- मां दुर्गा हाउसिंग सोसाइटी लालबंगला में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज्ड 'मिलेनियल्स स्पीक' में यूथ ने की चुनावी मुद्दों की बात

KANPUR : लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए हैं। कोई किसानों के कर्ज माफी की बात कर रहा है, तो कोई यूथ को लुभाने के लिए बेरोजगारी भत्ता और इम्प्लॉयमेंट की बात कर रहा है। लेकिन, इन चुनावों में हमारी कंट्री का यूथ क्या सोचता है यह जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी लेकर आए हैं मिलेनियल्स स्पीक का मंच। सैटरडे को हमारी टीम इस मंच के साथ पहुंची लालबंगला की मां दुर्गा हाउसिंग सोसाइटी, जहां यूथ ने बड़ी ही बेबाकी के साथ अपने चुनावी मुद्दे हमसे शेयर किए।

यूथ के ब्राइट फ्यूचर के लिए

सोसाइटी के एक हॉल में हमने यूथ के साथ अपना चुनावी डिस्कशन शुरू किया। सबसे पहले हमने एक दूसरे से इंट्रोडक्शन किया। इसके बाद एक एक कर यूथ ने अपने चुनावी मुद्दे रखने शुरू किए। यूथ के मन में आने वाली पीढ़ी के ब्राइट फ्यूचर को लेकर एक पॉजिटिव सोच दिखाई दी। पीयूष, प्रेम व कौशलेंद्र ने कहा कि हमें ऐसा नेता चाहिए, जो यूथ के साथ आने वाली पीढ़ी के लिए काम करे। हमने जो भी प्रॉब्लम फेस की हैं, नहीं चाहते हैं कि नेक्स्ट जनरेशन को भी इन प्रॉब्लम्स को फेस करना पड़े।

डेवलपमेंट है इम्पॉर्टेट मुद्दा

आदित्य, जीतेंद्र व सत्यम ने उनकी बात पर सहमति जताई और अपनी बात रखते हुए कहा कि वो ऐसे नेता को वोट देंगे जो कंट्री में डेवलपमेंट की बात करें। उन्होंने लोगों के सिविक सेंस पर उंगली उठाते हुए कहा कि सिर्फ गंगा सफाई जैसे अभियान चलाने से गंगा साफ नहीं होंगी। इसके लिए नागरिकों को भी सोचना होगा। इतने साल बाद भी लोग गंगा में कूड़ा, पॉलीथिन बहाते हुए देख जा सकते हैं। घरों के बाहर आज भी कूड़े का ढेर लगा दिखता है। इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। कहा नेता डेवलपमेंट की बात करतें हैं, लेकिन किसी योजना के धरातल पर आने में सालों लग जाते हैं। पीएम की सीट पर ऐसे शख्स को बैठना चाहिए, जो सिर्फ बात न करें बल्कि, उसे कर के भ्ाी दिखाए।

कानून पर गंभीर हाे गवर्नमेंट

शुभम, हिमांशु और पीयूष ने कहा कि दिखावे के लिए नियम कानून नहीं बनने चाहिए। गवर्नमेंट का कानून पर गंभीर होना जरूरी है। खुद कानून का पालन करेंगे तो लोगों में भी डर होगा। वीआईपी कल्चर को खत्म करने का फैसला प्रजेंट गवर्नमेंट ने लिया, लेकिन उनके ही नुमाइंदे इस नियम का पालन नहीं करते हैं। हमारी कंट्री में जब तक लोगों में डर नहीं होगा तब तक डेवलपमेंट करना और सिस्टम लागू कर पाना मुश्किल होगा। ऐसी सरकार चाहिए, जो छोटे-छोटे मुद्दों को भी सुलझाने के लिए कानून लाए। सिविक सेंस की कमी दिखने पर गवर्नमेंट को आम नागरिकों से भी जुर्माना वसूल करना चाहिए।

करप्शन को जड़ से मिटाएं

रजत, राहुल व अजय ने कहा कि चुनाव से पहले नेता लुभावने वादे करते हैं। चुनाव जीतने के बाद नेता सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए काम करते हैं। अपनी पॉवर का भी पुलिस प्रशासन पर रौब झाड़ कर गलत इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के करप्शन पर सख्त प्रहार होना चाहिए। छोटे से काम से लेकर बड़े स्तर के काम तक बिना रिश्वत लिए कोई काम ईमानदारी से नहीं होता है। ऐसे लोगों का पक्ष नहीं, बल्कि कार्रवाई होनी चाहिए। हमारे शहर में हो रहे निर्माण कार्यो में भी करप्शन के कारण ही मजबूती नहीं आ पाती है। सड़कें महीनों में ही पुरानी स्थिति में पहुंच जाती हैं।

एजुकेशन पर हो फोकस

हेमंत व राजेश ने कहा कंट्री में एजूकेशन पर फोकस होना चाहिए। जब बात सिविक सेंस की आती है तो कहीं न कहीं एजूकेशन भी कठघरे में खड़ी हो जाती है। यानी ऐसे लोगों में सिविक सेंस की ज्यादा कमी देखी जा सकती है, जिन लोगों में एजूकेशन की कमी होती है। एजूकेशन के लिए गवर्नमेंट को नई योजनाएं लानी चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखने वाली गवर्नमेंट चाहिए कि जिन योजनाओं को लागू किया गया है, वो हकीकत में जरूरतमंद लोगों को मिल भी पा रही है या नहीं। जब स्टूडेंट्स में टैलेंट होगा तो वो खुद ही आगे बढ़ेंगे। अपनी सक्सेस के रास्ते भी वो खुद ही बना लेंगे।

मिलेनियल्स वर्जन-

- युवाओं को डेवलपमेंट, नौकरी और योजनाओं का लाभ चाहिए, जिससे वो समाज में अपना अलग स्थान बना सकें। पढ़ाई लिखाई करने के बाद यूथ को देश और अपना घर न छोड़ना पड़े। स्टार्टअप का लाभ जरूरतमंद तक पहुंच सके.

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- गवर्नमेंट के साथ लोगों को खुद भी सिविक सेंस जगाने की जरूरत है। जहां रहते हैं, वहां साफ सफाई बहुत जरूरी है। अगर हम अपने घरों के आसपास सफाई रखें तो नगर निगम को भी इस पर काम करना होगा।

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- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम होना चाहिए। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मिडिल क्लास फैमली को प्राइवेट हॉस्पिटल जैसा इलाज मिलना चाहिए। अक्सर हॉस्पिटल में लोगों के साथ बदसलूकी की जाती है। एजूकेशन पर काम होने की जरूरत है।

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- वर्तमान चल रही मुद्रा योजना का लाभ जरूरतमंद को मिल सके इसके लिए एक कमेटी का गठन होना चाहिए। योजनाएं अच्छी है, लेकिन उसके इम्प्लीमेंट की जरूरत है। डेवलपमेंट के नाम पर हम काफी पीछे हैं। हमें इस ओर भी काम करने की जरूरत है।

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- करप्शन के मुद्दे पर कोई गवर्नमेंट अगर सख्त हो जाए तो यूथ उन्हीं का साथ देंगे। लेकिन, कोई सरकार इस पर पूरी तरह से इसे रोक नहीं पाई है। कुछ नेता तो सिर्फ जेब भरने के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीतने के बाद उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं होता है।

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- सिर्फ नेताओं के वादों पर ही अपना वोट वेस्ट न करें। यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है। अपने चुनावी मुद्दे की अहमियत समझ कर हमें वोट करना चाहिए। नेता ऐसा हो जो सभी को साथ लेकर चल सके।

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- अगर लोगों को स्टडी और जॉब के लिए कंट्री से बाहर जाना पड़े तो यह बहुत ही गलत बात है। अगर गवर्नमेंट अच्छी है तो उसे इस ओर भी काम करना चाहिए। यूथ को अपनी काबलियत के अनुसार यहां ही सब कुछ मिल जाए तो कोई कंट्री न छोड़े।

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कड़क मुद्दा

आतंकवाद इस वक्त देश के लिए सबसे कड़क मुद्दा है। गवर्नमेंट को आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए। इस वक्त पूरा देश गवर्नमेंट के साथ है और इससे अच्छा मौका उन्हें आगे नहीं मिलेगा। शर्म की बात तो यह है कि हमारी कंट्री के अन्य नेताओं ने जवानों की बहादुरी पर ही सवालिया निशान लगाने शुरू कर दिए हैं। गवर्नमेंट ने अगर आतंकियों को उनके घर में घुस कर मारा है तो यह हमारे लिए गर्व की बात है।

मेरी बात

हम सबको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। जॉब सीकर बनने से अच्छा है जॉब क्रियेटर बना जाए। प्रजेंट गवर्नमेंट में यूथ को स्टार्टअप के लिए काफी हेल्प की जा रही है। इस हेल्प का सही ढंग से इस्तेमाल कर हम अपने साथ साथ कई लोगों के लिए कमाई के सुनहरे अवसर उपलब्ध करा सकते हैं। अगर जरूरत है तो सिर्फ इन योजनाओं को जरूरतमंदों तक बिना किसी बेईमानी के पहुंचाना।

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वर्जन

अगर सभी डिपार्टमेंट से भ्रष्टाचार का सफाया हो जाए तो हम जिस कंट्री की कल्पना कर रहे हैं, वो साकार हो जाएगा। करप्शन को खत्म करने के बाद हो सकता है कि भ्रष्ट अफसरों को कुछ दिन खाना हजम न हो, लेकिन वो अपने नई जनरेशन के लिए एक सुनहरे कंट्री की रचना में अहम योगदान कर सकते हैं।

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सतमोला पचाया क्या

- नेताओं के लुभावने वादों पर न जाएं। कई बार नेता अपने फायदे के चक्कर में हमसे वो वादे कर लेते हैं, जिससे जनता का अहित होता है। जम्मू में एक ऐसी ही पार्टी के नेता ने सत्ता में आने के लिए आतंकियों से वादा किया कि वो जीतने के बाद सभी को जेल से रिहा कराएंगे और जिनके घरों से कोई मरा है उसको एक-एक करोड़ रुपए देंगे। जनता कितनी समझदार है या कितनी लालची यह बात आने वाले चुनावों के बाद नेताओं को खुद ही पता चल जाएगी।