जाए तो मरीजों को बचाया जा सकता है। फिर भी इलाज में लापरवाही के कारण यह बीमारी गंभीर रूप लेती जा रही है और मरीजो में दवाओं के प्रति रजिस्टेंस डेवलप हो रहा है। शुक्रवार को एक निजी मेडिकल कॉलेज में आयोजित कॉन्फ्रेंस में केजीएमयू के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व एचओडी डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने यह जानकारी दी।
इलाज बीच में छोड़ना खतरनाक
कॉन्फ्रेंस में 250 से अधिक डॉक्टर्स को संबोधित करते हुए डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इलाज बीच में छोड़ना खतरनाक है। इसके कारण दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है और ड्रग रजिस्टेंट टीबी हो रहा है। दोबारा इलाज में अधिक दवाएं देनी पड़ी हैं। देश में करीब पांच लाख लोग एमडीआर टीबी की चपेट में है। भारत में करीब 1200 लोगों की मौत रोजाना टीबी के कारण हो रही है। यह भयावाह स्थिति है और सही समय पर इलाज से इसे रोका जा सकता हे। कार्यक्रम में एरा मेडिकल कॉलेज के वीसी प्रो। अब्बास अली मेंहदी ने क हा कि टीबी का अधूरा इलाज घातक है जबकि पूरे इलाज से टीबी को खत्म किया जा सकता है। डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि भारत में एक चौथाई मरीज ही नियमित उपचार करा रहे हैं। बहुत से मरीज ऐसे हैं जिन्हें बीमारी की जानकारी ही नही और वे संक्रमण फैला रहे हैं इसके कारण ही बीमारी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही हे।
टीबी के समय प्रेग्नेंसी से बचें
कार्यक्रम में चंडीगढ़ पीजीआई से आई डॉ। बेहरा ने कहा कि महिला को एमडीआर टीबी है तो प्रेग्नेंसी में दिक्कत आ सकती है इसलिए इस दौरान प्रेग्नेंसी से बचें। पहले टीबी ठीक करें उसके बाद ही प्रेग्नेंसी धारण करें।
दोबारा बीमारी होने पर खतरा अधिक
कार्यक्रम में इंडियन चेस्ट सोसाइटी के डॉ। सुधीर चौधरी ने बताया कि मरीज को दोबारा टीबी होती है या एमडीआर टीबी डायग्नोस होता है तो खतरा अधिक है। इलाज के बाद भी बचने की संभावना 50 परसेंट तक कम हो जाती है। डॉ। अनूप भटनागर ने बताया कि एमडीआर टीबी में संक्रमण अधिक तेजी से फैलने का खतरा बना रहता है।