प्लास्टिक सर्जन्स की संघ का कहना है कि हज़ारों महिलाएं प्रभावित हुई हैं और अब इस पर पाबंदी लगाने की बात की जा रही है। ग्रेटर मैनटेस्टर के एक लेज़र क्लिनिक में इलाज के बाद इस महिला का बुरा हाल हुआ है।
वो कहती हैं, "मेरे पैर पर सिगरेट से जलने जैसे निशान बन गए थे पूरे पैर पर। लेज़र का इस्तेमाल उन जगहों पर भी किया गया था जहां बाल थे भी नहीं। पूरी जगह छाले पड़ गए थे। सिर्फ एक ट्रीटमेंट के दौरान मुझ पर 4000 लेज़र की किरणें डाली गईं." ये महिला अपना नाम नहीं बताना चाहती हैं लेकिन कहती हैं कि क्लिनिक पर वो मुकदमा करेंगी।
कमज़ोर ट्रेनिंग
लौंगसाइट, मैनचेस्टर की मुख्य सड़क के दोनों तरफ ब्यूटी सैलून भरे पड़े हैं। इंग्लैंड में इस तरह के 10,000 क्लीनिक हैं जो लेज़र से अनचाहे बाल हटाने का काम करते हैं। लेकिन यहां सिर्फ क्लीनिक ही ये काम नहीं कर रहे हैं। यहां लोग एक ऐसे व्यक्ति के बारे में भी बताते हैं जो घर पर जाकर इलाज करता है और उसने तो एक महिला मानो जला ही दिया था।
दरअसल दो साल पहले इंग्लैंड में गैर-सर्जरी वाले लेज़र के इस्तेमाल को कानूनी बंदिशों से निकाला गया था जिसके बाद कोई भी व्यक्ति एक या दो दिनों की ट्रेनिंग के बाद ये सेवा दे सकता था। इसी वजह से प्लास्टिक सर्जनों की संघ चिंतित है।
ब्रिटेन के प्लास्टिक सर्जन्स की संघ के पूर्व अध्यक्ष डग्लस माइक जोंस कहते हैं, "इस तरह के चलन से तो यही लगता है कि सैकड़ों महिलाएं खराब ऑपरेटरों की वजह से मुश्किल का सामना करती होंगी। चमड़ी का रंग गर्मी को खींचता है इसलिए लेज़र से बाल निकालना है तो वो बाल काले रंग के होने चाहिए। लेकिन अगर चमड़ी का रंग भी काला है तो जलने का खतरा होता है। लेकिन हैरानी की बात है कि न सिर्फ लोगों को बल्कि कई ऑपरेटरों को भी इसकी ठीक से जानकारी नहीं है कि लेज़र से क्या कर सकते हैं और क्या नहीं और अलग तरह की चमड़ी पर क्या ठीक रहता है."
बदनामी
डीना ओपिज़ियो-स्कॉट चेस्टशर में एक लोकप्रिय लेज़र क्लिनिक चलाती हैं। उनके लगभग 1000 ग्राहकों में 70 फीसदी एशियाई मूल की महिलाएं हैं। उनका कहना है कि खराब सेवा देने वाले लोगों की वजह से इस क्षेत्र की बदनामी हुई है।
डीना स्कॉट कहती हैं, "मैनें 30 ऐसी महिलाएं देखी हैं जो सचमुच जल गई थीं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि कभी ऑपरेटर ने ठीक ढंग से ट्रेनिंग नहीं ली, या कभी खास किस्म की चमड़ी पर गलत मशीन का इस्तेमाल किया गया। मैनें एशियाई महिलाओं के हाथ, पैर यहां तक की चेहरे भी जले हुए देखे हैं."
हालांकि ज्यादातर इलाज बिना किसी दिक्कत के पूरे हो जाते हैं लेकिन सरकार अब इस मसले को गंभीरता से लेने लगी है और एक विमर्श शुरु किया है।
वहीं गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थाएं भी अगले कुछ हफ्तों में लेज़र रजिस्टर रखना शुरु करने जा रही है। लेकिन लेजर के इस्तेमाल का विपरीत लाभ उठाने वाली महिलाओं के लिए ये बहुत कम है और बहुत देर से मिला है।
जैसा कि एक दूसरी महिला कहती हैं, "इस तरह महिलाओं को खतरे में डालना उनकी ज़िंदगी बर्बाद करने जैसा है। अगर लोग जिम्मेदारी लेने की जरूरत नहीं समझते क्योंकि इसके लिए कोई कानून नहीं है तो सचमुच ये शर्मनाक बात है."
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