केस 1
कानपुर (ब्यूरो) सिटी के शास्त्री नगर में रहने वाले कुशाग्र तिवारी इस समय दिल्ली में रह रहा है, जबकि उसके मोबाइल पर फ्राइडे को प्रिकॉसन डोज सक्सेसफुल लगवाने का मैसेज आ गया। साथ ही सर्टिफिकेट भी डाउनलोड करने का मैसेज आ गया था। यह प्रॉब्लम सिर्फ कुशाग्र की नहीं बल्कि सिटी के सैकड़ों लोगों की है।

केस-2
महाराजपुर निवासी छोटे लाल ने बताया कि उनके मोबाइल में भी प्रिकॉसन डोज सक्सेसफुल लगवाने का मैसेज आया था। जबकि उन्होंने प्रिकॉसन डोज लगवाई ही नहीं, मोबाइल में मैसेज आने के बाद वह सरसौल सीएचसी पहुंचे तो हेल्थ डिपार्टमेंट के स्टाफ ने टेक्निकल फाल्ट बताकर उनको प्रिकॉसन डोज लगा दी।

केस-3
आवास विकास कल्याणपुर निवासी गोविंदा शुक्ला ने बताया कि उनके मोबाइल में भी कोरोना वैक्सीन का डोज सक्सेसफुल लगवाने का मैसेज आया था। जबकि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से लगातार लोगों को सक्सेजफुल वैक्सीन डोज लगवाने के मैसेज आ रहे है। हेल्थ डिपार्टमेंट की यह लापरवाही इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।

डाटा में हो रहा खेल
कोरोना की प्रिकॉसन डोज लगवाने वालों के आंकड़ों में हेल्थ डिपार्टमेंट खेल कर शासन की आंखों में धूल झोंक रहा है। हेल्थ डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक सिटी में लगभग 40 परसेंट से अधिक लोगों ने प्रिकॉसन डोज भी लगवा ली है। जबकि हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

फ्राइडे को दिया गया टारगेट
- कानपुर में 299 वैक्सीन कैंप लगाए गए थे
- 18 सेंटर 15 से 18 आयु वालों के लिए
- 1800 लोगों को इस कैटगेरी में वैक्सीनेशन का था टारगेट
- 13 सेंटर 12 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए बनाए थे
- 1300 डोज लगाने का टारगेट इस कैटगेरी में रखा था
- 150 सेंटर पर 21,800 लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट
- 149 सेंटर ग्रामीण इलाकों में बनाए थे, 21800 को वैक्सीन का टारगेट

मामले की जानकारी नहीं है। जिनके पास इस तरह के मैसेज आए है। उनको वैक्सीन सेंटर में जाकर बात करनी चाहिए। इसमें मै कुछ नहीं कर सकता हूं।
आलोक रंजन, सीएमओ